नरेंद्र मोदी सरकार पिछले 9 साल से एक्रोनिम पर चल रही है. हर विभाग में एक्रोनिम बनते रहते हैं। चुनावी भाषणों में भी तरह तरह के एक्रोनिम चलते रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में बने विपक्षी गठजोड़ का नाम इंडिया रखा गया। विपक्षी दल नरेंद्र मोदी के पिच पर खेल गए और आखिरकार नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठजोड़ के नाम इंडिया की हवा निकाल दी. विपक्ष के भक्त अब सफाई देते फिर रहे हैं.
नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठजोड़ के नाम इंडिया की यह कहकर हवा निकाल दी कि नाम से क्या होता है, नाम तो इंडियन मुजाहिदीन भी है. अब विपक्ष के समर्थक इंडिया नाम पर सफाई देते फिर रहे हैं. मोदी ने विपक्ष के एक्रोनिम को अपने हिंदू, मुसलमान और आतंकवाद की पिच पर ला पटका.
यह सब देखकर मेरी कुछ पुरानी स्मृतियां ताजा हो गईं. आचार्य राम पटल नाम से लिखने वाले हमारे फेसबुक मित्र ने करीब 5 साल पहले होली कविता लिखकर केंद्र सरकार को एक्रोनिम सरकार बताया था। तब मेरा ध्यान इस तरफ गया और मौजूदा केंद्र सरकार अभी भी एक्रोनिम पर चल रही है।
भाजपा आरएसएस की ताल पर खेलते हुए विपक्ष ने सोचा कि हम भी एक्रोनिम बनाएंगे और इंडिया बन गया। भक्तों ने हाथोंहाथ लिया और यह साबित किया कि नाम का बड़ा महात्म्य है, आप नाम रखकर केजरीवाल ने दिल्ली जीत ली, आदि आदि।
मैं चुपचाप इस इंडिया क्रांति को देख रहा था और फील करने की कोशिश कर रहा था कि विपक्ष ने क्या सचमुच कोई क्रांति कर दी है? क्या यह कोई ऐतिहासिक काम हो गया और मैं इस क्रांति से वंचित रह गया? लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरह क्रांति मची, उससे लगा कि थोड़ा बहुत जग जीत लिया विपक्षी गठजोड़ ने। हृदय यह स्वीकार नहीं कर पा रहा था कि कोई क्रांति मची है। और यही फील होता रहा कि यह तो भाजपा के ही पिच पर खेलने जैसा है!
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान दे दिया कि इंडियन मुजाहिदीन में भी इंडियन लगा हुआ है! नाम रख लेने से कुछ नहीं होता। कांग्रेस और विपक्ष के भक्त इसका खंडन करने में जुट गए कि मोदी को इंडिया ही इंडियन मुजाहिदीन लग रहा है। यह क्रांति सोशल मीडिया पर कुछ दिन या हफ्ते भर चलनी ही है। भाजपा के निराश हताश समर्थकों को भी जोश मिल गया है कि यह विपक्ष का गठजोड़ इंडिया मीयों वाला इंडियन मुजाहिदीन है। नरेंद्र मोदी कांग्रेस के नेतृत्व में बने एक्रोनिम को अपने हिन्दू मुस्लिम की लोकप्रिय पिच पर बड़ी आसानी से खींच ले गए हैं। विपक्ष के भक्त व्याकुल हैं। दोनों पक्षों की कुछ दिन की व्याकुलता के बाद मामला ठंडा पड़ जाएगा.
सत्ता में आने वाले या राजनीति, धर्म या किसी भी फील्ड में अपनी जमीन बनाने वालों का अपना पिच होता है, वह उस पर खेलते हैं और जनता को उस पिच पर ले जाते हैं। वहीं 2014 के बाद भारत की जनता ऐसे विपक्ष के चंगुल में फंसी है, जिसका अपना कोई पिच नहीं है। भाजपा/नरेंद्र मोदी उसे अपनी ताल पर नचा रहे हैं! यह मूल वजह है जिससे भाजपा को कोई खतरा नहीं हो रहा है।
राहुल गांधी ने अदाणी घोटाले का मसला उठाया। उस मसले पर नरेंद्र मोदी से लेकर पूरा आरएसएस असहज था। अब मोहल्लों में यह चर्चा है कि अदाणी ग्रुप ने कांग्रेस को पैसे पहुँचा दिए और उसका मुंह बंद हो गया। इसी तरह बेरोजगारी वगैरा का भी मसला है। जातिवाद और जाति उन्मूलन का मसला है। जाति विशेष के लोगों के वर्चस्व का मसला है। इस पर भाजपा असहज होती है। लेकिन विपक्ष इन मसलों पर स्पिट एंड रन की रणनीति अपनाता है! उसे भाजपा और नरेंद्र मोदी की धुन पर नाचने की आदत बन गई है.
एक कहावत है, सबहिं नचावत राम गोसाईं। वह राम गोसाईं फिलहाल नरेंद्र मोदी हैं। विपक्ष नरेंद्र मोदी की धुन पर नाच रहा है।