Dhirendra Krishna Garg Bageshwar Dham Sarkar

Dhirendra Krishna Garg Bageshwar Dham Sarkar : कौन है वागेश्वर धाम सरकार के नाम से ख्यातिप्राप्त धीरेंद्र कृष्ण गर्ग

शमशान घाट के पास सरकारी जमीन पर हनुमान मंदिर बनाकर रोजी रोटी चलाने वाले भगवान दास गर्ग के पोते हैं Dhirendra Krishna Garg Bageshwar Dham Sarkar

क्रांति कुमार

मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले के गढा ग्राम में शमशान घाट है. इसी शमशान घाट के पास में गांव समाज की ज़मीन पर भगवानदास गर्ग नाम के पंडित ने रोजी रोटी के लिए हनुमान मंदिर बनाया.  भगवानदास गर्ग पूजा अर्चना, भगवत कथा सुनाना और भूत पिशाच भगाने के नाम पैसा कमाने लगे. चमत्कार और दिव्य शक्ति का भी दावा किया, लेकिन कोई खास प्रसिद्धि नहीं मिली.

भगवानदास गर्ग का पोता था जो 12वीं पास था लेकिन बेरोजगार था. नाम था उसका धीरेंद्र कृष्ण गर्ग. जो रोजगार की तलाश में इसी हनुमान मंदिर को अपना कमाने का अड्डा बनाता है और अपना नाम बदलकर धीरेंद्र नाथ शास्त्री रख लेता है.

एक नजर इधर भीः पीके रोजी पिछड़ी जाति की हीरोइन, जिनका सवर्णों ने किया हिंसक विरोध

चमत्कार, दिव्य शक्ति, भूत पिशाच भगाने का दावा, इसके बावजूद धीरेंद्र कृष्ण गर्ग को वो कामयाबी नही मिली जिस कामयाबी उसकी चाहत थी.

उसने स्थानीय मीडिया को भी बुलाकर चमत्कार करने का दावा किया. उसका और उसके चेलों का दावा था इस मंदिर में कोई बल्ब लगता है तो फुट जाता है. लेकिन स्थानीय मीडिया ने कोई तवज्जो नहीं दिया.

उसके बाद उसने सोशल मीडिया का सहारा लिया. अपने झूठे चमत्कार का वीडियो, भूत प्रेतों को भगाने का दवा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर छोटे छोटे क्लिप अपलोड करने लगे.

एक नजर इधर भीः आधुनिक भारत में लाइब्रेरी का संजाल बिछाने वाले कौन थे

सोशल मीडिया ने उसे प्रसिद्धि दिलाई. दरबार में भीड़ बढ़ने लगी. बिना किसी जाने उसके बारे में सब कुछ बताने का षड्यंत्र रचा जाने लगा. मूर्ख अनुयायियों ने धन की वर्षा की.

धन की वर्षा में पाखंडी बाबा डूब गया. अधिक धन कमाने के लालच में अधिक चमत्कार, अधिक दिव्य शक्ति और भूत पिशाच भगाने का दावा करने लगा. और एक दिन सरेआम उसकी चोरी पकड़ी गई.

ब्राह्मण जो इस देश का शासक वर्ग है ऐसे बाबाओं की करतूतों को जानता है समझता है. लेकिन अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए उन्हें अंधविश्वास बनाए रखना है और यह सब वे धीरेंद्र नाथ शास्त्री के द्वारा अंजाम देते है.

मध्यकालीन यूरोप पर भी कभी केवल शासक वर्ग और चर्च का आधिपत्य था. अंधविश्वास और चमत्कार के नाम पर जनता को काबू में रखकर उनपर शासन करते थे. चारो दरिद्रता थी, किसान और आम आदमी बेहाल थे. जैसे ही विज्ञान ने ईसाई पादरियों को चर्च के भीतर बंद किया अंधकार के बदल छट गए.

यूरोप और अमेरिका भले विकसित हैं लेकिन लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिका आज भी पिछड़े मुल्क हैं. कारण लिबरल गोरों ने मूलनिवासियों पर अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए अंधविश्वास, चमत्कार और पादरियों को चर्च के भीतर बंद नही किया.

आज भी लैटिन अमेरिकी समाज अंधविश्वास और भूत प्रेतों के चक्कर में चर्च और पादरियों के इर्द गिर्द घूमते हैं.
(यह लेख क्रांति कुमार के फेसबुक पेज से लिया गया है)

 

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *