recent परफ़ॉर्मेंस देख कर नहीं, कम्पनी की कुंडली देखकर करें निवेश

प्रभात त्रिपाठी

म्यूचुअल फण्ड की दुनिया में इस समय रिटेल निवेशकों की निवेश की पहली पसंद स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड्स हैं। म्यूचुअल फंड्स में SIP का महीने का inflow लगभग पन्द्रह हज़ार करोड़ पर पहुँच चुका है यह तो लोगों ने समाचारों में देखा ही है। अगर जो पैसा निकाल लिया गया उसको एडजस्ट करके देखें तो जुलाई में इक्विटी में net inflow लगभग साढ़े सात हज़ार करोड़ है। इस साढ़े सात हज़ार करोड़ में से भी बड़ा हिस्सा यानि कि चार हजार करोड़ से ऊपर स्मॉल कैप फंड्स में गया है।
इस समय स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड्स में निवेशक खूब पैसा लगा रहे हैं, क्योंकि इस समय उनके रिटर्न सबसे ऊपर दिख रहे हैं। सामान्यतः रिटल निवेशक की आदत होती है कि recent परफ़ॉर्मेंस देख करΠ जहां रिटर्न आ रहे होते हैं वह वहीं निवेश करने दौड़ पड़ता है, बिना यह लॉजिक लगाए कि जहां वह निवेश कर रहा है वहाँ रिटर्न और जगह से बेहतर क्यों रहेंगे। फिर जब कुछ समय बाद रिटर्न उसकी उम्मीद ( क्योंकि उम्मीदें तो बड़ी बड़ी ही बांधी होती हैं) से कम होते हैं तो पैसा निकाल लेता है फिर कहीं ऐसे ही निवेश करने चल पड़ता है। इस समय कुछ लोग लार्ज कैप से पैसा निकाल कर भी स्मॉलकैप में डाल रहे हैं।
निवेश की दुनिया में लोग अक्सर recent performance देख कर निवेश करते हैं जबकि ऐसा करने के बजाय थोड़ा रिसर्च करके निवेश करना चाहिए और बेहतर होता है कि किसी अच्छे RIA या म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर की गाइडेंस पर काम करना चाहिए। कुछ साल पहले इसी तरह स्मॉलकैप में तेजी आने के बाद लोगों ने खूब निवेश किये थे और फिर ज्यादातर लोगों ने धैर्य खो दिया था कि यार किस्मत ही खराब है, गलत फंस गये।
शेयर बाज़ार के टोटल मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में स्मॉलकैप का हिस्सा लगभग केवल पन्द्रह फीसदी है इसलिए आम आदमी (जो कि बहुत एक्सपर्ट न हो) को अपने निवेश का भी छोटा हिस्सा ही इधर लगाना चाहिए, बहुत ज्यादा एलोकेशन देकर आप ओवरऑल मार्केट से बहुत ज्यादा रिटर्न नहीं बना पाएँगे, हाँ रिस्क जरूर बहुत ज्यादा लेंगे।

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