Adani Group hired Wachtell

Adani Group hired Wachtell : हिंडनबर्ग से पिटे अदाणी समूह ने अमेरिकी लॉ फर्म का दरवाजा खटखटाया, जानिए कौन सी लॉ फर्म है?

Adani Group hired Wachtell : वाचटेल को Shareholder Activism की विशेषज्ञता, अदाणी की वकील लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास से किया संपर्क

Adani Group hired Wachtell. यह सूचना आते ही लोगों ने दौड़ लगानी शुरू कर दी कि यह Wachtell क्या है. दरअसल Adani Group ने पहले अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) को कोर्ट में खींचने की धमकी दी. उसके बाद हिंडनबर्ग ने फैसले का स्वागत करते हुए रिलीज जारी कर दी कि उन्हें खुशी होगी क्योंकि उसने जो भी कहा है, उसके ठोस सबूत औऱ सारे कागजात उसके पास मौजूद हैं.

शेयर बाजार में बुरी तरह पिटने के बाद अदाणी समूह वकील खोजने लगा कि हिंडनबर्ग से निपटने के लिए कौन ठेका ले सकता है. बिज़नेस टुडे के मुताबिक अडानी ग्रुप न्यूयार्क की वॉचटेल, लिफ्टन, रोसेन, काट्ज जैसी जानी मानी लॉ फर्मों से संपर्क साधा. इन तमाम कंपिनयों में से कानूनी कार्रवाई के लिए अडानी समूह ने अमेरिकी लीगल फर्म वॉचटेल को चुना है.

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Wachtell क्या है?

Wachtell Lipton की स्थापना 1965 में वकीलों के एक समूह ने की थी. इसका मकसद कानूनी विशेज्ञता के साथ लोगों को सलाह देना है. कंपनी की वेबसाइट  के मुताबिक वह अपने क्लाइंट्स की महत्त्वपूर्ण समस्याओं को हल कर रही है. कंपनी की विशेषज्ञता acquisitions, strategic investments, takeovers और takeover defense, shareholder activism, corporate and securities law and corporate governance में है. हिंडनबर्ग ने जो कांड किया है., वह shareholder activism में आता है और ऐसा कहा जा रहा है कि Wachtell  को इसमें विशेषज्ञता हासिल है.

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Shareholder Activism क्या है?

शेयरधारक सक्रियता में कंपनी के कुप्रबंधन को लक्षित किया जाता है. ऐसे शेयरधारक को कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी रखना जरूरी नहीं होता है. बल्कि वह बोर्ड आफ डॉयरेक्टर्स में आवाज उठाने के लिए 10 प्रतिशत या उससे कम शेयरहोल्डिंग रख सकता है. इस तरह के एक्टिविस्ट सामान्यता शेयरधारक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं. इसमें हेज फंड, निजी इक्विटी फर्म और हाई नेटवर्थ वाले व्यक्ति शामिल होते हैं. ऐसे व्यक्ति खुले बाजार से कुप्रबंधित कंपनियों के शेयर खरीदते हैं ताकि उनकी हिस्सेदारी उस स्तर तक बढ़ सके, जो उन्हें नियंत्रण या बोर्ड में सीट दे दे.

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Shareholder activists किस तरह काम करते हैं?

शेयरधारक कार्यकर्ता उन कंपनियों को निशाना बना सकते हैं, जिनके पास अतिरिक्त नकदी होती है और उस शेयरधारकों को लाभांश के रूप में वितरित किया जा सकता है. ऐसे में वह बोर्ड के सदस्यों के बीच सीट पाने के लिए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाता है, उसके बाद अन्य सदस्यों को राजी कर नकदी बांटने की कवायद कर सकता है.

Wachtell Lipton की विशेषज्ञता Shareholder Activism में?

हालांकि अडाणी ग्रुप और हिंडनबर्ग का मामला शेयरहोल्डर एक्टिविज्म से अलग है. लेकिन शॉर्ट सेलिंग की अनुमति का एक मकसद यह माना जाता है कि कोई रिसर्चर कंपनी में गड़बड़ियां पाकर शॉर्ट सेलिंग का जोखिम लेता है, जिसमें वह बर्बाद भी हो सकता है. शॉर्ट सेलिंग करने वाले के पास शेयर नहीं होते हैं, और यह एक तरह का समझौता होता है, जब ज्यादा मूल्य पर शॉर्ट सेलर शेयर बेचता है और दाम घटने पर खरीदता है. वह अंतर ही शॉर्ट सेलर का मुनाफा होता है. य़ानी अगर कोई कंपनी अपने घोटालों औऱ गड़बड़ियों के कारण बर्बाद होती है तो शॉर्ट सेलर को मुनाफा होता है.

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Wachtell Lipton को कंपनियों को शेयरहोल्डर एक्टिविस्टों से बचाने में महारत

Wachtell Lipton की वेबसाइट के मुताबिक जो कंपनियां शेयरहोल्डर एक्टिविस्टों के हमले की शिकार होती हैं, उनकी रक्षा करने में उसे महारत है. लॉ फर्म के मुताबिक उसने एक्टिविज्म की शिकार कई कंपनियों को सलाह दी है, जिनमें AOL, Vulcan Materials, Clorox, Forest Laboratories, CVR Energy, Target, Motorola, Office Depot, Longs Drugs, Lionsgate आदि शामिल हैं.

Wachtell Lipton क्या अदाणी समूह को बचा पाएगी?

वाचटेल ने अदाणी समूह का मामला समझने के लिए सिरिल अमरचंद मंगलदास फर्म से संपर्क साधा है. यह कंपनी अडानी समूह के साथ काम कर रही है. इस कंपनी का नेतृत्व सिरिल श्रॉफ करते हैं. सिरिल श्राफ की बेटी का विवाह गौतम अडानी के बेटे से हुई है.

ऐसे में  Wachtell Lipton अपनी कानूनी विशेषज्ञता से अदाणी समूह को बचा पाएगी या बेटी, दामाद, भाई भतीजा में फंसकर वह भी भाग जाएगी, यह समझ पाना अभी मुश्किल है.

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