सोनिया गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग की धार और तेज कर दी है. सरकार की ओर से आहूत संसद के विशेष सत्र में उन्होंने जाति जनगणना कराए जाने पर विस्तार से चर्चा की मांग की है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘जातीय जनगणना की तत्काल जरूरत है.’’
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध और अडाणी समूह से जुड़े नए खुलासों की पृष्ठभूमि में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराने को कहा है.
उन्होंने पत्र में कहा, “संसद का विशेष सत्र राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए बिना बुला लिया गया. इस सत्र के एजेंडे के बारे में हमें जानकारी नहीं है.’’ सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से विशेष सत्र में भाग लेना चाहते हैं क्योंकि इससे हमें लोगों से संबंधित और महत्व के मामलों को उठाने का मौका मिलेगा. मुझे पूरी उम्मीद है कि इन मुद्दों पर चर्चा के लिए उचित नियमों के तहत समय आवंटित किया जाएगा.”
कांग्रेस नेता ने आग्रह किया कि देश की आर्थिक स्थिति खासकर महंगाई बेरोजगारी एवं छोटे उद्योगों पर संकट, किसान संगठनों के साथ समझौते के तहत एमएसपी लागू करने समेत किए गए कई वादों, अडाणी समूह से संबंधित जेपीसी की मांग, जातीय जनगणना कराने की मांग, केंद्र एवं राज्यों के संबंधों को नुकसान पहुंचाए जाने, प्राकृतिक आपदा के प्रभाव, चीन के साथ सीमा पर तनाव, हरियाणा एवं देश के कुछ अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और मणिपुर के मुद्दे पर विशेष सत्र में चर्चा की जाए.
गांधी ने कहा, ‘‘रचनात्मक सहयोग की भावना के तहत मैं आशा करती हूं कि संसद के आगामी सत्र में इन विषयों पर चर्चा कराई जाएगी.’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि पहली बार सरकार ने सत्र बुलाया है जिसका कोई एजेंडा नहीं बताया गया है. रमेश ने कहा,‘‘हम उम्मीद करते हैं कि यह विशेष सत्र सिर्फ सरकारी एजेंडा के आधार पर नहीं होगा. अगर यह विशेष सत्र सरकारी एजेंडे के आधार पर है तो हम इसे स्वीकार नहीं करगें, यह परम्परा के खिलाफ है.’’ संसद का यह विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलेगा.