जिस भी आरोपी या अपराधी को नरेंद्र मोदी अपने साथ लेते हैं, उसकी किस्मत और छवि रातोंरात चमक जाती है

जिस भी आरोपी या अपराधी को नरेंद्र मोदी अपने साथ लेते हैं, उसकी किस्मत और छवि रातोंरात चमक जाती है

मणिपुर के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री टेनी और ब्रजभूषण शरण सिंह से लेकर गोपाल कांडा तक अगर कोई भी नरेंद्र मोदी की शरण में आता है, जो उसे नायक बनाने में मोदी का प्रोपेगंडा ब्रिगेड जुट जाता है. बता रहे हैं अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

नरेंद्र मोदी की महिमा वाकई अपरम्पार है। जो कोई मोदी की शरण में आता है, उसका नसीब रातों- रात ऐसा चमक जाता है कि चाहे पूरी दुनिया उसके ऊपर किसी भी तरह का आरोप लगाए, देश की पुलिस या किसी भी जांच एजेंसी और कोर्ट को उस व्यक्ति के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाता।

अपने जीवन में वह चाहे जितना बड़ा खलनायक रहा हो, मीडिया और सोशल मीडिया में मोदी की प्रोपेगंडा ब्रिगेड का एक- एक सिपाही अचानक उसे नायक बनाने की मुहिम में जुट जाता है।

यही नहीं, शरण में आने वाला यदि बरसों से जेल में भी बंद हो तो भी उसके लिए कोर्ट चमत्कारिक रूप से बंद दरवाजे भी खोलने के लिए मजबूर हो जाता है।

अभी दस दिन पहले गोपाल कांडा के दल को एनडीए की बैठक में आमंत्रित करके पहली बार कांडा के खुले तौर पर एनडीए में शामिल होने की पुष्टि की। और उस बैठक के मात्र सात दिनों के भीतर दिल्ली की अदालत ने जेल में बंद कांडा को बरी करते हुए बेदाग और आजाद घोषित कर दिया।

इन्हीं गोपाल कांडा का नसीब तब से ही खोटा चल रहा था , जबसे अपने दल का समर्थन देकर वह कांग्रेस की हरियाणा सरकार में गृह मंत्री बने थे। उस वक्त गोपाल कांडा को सुसाइड लेटर में अपनी मौत का जिम्मेदार बताते हुए एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा ने खुदकुशी कर ली थी।

कांडा जेल चला गया। फिर अपनी मृत बेटी को इंसाफ दिलवाने और कांडा को सजा दिलवाने के लिए गीतिका की मां ने भी अदालत में मोर्चा खोल दिया।

मगर छह ही महीने बाद गीतिका की मां ने भी कांडा के डर से खुदकुशी कर ली और सुसाइड लेटर में कांडा को ही अपनी मौत का जिम्मेदार भी ठहराया।

दो- दो सुसाइड लेटर में नाम दर्ज होने के बाद गोपाल कांडा जेल में सड़ रहा था और अपनी सजा के सुनाए जाने का इंतजार कर रहा था।

फिर भए प्रगट कृपाला दीन दयाला यानी नरेंद्र मोदी का अवतरण दिल्ली की सत्ता में हुआ। कांडा ने देर से ही सही लेकिन कांग्रेस का दामन छोड़कर मोदी जी के खेमे में शरण ली। अर्थात कांडा एनडीए में शामिल हो गया।

फिर क्या था, मणिपुर के मुख्यमंत्री, बृज भूषण शरण सिंह, गृह राज्य मंत्री टेनी के सुपुत्र, अदानी, अनिल अंबानी आदि जैसे देशभर के तमाम ऐसे नेताओं – उद्योगपतियों की सूची में वह भी शामिल हो गया, जो मोदी खेमे में आते ही कोर्ट, मीडिया, पुलिस आदि हर तरह की जांच से बाइज्जत बरी हो गए या फिर बेशुमार आरोपों के बावजूद देश की किसी जांच एजेंसी को उनके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं मिल सका।

कांडा के जिम्मे अब भाजपा ने चौटाला के क्षेत्र में चुनावी खाता खोलने का अहम काम सौंपा है, जो कांडा जेल में रहकर शायद पूरी मेहनत और ईमानदारी से न कर पाते। कांडा को जाट वोटों के जवाब में भाजपा की झोली में वैश्य वोट डलवाने हैं।

भाजपा की सरकार बनवाने में इतना बड़ा योगदान देने वाले ‘ श्री गोपाल कांडा‘ जी का नाम अगर कुछ और महिलाओं की आत्महत्या के किसी नए कांड में आ भी गया तो अब शायद उन्हें जेल जाने की भी नौबत न आए। क्यों कि अब वह जिस खेमे में हैं, उसमें शामिल नेताओं पर चाहे पूरी दुनिया जितने भी संगीन आरोप लगाए, इस्तीफा उनसे मांगा नहीं जाता, जांच एजेंसी या कोर्ट उनके खिलाफ सबूत ढूंढ़ नहीं पाती….

…..और मीडिया व सोशल मीडिया में उनकी जयजयकार इन आरोपों के बढ़ने के साथ और बढ़ने लगती है। यही तो महामानव और उनकी शरण में आने वालों पर पड़ने वाली उनकी वह महिमा का चमत्कार है, जिससे पार पाना राहुल गांधी जैसे तुच्छ मानव के लिए शायद असंभव ही है ….

 

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *