पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पीछे पड़ी केंद्र सरकार

सत्यपाल मलिक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उन्हें राज्यपाल पद पर रहते 300 करोड़ रुपये रिश्वत देने की पेशकश की गई थी, अब वही इस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं…

पुलुवमा में 76 सैनिकों की हत्या के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर सवाल उठाने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है. कठित बीमा ‘घोटाला’ मामले में सीबीआई ने राजस्थान, दिल्ली में 12 स्थानों पर तलाशी ली है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित बीमा घोटाला मामले में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तत्कालीन सहयोगी के विभिन्न परिसरों तथा दिल्ली और राजस्थान में 11 अन्य ठिकानों पर 17 मई 2023 को तलाशी ली.

सौनक बाली, संजय नारंग, वीरेंद्र सिंह राणा, कंवर सिंह राणा, अनीता और प्रियंका चौधरी की तलाशी

सीबीआई की टीम ने मलिक के पूर्व सहयोगी सौनक बाली,चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय नारंग, वीरेंद्र सिंह राणा और कवंर सिंह राणा,प्रियंका चौधरी तथा अनीता से जुड़े दिल्ली और राजस्थान के आवासों और कार्यालयों में तलाशी ली है. केंद्रीय जांच ब्यूरो के मुताबिक दिल्ली में 10 स्थानों तथा राजस्थान में 2 जिलों में तलाशी की गई है.

मलिक से हुई थी पूछताछ

सीबीआई ने पिछले 28 अप्रैल 2023 को मलिक से पूछताछ की थी. उसके बाद यह कार्रवाई हुई. सीबीआई के मुताबिक इस मामले में वित्तीय दस्तावेजों के आकलन, डिजिटल साक्ष्य तथा आरोपियों और अन्य लोगों के बयानों को देखते हुए तलाशी अभियान जरूरी हो गया था. एजेंसी ने पिछले साल अक्टूबर 2022 में भी मलिक के बयान दर्ज किए थे.

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क्या है बीमा घोटाले का मामला

यह मामला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने और जम्मू कश्मीर में कीरू जलविद्युत परियोजना से जुड़े 2,200 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य से जुड़ा है. इस मामले में भ्रष्टाचार के मलिक के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी सीबीआई ने दर्ज की थी. उस समय मलिक ने दावा किया था कि जब वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, उस दौरान उन्हें 2 फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. मलिक  23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे थे.

रिलायंस और टिनिट्री हैं आरोपी

मलिक के आरोपों के बाद सीबीआई ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए चिकित्सा बीमा योजना से संबंधित अपनी प्राथमिकी में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है. कथित तौर पर योजना को 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में मलिक ने मंजूरी दी. बाद में यह योजना रद्द कर दी गई.

इससे जुड़ी एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत से जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करके आपराधिक कदाचार किया. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने ‘2017 से 2018 की अवधि के दौरान खुद को आर्थिक लाभ और राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह, जम्मू कश्मीर की सरकार को धोखा दिया।’

कीरू पनबिजली परियोजना से संबंधित कार्य के ठेके देने में कथित गड़बड़ी के बारे में दूसरी एफआईआर दर्ज हुई. इसमें आरोप लगाया गया है कि ई-निविदा से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया.

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