अमेरिका के सिएटल में कार्यस्थल पर जातीय शोषण के खिलाफ कानून लाकर चर्चा में आईं Kshama Sawant ने कहा कि किसी भी भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में जातीय भेदभाव भी शामिल
सिएटल में कार्यस्थल पर जातीय भेदभाव के खिलाफ कानून पारित कराकर चर्चा में आईं सिएटल सिटी काउंसिल की मेंबर क्षमा सावंत ने कहा है कि पूंजीवादी व्यवस्था कभी भी जातिवाद के खात्मे के लिए खड़ी नहीं हो सकती है। सावंत का मानना है कि पूंजीवादी व्यवस्था शोषण की व्यवस्था है और वह असमानता पर टिकी हुई है. ऐसे में जाति व्यवस्था पूंजीवाद को समर्थन करती है, जिसमें भेदभाव है. समाज के एक तबके का शोषण है. ऐसे में जाति को बनाए रखना पूंजीवादी व्यवस्था के अनुकूल है.
हमारे आंदोलन ने अमेरिका के सिएटल में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध जीतकर इतिहास रच दिया है!
दमन और आर्थिक शोषण के विरुद्ध लड़ने के लिए हमें वैश्विक स्तर पर anti-capitalist आंदोलनों की जरूरत है।
और हमें मजदूर वर्ग द्वारा, और उसके लिए, चलने वाले समाज की जरूरत है – एक समाजवादी समाज। pic.twitter.com/TALDcHO7k1
— Kshama Sawant (@cmkshama) February 26, 2023
भारत के जाने माने पत्रकार की ओर से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनॉर में बोलते हुए क्षमा सावंत ने यह कहा. इस मामले में उन्होंने अंबेडकरवादियों का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि पूंजीवाद में व्यवस्था बदलेगी और ऐसे में जाति व्यवस्था कमजोर पड़ेगी, लेकिन यह सोच गलत है. उनका मानना है कि पूंजीवादी व्यवस्था शोषण पर ही टिकी हुई है. ऐसे में जातीय शोषण उस व्यवस्था के अनुकूल है. उन्होंने भारतीय पूंजीपतियों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में पूंजीवाद है, लेकिन किसी भी पूंजीपति या इंडस्ट्रियलिस्ट ने जाति व्यवस्था के खिलाफ अभियान नहीं चलाया. सावंत का मानना है कि जाति व्यवस्था गैर बराबरी को समर्थन करती है और यह पूंजीवाद के अनुकूल है.
वेबिनॉर में कई अंबेडकरवादी संगठनों और विचारकों ने भी हिस्सा लिया. वेबिनॉर में शामिल अंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर (एआईसी) ने सिएटल के बारे में अपने अनुभवों का साझा किया. इससे बहुत आश्चर्यजनक तथ्य निकलकर सामने आए. सेंटर की प्रतिनिधि ने बताया कि सिएटल में डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल सभी लोग सवर्ण हैं, रिपब्लिकन पार्टी में उन्हें जगह नहीं मिलती है. डेमोक्रेट्स को पता ही नहीं चल पाता कि वह जिन्हें मर्सी बेस पर तमाम सुविधाएं दे रहे हैं, विभिन्न संस्थानों पर पदों पर रख रहे हैं, वह शोषित नहीं बल्कि शोषक हैं और घृणित स्तर पर न सिर्फ भारत में जातिवाद करते हैं, बल्कि वह अपने साथ अमेरिका में भी जातिवाद लेकर आए हैं. उन्होंने अपने उन संघर्षों के बारे में भी बताया कि किस तरह से अमेरिका के अंबेडकरवादियों ने लंबी लड़ाइयां लड़ीं, विरोध प्रदर्शन किए। उन्होंने बताया कि क्षमा सावंत ने पूरे अध्ययन के बाद फैसला किया कि अंबेडकरवादियों की बात जायज है और आखिर में उन्होंने इस मसले पर खुलकर साथ दिया, जिसके बाद कार्यस्थलों पर जातिवाद के खिलाफ कानून बनकर सामने आया है।
क्षमा सावंत ने अमेरिकन डेमोक्रेट्स के खिलाफ भी जमकर बोला कि किस तरह से वह समाजवाद के नाम पर पूंजीवाद के समर्थक बने हुए हैं. उन्होंने अपनी भावी योजनाओं के बारे में कहा कि शोषण के खिलाफ लड़ाई को वह राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर रही हैं. इस मसले पर उन्होंने लोगों से समर्थन भी मांगा.