भजन कीर्तन कराएं प्राइमरी के मास्टर

उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। पिछले 10 साल में शायद ही कोई प्राइमरी स्कूल बना है. कहीं पेड़ के नीचे स्कूल चलता है, कहीं शौचालय नहीं है तो कहीं पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को एक-दो टीचर ही पढ़ाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्राइमरी स्कूलों के मास्टरों को पूजा पाठ कराने का काम भी सौंप चुकी है. सरकार ने इलाकावार पूजा-पाठ का अलग अलग कैप्सूल कोर्स भेजा है, जिससे उस इलाके की समस्याएं हल हो सकें.

इस सिलसिले में श्रावस्ती और सोनभद्र दो जिलों के शिक्षा अधिकारियों के कथित आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हैं.

भजन कीर्तन कराएं प्राइमरी के मास्टर
श्रावस्ती जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों को संबोधित पत्र में 22 से 30 मार्च 2023 तक चैत्र नवरात्रि यानी राम नवमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश दिए गए हैं.

श्रावस्ती जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों को संबोधित पत्र में 22 से 30 मार्च 2023 तक चैत्र नवरात्रि यानी राम नवमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि 22 मार्च से 30 मार्च चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है, जिसका वैदिक पुराणों में विशेष महत्त्व है. सर्कुलर के मुताबिक इसे आत्मशुद्धि और मुक्ति का आधार माना गया है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी और चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.

इसके हिसाब से स्कूलों में विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का शेड्यूल तय किया गया है और अध्यापकों को तिथिवार पूजा करानी है. अध्यापकों को बैनर बनाकर स्कूल ले जाना है और 2 फोटो और 1 मिनट का फोटो भी व्हाट्सऐप नंबर 8887860764 पर अनिवार्य रूप से भेजना है.

भेजे गए पत्र के मुताबिक श्रावस्ती के बेसिक

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सोनभद्र में बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओऱ से जारी खत में प्राइमरी के मास्टरों को मंदिर में जाकर अखंड रामायण का पाठ कराना है

शिक्षा अधिकारी पूजा पाठ को लेकर ज्यादा उत्साहित नजर आते हैं. वहीं सोनभद्र के जिला बेसिक अधिकारी ने उतना उत्साह नहीं दिखाया है.

सोनभद्र के वायरल खत के मुताबिक केवल 28 और 39 मार्च को अष्टमी और नवमी को अपने इलाके के मंदिरों में अखंड रामायण पाठ कराना है, जिसके लिए 3-3 योग्य शिक्षकों को लगाया जाना है.

 

अगर ये पत्र सही हैं तो सरकार की ओर से साफतौर पर कोई ठोस निर्देश नहीं दिख रहा है कि मास्टरों को करना क्या है. सोनभद्र में दो दिन मंदिर जाकर अखंड कीर्तन करना है, वहीं श्रावस्ती में पूरे सप्ताह तक पूजा पाठ में लगे रहना है. सरकार ने संभवतः क्षेत्रवार लोगों की समस्याओं के मुताबिक हर इलाके के लिए अलग अलग कैप्सूल कोर्स बनाया है.