प्रो. चौथीराम यादव
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के एक पीएचडी छात्र, रजनीश कुमार अंबेडकर की जेनुइन पुकार विगत 10 माह से अनसुनी की जा रही है। यह है हमारे देश के शिक्षण संस्थानों की हैवानियत। उनकी मांग पूरा करने में न तो कोई वित्तीय भार पड़ना है और न कोई अतिरिक्त व्यवस्था करनी है। कुल मिलाकर एक दलित पीएचडी क्यों करे? यही है कुलपति की हेकड़ी। आज तो वह बीवी, बच्चों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। उन्होंने जो खुद लिखा है, वह पढ़ें-
मेरे पीएचडी प्रकरण से आप सभी सम्मानित जन परिचित ही होंगे ।
मैंने अपना पीएचडी शोध-प्रबंध मूल्यांकन करवाने के लिए दिनाँक – 26.05.2022 को स्त्री अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में जमा कर दिया था ।
पीएचडी शोध-प्रबंध जमा करने के 3 माह 11 दिन बाद असंवैधानिक व अन्यायपूर्ण तरीके से शोध-निर्देशक बदलने की प्रक्रिया की गई ।
अपने पीएचडी प्रकरण से संबंधित मैंने कई आवेदन-पत्र MGAHV विश्वविद्यालय प्रशासन, UGC, PMO, NCSC, राष्ट्रपति और NHRC को भेज चुका हूँ ।
दिनाँक- 26.03.2023 को पीएचडी शोध-प्रबंध जमा किए हुए मुझे 10 माह का समय बीत चुका है ।
MGAHV विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई सकारात्मक निर्णय न आने के कारण और लगातार मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर प्रताड़ित किया जा रहा हूँ । इन सब कृत्यों के खिलाफ दिनाँक- 25.03.2023 को मा. कुलसचिव महोदय को सूचना दिया था कि मैं दिनाँक- 27.03.2023 को विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के अंदर राष्ट्रनिर्माता बाबासाहब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के बताए संवैधानिक तरीके और गांधी जी के सुझाए सत्याग्रह पर अनिश्चित कालीन के लिए बैठने को विवश हूँ ।
आज दिनाँक- 27.03.2023 को जब मैं प्रशासनिक भवन आया देखता हूँ तो विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रशासनिक भवन के सारे प्रवेश द्वार में ताला लगवा दिया गया है और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है । मैंने अंदर आने के लिए सुरक्षाकर्मियों से बात की तो उन्होंने बताया कि आप अंदर नहीं आ सकते, मुझे अंदर जाने से रोक रहे हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई लिखित कारण भी नहीं बता पा रहे हैं ।
अभी मैं दिनाँक- 27.03.2023 को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के बाहर सत्याग्रह पर अनिश्चित कालीन के लिए बैठा हूँ ।
मेरी माँग है कि MGAHV विश्वविद्यालय प्रशासन मेरे पीएचडी शोध-प्रबंध का मूल्यांकन करवाकर, जल्द उपाधि प्रदान करें ।
(प्रोफेसर चौथीराम यादव काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे हैं. सेवानिवृत्ति के बाद वह विभिन्न सामाजिक कार्यों में लगातार सक्रिय हैं)