स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को केरल में मिली विशेष सुरक्षा

स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को केरल में मिली विशेष सुरक्षा, अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी

भारत में मेडिकल स्टाफ अतिरिक्त बोझ से जूझ रहा होता है. स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को केरल में मिली विशेष सुरक्षा से इस सेवा से जुड़े लोगों का विश्वास लौटेगा.

स्वास्थ्य क्षेत्र में खासकर सरकारी कर्मचारी विशेष तनाव से गुजरते हैं. खासकर अस्पताल आने वाले लोग तनाव में होते हैं और अगर उनके मरीज को कुछ हो जाए तो सारा गुस्सा मेडिकल स्टाफ पर निकाल देते हैं. केरल में भी वही हुआ. पिछले दिनों एक मरीज ने एक डाक्टर की हत्या कर दी. केरल के कोल्लम जिले में तालुक अस्पताल में चिकित्सक वंदना दास पर एक मरीज ने सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली ब्लेड से हमला कर हत्या कर दी. इस हत्या के बाद से राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों में खासा गुस्सा था.

क्या है अध्यादेश

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में 17 मई 2023 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘केरल स्वास्थ्य देखभाल सेवा कार्यकर्ता तथा स्वास्थ्य देखभाल सेवा संस्थान (हिंसा व संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) संशोधन अध्यादेश 2012’ को मंजूरी दे दी गई.

स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को क्या सजा मिलेगी

उसके बाद केरल सरकार ने चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और मेडिकल छात्रों की सुरक्षा से जुड़े एक अध्यादेश को 17 मई, 2023  को मंजूरी दे दी. केरल सरकार के अध्यादेश के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत लोगों के खिलाफ हिंसा करने वालों को अधिकतम 7 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

किसी भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता या पेशेवर को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने के दोषी व्यक्ति को 1 साल से 7 साल तक के कारावास की सजा दी जाएगी. उस पर 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

यदि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य कर्मियों या स्वास्थ्य संस्थानों में काम करने वालों के खिलाफ हिंसा करता है या इसकी कोशिश करता है या ऐसा करने के लिए उकसाता है तो उसे कम से कम 6 महीने से 5 साल तक की कैद की सजा तथा 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

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पहले क्या था कानून

संशोधन से पहले तक केरल हेल्थकेयर सर्विस वर्कर्स ऐंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा व संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम 2012 के तहत, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों के खिलाफ हिंसा के किसी भी कृत्य या किसी चिकित्सकीय संस्थान की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए सजा व जुर्माना कम था. इसके तहत अधिकतम 3 साल की कैद और 50,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था.

किन लोगों को मिलेगा कानून का लाभ

कानून में पंजीकृत तथा अनंतिम (प्रोविजनल) रूप से पंजीकृत चिकित्सक, पंजीकृत नर्स, मेडिकल छात्र, नर्सिंग छात्र और स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत पैरामेडिकल कर्मियों को सुरक्षा दी गई है. अध्यादेश के तहत पैरामेडिकल छात्रों को भी कानून के तहत सुरक्षा मिंल सकेगी. इनके अलावा, पैरामेडिकल कर्मियों, सुरक्षा गार्ड, प्रबंधकीय कर्मचारी, एम्बुलेंस चालक, सहायक जो भी स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संस्थानों में तैनात हैं या उनमें काम करते हैं इसका लाभ पाएंगे. साथ ही समय-समय पर आधिकारिक सरकारी राजपत्र में अधिसूचित स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी इस अध्यादेश के अधीन आएंगे.

समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी सुनवाई

अध्यादेश में कहा गया है कि अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी. हर जिले में विशेष अदालतों को शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए नामित किया जाएगा. अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच एक ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, जो निरीक्षक के पद से नीचे का न हो और प्राथमिकी दर्ज होने के 60 दिन के भीतर जांच पूरी की जाए.

उम्मीद की जा रही है कि इस अध्यादेश को जल्द ही राज्यपाल से मंजूरी मिल जाएगी. डॉक्टरों व स्वास्थ्य से जुड़े स्टाफ की सुरक्षा के लिए हर राज्य में कानून हैं. केरल सरकार ने अब पहले की तुलना में कानून को और सख्त कर दिया है. उम्मीद है कि इससे चिकित्सा सेवा में काम कर रहे लोगों का भरोसा लौटेगा.

 

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