नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध

नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध : लोकतंत्र में राजशाही भव्यता और जनता के दमन का साक्षात गवाह बनी दिल्ली

नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध 28 मई, 2023 को दिल्ली का एक नया इतिहास लिखकर चला गया. यह ऐतिहासिक दिन लोकतंत्र की राजशाही भव्यता और सड़कों पर घसीटे जाते उन आम नागरिकों के लिए जाना जाएगा, जिनके मेडल जीतने पर कभी भारत ने उन्हें सर आंखों पर बिठाया था..

नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध दिल्ली के इतिहास में अद्भुत तरीके से दर्ज हो चुका है. जनसंख्या के हिसाब से विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राजधानी दिल्ली 28 मई 2023 को ऐतिहासिक घटनाओं में दर्ज हो गई. सल्तनत काल, मुगल काल और ब्रिटिश महारानी के शासनकाल की गवाह रही राजधानी में एक तरफ नई बनी भव्य संसद का उद्घाटन चल रहा था, वहीं उसके 500 मीटर की दूरी पर खेल जगत के वे सितारे सड़क पर घसीटे जा रहे थे, जिनके तिरंगा लेकर दौड़ने पर देशवासियों की रगों में उत्साह की सुरसुराहट फैल जाती थी. जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी सम्राट की भांति राजदंड थामे मुस्कुरा रहे थे, उसी बीच सोने का तमगा जीतने वाली देश की बेटियां पुलिस के दंड थामकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही थीं. संसद में बज रहे भव्य नादस्वरम् और सड़क पर घसीटी जा रही बेटियों की चीखें एक साथ वातावरण में सुनाई दे रही थीं.

पहले बात करते हैं नए संसद भवन के भव्य उद्घाटन की. प्रेस क्लब और कृषि भवन के ठीक सामने बने नए संसद भवन को सेंट्रल विस्टा नाम दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसद भवन बनवाने का ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा हुआ था. नई दिल्ली इलाके में आम आदमियों का प्रवेश लगभग वर्जित था. विपक्ष इस संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार पर था. चोल शासकों की तरह सेंगोल नाम के राजदंड थामकर प्रधानमंत्री एक शाही उद्घाटन करने वाले थे. देश भर के भाजपा शासित राज्यों के नेता और मंत्री राजधानी में जमा हुए थे. यूं समझें कि दिल्ली के सम्राट के सारे सामंतों के लिए राजधानी का नई दिल्ली इलाका खुला हुआ था और चमक दमक से भरपूर यह वीवीआईपी इलाका आम लोगों के लिए डरावना था. वहां मौजूद सामंत हर हर महादेव, मोदी मोदी, जय श्री राम के नारे लगाते रहे.

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पुराने दौर के कपड़े पहने प्रधानमंत्री मोदी शाही इंतजाम के बीच मुस्कुराते हुए द्वार संख्या-1 से संसद भवन परिसर में घुसे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित तमाम नेताओं ने उनकी अगवानी की. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भव्य सजे लोकतंत्र के दरबार में उपस्थित थे.

नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध
हाथ में राजदंड लेकर मोदी ने तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया. दक्षिण भारत के ‘नादस्वरम्’ की धुन बजी. पूर्ण राजशाही शानोशौकत के बीच मोदी सेंगोल को नए संसद भवन लेकर गए और लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में इसे स्थापित कर दिया गया.

उन्हें महात्मा गांधी की प्रतिमा की ओर ले जाया गया, जिन्होंने इस देश को आजादी दिलाने के लिए हर अय्याशी छोड़कर नंगे रहना शुरू कर दिया था. लकदक सजे मोदी ने महात्मा गांधी की बुत पर फूल चढ़ाए. प्रधानमंत्री के स्वागत में कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों ने वैदिक मंत्र पढ़े. ‘गणपति होमम्’ किया.  उस राजशाही ‘सेंगोल’ (राजदंड)  सामने लेट गए, जो चोल राजवंश के शासकों के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताया जा रहा है. हाथ में राजदंड लेकर मोदी ने तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया. दक्षिण भारत के ‘नादस्वरम्’ की धुन बजी. पूर्ण राजशाही शानोशौकत के बीच मोदी सेंगोल को नए संसद भवन लेकर गए और लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में इसे स्थापित कर दिया गया.

