यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा

क्या भगोड़े हिंदू धर्मगुरु नित्यानंद ने सचमुच कोई ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ नाम से हिंदू देश बसा लिया है और उसे संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता मिल गई है?

आइए जानते हैं कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपी नित्यानंद के ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय से मान्यता मिलने क्या है मामला

सोशल मीडिया से लेकर समाचार माध्यमों में नित्यानंद का कैलासा एक बार फिर चर्चा में है. तरह तरह के बयान आने लगे कि आखिरकार नित्यानंद ने कैलासा नाम से हिंदू राष्ट्र बसा लिया है. स्वयंभू धर्मगुरु नित्यानंद भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई आरोपों में वांछित है. आइए जानते हैं कि इसमें क्या सच्चाई है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) पुष्टि की है कि 2 सार्वजनिक बैठकों में 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा' के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की थी.
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) पुष्टि की है कि 2 सार्वजनिक बैठकों में ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की थी.

कैलासा का ‘अप्रासंगिक’ अभिवेदन खारिज

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने 3 मार्च, 2023 को कहा कि भारत के भगोड़े नित्यानंद द्वारा स्थापित तथाकथित ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (यूएसके)’ के प्रतिनिधियों द्वारा दी गई दलील अप्रासंगिक है. पिछले सप्ताह जिनेवा में इसकी सार्वजनिक सभाओं में दी गई दलीलों के बारे में अंतिम मसौदा परिणाम में विचार नहीं किया जाएगा.

यूनाइटेड नेशंस की बैठक में शामिल हुए थे कैलासा के प्रतिनिधि

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) पुष्टि की है कि 2 सार्वजनिक बैठकों में ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की थी. उच्चायुक्त कार्यालय ने कहा कि उन्हें प्रचार सामग्री वितरित करने से रोका गया था. उनके भाषण पर ध्यान नहीं दिया गया.

कैसे जाया जा सकता है बैठक में

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की सार्वजनिक बैठकों में सभी के लिए पंजीकरण खुला होता है. ओएचसीएचआर के प्रवक्ता ने उनकी भागीदारी के बारे में कहा कि ऐसे सार्वजनिक आयोजनों के लिए पंजीकरण एनजीओ और आम जनता के लिए खुला होता है. 24 फरवरी को, सीईएससीआर की सामान्य चर्चा में, जब मंच जनता के लिए खोला गया, तो एक ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ प्रतिनिधि ने संक्षिप्त बात की थी. इस पर समिति द्वारा विचार नहीं किया जाएगा.

सोशल मीडिया पर क्या आया

सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और तस्वीरें वायरल हुईं, जिनमें ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ की एक प्रतिनिधि “स्वदेशी अधिकार और सतत विकास” पर काल्पनिक देश की ओर से बोलते हुए दिखती है. इस तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम 22 और 24 फरवरी को आयोजित किए गए थे. इस तरह के वीडियो और तस्वीरें आने के बाद ओएचसीएचआर के प्रवक्ता ने स्थिति साफ की.

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा
संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इसे संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का “पूरी तरह दुरुपयोग” करार दिया. उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का पूरी तरह से दुरुपयोग है कि एक भगोड़े द्वारा चलाए जा रहे संगठन के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र को एनजीओ या अन्य के रूप में संबोधित कर रहे हैं.

‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ मामले में भारत सरकार का रुख क्या है

जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन ने इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं दी है. वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इसे संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का “पूरी तरह दुरुपयोग” करार दिया. उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का पूरी तरह से दुरुपयोग है कि एक भगोड़े द्वारा चलाए जा रहे संगठन के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र को एनजीओ या अन्य के रूप में संबोधित कर रहे हैं. केवल विश्वसनीय एनजीओ को ही मान्यता मिले, इसके लिए भारत एक मजबूत प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया है.

नित्यानंद की प्रतिनिधि का क्या दावा है

एक वीडियो में नित्यानंद की एक भक्तिन विजयप्रिया नित्यानंद खुद को ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ की स्थाई राजदूत बनने का दावा करती दिखी. इससे ऐसे सत्रों में समूह की भागीदारी पर सवाल उठ रहे हैं जिनमें पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड और अन्य मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी अपने वक्तव्य रखे थे. बलात्कार के आरोपी नित्यानंद का दावा है कि उसने 2019 में तथाकथित राष्ट्र ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ कैलासा’ की स्थापना की थी. नित्यानंद की वेबसाइट के अनुसार‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ कैलासा’ की जनसंख्या में 2 अरब धर्मनिष्ठ हिंदू शामिल हैं.

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