भारत में बेहद अमीर लोगों के पास धन का संकेंद्रण हो रहा है, लेकिन 2022 में इनकी संख्या 7.5 प्रतिशत घटी है
भारत में बेहद अमीर लोगों की रईसी और उनका धन चर्चा का विषय रहता है. ऐसे में एक निजी फर्म ने इसकी रिपोर्ट तैयार कराई. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बेहद अमीर लोगों की संख्या पिछले साल 7.5 प्रतिशत गिरकर 12,069 पर आ गई है. वहीं यह भी कहा गया है कि अगले 5 साल में यह संख्या बढ़कर फिर से बढ़कर 19,119 हो जाने की संभावना है.
संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक ने 17 मई 2023 को जारी रिपोर्ट में कहा कि 3 करोड़ डॉलर से अधिक की हैसियत रखने वाले बेहद अमीर भारतीयों की संख्या वर्ष 2022 में 12,069 रही. 2021 की तुलना में इनकी संख्या में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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आने वाले वर्षों में बढ़ेगी अमीरों की संख्या
नाइट फ्रैंक ने अपनी ‘द वेल्थ रिपोर्ट 2023’ में कहा कि देश में बेहद अमीर लोगों की संख्या 2027 तक बढ़कर 19,119 हो जाने की संभावना है.
वहीं रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि देश में अरबपतियों की संख्या अगले 5 साल में 195 तक पहुंचने की उम्मीद है. वर्ष 2022 में अरबपति भारतीयों की संख्या बढ़कर 161 हो गई. जबकि 2021 में अरबपति भारतीयों की संख्या 145 रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 10 लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वाले अमीर लोगों की संख्या बढ़कर पिछले साल 7,97,714 हो गई जबकि 2021 में इनकी संख्या 7,63,674 थी. अगले 5 साल में इस संख्या के बढ़कर 16,57,272 हो जाने की उम्मीद है.
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वैश्विक स्तर पर घटे धनवान
ऐसा नहीं है कि भारत में ही धनवानों की संख्या घटी है. नाइट फ्रैंक के मुताबिक 2022 में वैश्विक स्तर पर अत्यधिक धनवान लोगों की संख्या में 3.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. पहले के आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले 2021 में इनकी संख्या 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी. पिछले साल भू-राजनीतिक अनिश्चितता रही, यूक्रेन और रूस में जंग छिड़ गई और वैश्विक आर्थिक मंदी के दुष्प्रभावों ने बेहद अमीर लोगों के लिए संपत्ति खड़ी करने के अवसरों पर असर डाला. इसी तरह से भारत में भी बेहद अमीर लोगों की संपत्ति पर इन कारणों से असर पड़ा और सालाना आधार पर इनकी संख्या 7.5 प्रतिशत गिरी.
बेहद अमीर भारतीयों की संपत्ति पर असर ब्याज दरों में बढ़ोतरी और रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से की वजह से पड़ा. नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि हाल के समय में प्रमुख एवं गैर-प्रमुख क्षेत्रों में गतिविधियां तेज रहने से भारत की आर्थिक वृद्धि को गति मिली है साथ ही भारत के एक वैश्विक स्टार्टअप केंद्र बनने से भी नई संपत्ति खड़ी हो रही है.