जॉर्ज सोरोस

92 साल के अमेरिकी नागरिक जॉर्ज सोरोस ने क्या कहा, जिससे तिलमिलाई है भारतीय जनता पार्टी

दुनिया के जाने माने हेज फंड मैनेजर और डेमोक्रेटिक डोनर जॉर्ज सोरोस तानाशाही के खिलाफ रहे हैं और उन्होंने समय समय पर नरेंद्र मोदी, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना की है.

 अदाणी समूह को लेकर शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के खुलासे के बाद वैश्विक हलचल कम होने का नाम नहीं ले रही है. अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस का कहना है कि गौतम अदाणी के साम्राज्य में उथल-पुथल ने निवेश के हिसाब से भारत के प्रति विश्वास को हिला दिया है. जॉर्ज सोरोस ने कहा कि यह भारत में लोकतंत्र के पुनरुद्धार के द्वार खोल सकता है.

जॉर्ज सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के पहले कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विषय पर चुप हैं. लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने होंगे.’

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दुनिया के जाने माने हेज फंड मैनेजर और डेमोक्रेटिक डोनर जॉर्ज सोरोस ने कहा, ‘यह भारत सरकार पर मोदी की मजबूत पकड़ को कमजोर करेगा और बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए दरवाजे खोलेगा. मैं भारत में लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद करता हूं.’

16 फरवरी, 2023 को म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में 92 साल के हंगरी में जन्मे अमेरिकी नागरिक जॉर्ज सोरोस ने कहा, ‘अदाणी इंटरप्राइजेज ने स्टॉक मार्केट से धन जुटाने की कोशिश की, लेकिन विफल रही. अदाणी पर शेयर में हेराफेरी करने का आरोप है और उनके शेयर ताश के पत्तों की तरह ढह गए. मोदी इस विषय पर मौन हैं. लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों के सवालों का और संसद में जवाब देना होगा.’

इसके पहले जॉर्ज सोरोस ने 2020 देवास में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि राष्ट्रवाद भारत के लिए सबसे बड़ा झटका है. जॉर्ज सोरोस चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के भी आलोचक रहे हैं.

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भारत सरकार ने क्या कहा

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जॉर्ज सोरोस का ऐलान भारत के खिलाफ युद्ध थोपने जैसा है और इस युद्ध तथा भारत के हितों के बीच मोदी खड़े हैं. ईरानी ने कहा कि जॉर्ज सोरोस भारतीय लोकतंत्र को तबाह करना चाहते हैं और चाहते हैं कि यहां चुनिंदा लोग सरकार चलाएं. ईरानी ने दावा किया कि जॉर्ज सोरोस ने भारत समेत विश्व की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप के लिए एक अरब डॉलर से अधिक का कोष बनाया है. उन्होंने कहा, ‘एक विदेशी ताकत ने ऐलान किया है कि वह हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट करेंगे. इसके केंद्र में जॉर्ज सोरोस हैं. वह प्रधानमंत्री मोदी को अपने हमले का मुख्य बिंदु बनाएंगे. वह हिंदुस्तान में अपनी विदेशी ताकत के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जो हिंदुस्तान के हितों का नहीं, बल्कि उनके हितों का संरक्षण करेगी.’

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जॉर्ज सोरोस के बयान पर कांग्रेस ने क्या कहा

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत की नेहरूवादी विरासत सुनिश्चित करती है कि विदेशी ताकत भारत के चुनावी परिणामों को प्रभावित नहीं कर सकते. वहीं भाजपा के प्रवक्ताओं शहजाद पूनावाला और आरपी सिंह सहित कुछ लोगों ने कांग्रेस और जॉर्ज सोरोस के संबंधों पर सवाल उठाया.

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जॉर्ज सोरोस कौन हैं

दक्षिणपंथ का बुजुर्गों से डर पुराना है. उन्हें महात्मा गांधी से खतरा था, जो अपने अंतिम समय में केवल हड्डियों का ढांचा थे. अब भारत के अब तक के सबसे ताकतवर समझे जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जॉर्ज सोरोस से खतरा महसूस हो रहा है, जो 92 साल के हो चुके हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जॉर्ज सोरोस कौन हैं, जिन्होंने ताकतवर मोदी सरकार को डरा दिया है.

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हंगरी मूल के हैं जॉर्ज सोरोस

जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ. वह एक संपन्न यहूदी परिवार में पैदा हुए. वह ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं.

जॉर्ज सोरोस का कैसा बीता बचपन

1944 में नाजियों के हंगरी पर हमले से जॉर्ज सोरोस की जिंदगी पर भी असर पड़ा. उनके परिवार ने फर्जी कागजात के माध्यम से खुद को विभाजित कर लिया, जिससे कंसंट्रेशन कैंप में भेजे जाने से बचा जा सके. 1947 में उनका परिवार लंदन चला गया. अपनी यहूदी पहचान छिपाने के लिए उन्होनें अपना नाम श्वाटर्ज से बदलकर सोरोस कर लिया.

जॉर्ज सोरोस ने जाने माने शिक्षक कार्ल पोपर के निर्देशन में लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में फिलॉस्फी की पढ़ाई की. बाद में उन्होंने फिलॉस्फर बनने की अपनी योजना छोड़ दी. वह मर्चेंट बैंक सिंगर ऐंड फ्राइडलैंडर से जुड़ गए. 1956 में वह न्यूयॉर्क आ गए. उन्होंने यूरोप के शेयरों  के विश्लेषक के रूप में काम शुरू किया और जल्द ही बड़े नाम बन गए.

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What business does George soros own?

1973 में जॉर्ज सोरोस ने सोरोस फंड स्थापित किया, जिसका नाम बाद में बदलकर क्वांटम इडॉमेंट फंड कर दिया गया. यह एक हेज फंड है, जो कई कंपनियों से जुड़ा. उनके साहसिक निवेश के फैसलों से फंड तेजी से बढ़ा. कई बार उन्हें इससे झटके भी लगे. सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब 1987 में उन्होंने दुनिया के तमाम शेयर बाजारों में गिरावट का सही अनुमान लगाया, जबकि जापान के बाजार में सबसे ज्यादा गिरावट का अनुमान गलत साबित हुआ.

How did Soros make his money?

सितंबर 1992 में जॉर्ज सोरोस का जलवा तब बढ़ा, जब ब्रिटिश सरकार ने पाउंट स्टर्लिंग का अवमूल्यन किया. जॉर्ज सोरोस ने उसके पहले अरबों पाउंड बेच दिए, जिन्हें उन्होंने उधार के पैसे से खरीदा था. इससे उन्हें 1 अरब डॉलर का फायदा हुआ.

1994 में उन्होंने अनुमान लगाया कि जापान के येन के मुकाबले डॉलर मजबूत होगा. लेकिन डॉलर पूरे साल गिरा और उन्हें करोड़ों डॉलर गंवाने पड़े.

1997 में जॉर्ज सोरोस का नाम थाई बहत पर स्पेकुलेटिव अटैक से जुड़ा. यह संकट एशिया में फैल गया. मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मुहम्मद ने जॉर्ज सोरोस को वहां की मुद्रा रिंगिट की गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया. जबकि एशिया के इस संकट में जॉर्ज सोरोस को अरबों डॉलर गंवाने  पड़े.

बाद में 1999 में इंटरनेट स्टॉक से जॉर्ज सोरोस फंड ने पैसे कमाए. लेकिन उसके बाद वह निवेश को लेकर रूढ़िवादी हो गए और फंड ने संभलकर निवेश करना शुरू कर दिया.

2006 में फ्रांस की सर्वोच्च अदालत ने 1988 के स्टॉक डील में इंसाइडर ट्रेडिंग का दोषी करार दिया, उसके बाद हेज फंड को हो रही कानूनी अड़चनों के बाद जॉर्ज सोरोस ने घोषणा की कि क्वांटम फंड बाहर के निवेशकों के धन का प्रबंधन नहीं करेगी.

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Who owns open society ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना

1984 में जॉर्ज सोरोस अपने कुछ मुनाफे का निवेश कर ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की. यह एक परोपकारी संस्थान है. यह मुख्य रूप से पूर्वी यूरोप के हंगरी में काम करता है, जहां फाउंडेशन ने स्कॉलशिप, तकनीकी सहायता, स्कूलों के आधुनिकीकरण और कारोबार में सहयोग दिया है.

शीतयुद्ध खत्म होने के बाद जॉर्ज सोरोस ने चेकोस्वोलाकिया, पोलैंड, रूस, यूगोस्लाविया में फाउंडेशन स्थापित किए. वह पूर्वी यूरोप और अन्य जगहों पर लोकतंत्र की स्थापना के समर्थक रहे हैं.

खबरों के मुताबिक जॉर्ज सोरोस ने 2017 में संगठन को 18 अरब डॉलर दिए, जिससे यह संस्थान विश्व के सबसे बड़े परोपकारी संस्थानों में से एक बन गया.

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यूक्रेन के समर्थन में खड़ी है ओपन सोसाइटी

ओपन सोसाइटी का मानना है कि रूस का यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लोकतंत्र पर हमला है. इसे देखते हुए ओपन सोसाइटी ने यूक्रेन डेमोक्रेसी फंड की स्थापना की है और इसके लिए 4.5 करोड़ डॉलर जुटाए हैं. यह धन यूक्रेन के नागरियों की रक्षा और इस टकराव से विस्थापित हुए लोगों पर खर्च किया जाएगा.

ओपन सोसाइटी फाउंडेशन किस क्षेत्र में काम करती है

ओपन सोसाइटी फाउंडेशन 120 से ज्यादा देशों में सक्रिय है. फाउंडेशन की वेबसाइट https://www.opensocietyfoundations.org/ के मुताबिक वह Democratic Practice, Human Rights Movements and institutions, Economic Equity and justice, Information and digital Rights, Education, Journalism, Equality and antidiscrimination, Justice Reform and Rule of law, Health and Rights के क्षेत्र में काम कर रही है.

अमेरिका में निजी संपदा को अगली पीढ़ी को ट्रांसफर करने पर सरकार भारी भरकम कर लेती है. ऐसे में उत्तराधिकारी के लिए बहुत ज्यादा धन नहीं बचता. संभवतः यही वजह है कि अमेरिका के ज्यादातर उद्योगपति बुढ़ापे में मोह माया से मुक्त हो जाते हैं. जॉर्ज सोरोस भी ऐसे ही उद्योगपति हैं. जॉर्ज सोरोस ने अपने जीवन में सबसे अमीर बनने से लेकर सामान्य जिंदगी तक देखी है. नाजी जब कंसंट्रेशन कैंप में डालकर क्रूरतम तरीके से यहूदियों की हत्या कर रहे थे, उसमें से जॉर्ज सोरोस बचकर निकले हैं. 92 साल की उम्र में उन्हें संभवतः मोह माया से मुक्ति मिल चुकी है. ऐसे में उनके ऊपर आरोप लग सकते हैं, लेकिन किसी काम से उन्हें रोक पाना या कोई लोभ लालच देकर लुभा पाना या धमका पाना असंभव सा है.

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