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उधर संसद से महज 500 मीटर दूर एक अलग ही कहानी चल रही थी.  भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर नाबालिग लड़की सहित कई पहलवानों के साथ बलात्कार करने के न सिर्फ आरोप लगे हैं, बल्कि दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में मुकदमा भी दर्ज किया है. पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन दोबारा शुरू किया था. बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप है.

धरने पर बैठी महिला पहलवानों ने घोषणा कर रखी थी कि वह अपने लिए न्याय मांगने नए संसद भवन जाएंगी. सरकार ने उनकी बातों को भव्यता में खलल माना. शाही शानो शौकत और चमक दमक में यह कैसे बर्दाश्त किया जा सकता था कि आम इंसान अपना दर्द बयान करने संसद में आए. लोकतंत्र की इस राजशाही भव्यता में केंद्र सरकार की पुलिस ने उन्हें संसद जाने की इजाजत नहीं दी और उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी. यह कहा गया कि संसद के आलीशान कार्यक्रम में खलल डालना राष्ट्रद्रोह है.

कानून और व्यवस्था के विशेष पुलिस आयुक्त दीपेंद्र पाठक ने पहलवानों से नए संसद भवन के उद्घाटन के ‘ऐतिहासिक दिन’ पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि आज हमारी नई संसद का उद्घाटन है. यह हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन और गर्व का क्षण है. इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार का आंदोलन या मार्च राष्ट्र-विरोधी है.

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वहीं देश के लिए सोने का तमगा जीतने वाली विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और साक्षी मलिक को यह नहीं पता था कि लोकतंत्र में उस मेडल की कीमत कुछ नहीं होती है. जनता मेडल मिलने पर कुछ देर तक नाचती कूदती है, उसके अलावा उसकी कोई वैल्यू नहीं. दोनों पहलवान, उनके अन्य साथी, बजरंग पूनिया सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए नए बने संसद भवन की ओर बढ़ने लगे.

नया संसद भवन और मेडलिस्ट पहलवानों का प्रतिरोध
देश के लिए सोने का तमगा जीतने वाली विनेश फोगाट, संगीता फोगाट को यह नहीं पता था कि लोकतंत्र में उस मेडल की कीमत कुछ नहीं होती. ऱाष्ट्रध्वज पीड़ितों के हाथ हो तो औंधे मुंह पड़ा होता है.

पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. पुलिस के जवानों ने शाही जश्न में खलल रोकने के लिए पहलवानों खींचकर बसों में बिठाया. उन्हें अलग अलग स्थानों पर ले जाया गया.

शायद दिल्ली पुलिस को 1857 की जंग याद आ गई होगी, जिसमें बहादुर शाह जफर के तीन बेटों को अंग्रेज अफसर को मार डालना पड़ा था. कैप्टन हडसन ने 3 मुगल राजकुमारों मिर्जा मुगल, मिर्जा अबूबकर, खिज्र सुल्तान को 22 सितंबर 1857 को हुमायूं के मकबरे पर हिरासत में लिया था. उन्हें एक बैलगाड़ी में दिल्ली यानी लाल किला भेजा गया, जो उस समय देश की राजधानी उसी तरह थी, जैसी आज संसद है. कैप्टन हडसन उनके पीछे पीछे आए और यही लाल दरवाजे पर उनसे मिले. चारों ओर बहुत भीड़ थी. इस भय से कि भीड़ कहीं राजकुमारों को मुक्त न करवा ले, कैप्टन हडसन ने उनके ऊपरी वस्त्र उतरवा लिए और तीनों को एक एक करके गोली मार दी.

28 मई, 2023 को देश के आम नागरिकों के दिलों में बसने वाली रानियों विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और साक्षी मलिक को गिरफ्तार किया गया. संभव है कि यह डर रहा हो कि शायद उनके मेडल जीतने पर बल्लियों उछलने वाली जनता विद्रोह कर दे और अपने पहलवानों, अपनी बेटियों को छुड़ाने के लिए पुलिस को घेर ले! ऐसे में उन्हें जबरदस्ती बसों में बैठाकर अलग-अलग स्थलों पर भेज दिया गया. पुलिस ने पहलवानों के अन्य सामान के साथ चारपाई, गद्दे, कूलर, पंखे और तिरपाल की छत को जंतर-मंतर से हटा दिया, जिसके सहारे वह तेज धूप, बारिश, आंधियों के बीच सड़क पर बैठे हैं.

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