महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में अब मराठों को कुर्मी होने का प्रमाणपत्र मिलेगा और उन्हें माना जाएगा ओबीसी

मराठों के आंदोलन के बीच महाराष्ट्र सरकार ने संदीप शिंदे समिति की सिफारिशें मान ली हैं. मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया तय करने के लिए नियुक्त उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी, जिसमें मराठों को कुनबी के रूप में ओबीसी प्रमाणपत्र देने की सिफारिश की गई थी।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सरदार बल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के मौके पर 31 अक्टूबर 2023 को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आरक्षण के लिए पात्र है.
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे के अनिश्चितकालीन अनशन और राज्य के कुछ हिस्सों में इस मांग को लेकर हिंसा की घटनाओं के बीच यह फैसला आया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि ओबीसी आयोग मराठा समुदाय के शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए नए आंकड़े एकत्र करेगा.
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के बयान में कहा गया कि न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति की पहली रिपोर्ट के बाद मराठा को कुनबी प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि मराठा आरक्षण की मांग से संबंधित कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश दिलीप भोसले, सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे और मारुति गायकवाड़ की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा. पिछले महीने मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र देने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करने को लेकर न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था.
इसमें समुदाय के ऐसे लोग हैं जिनके पूर्वजों को निजाम-काल के दस्तावेजों में कुनबी के रूप में संदर्भित किया गया था. वर्तमान महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र 1948 तक हैदराबाद रियासत का हिस्सा था. पिछले सप्ताह समिति को 24 दिसंबर तक का विस्तार दिया गया था.
मुख्यमंत्री शिंदे ने सुबह जरांगे से फोन पर बात की और आश्वासन दिया कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने पर मंत्रिमंडल की बैठक में ठोस निर्णय लिया जाएगा. कार्यकर्ता ने मांग की है कि राज्य भर में मराठा को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाए.
जरांगे ने मंगलवार को कहा कि मराठा समुदाय ‘‘अधूरा आरक्षण’’ स्वीकार नहीं करेगा और महाराष्ट्र सरकार को इस मुद्दे पर राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए.
कुनबी एक कृषक समुदाय है और यह समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण पाने का पहले से ही हकदार है. जरांगे ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात की है, मैंने एक बार फिर अपना रुख स्पष्ट किया है कि मराठों के लिए अधूरा आरक्षण स्वीकार्य नहीं होगा. सरकार को समूचे राज्य में मराठाओं के लिए आरक्षण की घोषणा करनी चाहिए. हम समूचे राज्य के मराठा भाई हैं और हमारा खून का नाता है. उन्होंने कहा कि समुदाय के केवल कुछ वर्ग को आरक्षण स्वीकार्य नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि 60-65 प्रतिशत मराठा पहले से ही आरक्षण के दायरे में हैं. सरकार को इसे बढ़ाकर राज्य में शेष मराठाओं को भी इसमें शामिल करना चाहिए. इसके लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाना चाहिए, विधेयक पारित करना चाहिए, इस उद्देश्य के लिए नियुक्त समिति की पहली रिपोर्ट को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें (कुनबी) प्रमाणपत्र देना चाहिए. जरांगे ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिन के दौरान मराठा समुदाय से बुद्धिजीवियों की एक बैठक अंतरवाली सराटी में होगी. राज्य के कुछ हिस्सों में आरक्षण की मांग को लेकर हिंसा की घटनाओं के बीच उन्होंने दावा किया कि मराठा कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने मराठा समुदाय की इच्छानुसार पानी पीना शुरू कर दिया है. समुदाय अब शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहा है. हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना चाहते हैं. हमारे दो कार्यक्रम अनशन और गावों में राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रहेंगे. आरक्षण की मांग को लेकर कुछ जन प्रतिनिधियों के कथित रूप से अपना इस्तीफा दिए जाने की खबर पर जरांगे ने कहा कि मैंने उन्हें इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है. अगर वे चाहते हैं तो वे कर सकते हैं लेकिन इसका समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. विधायक, सांसद और पूर्व विधायक एवं सांसद जैसे जन प्रतिनिधियों को एक समूह बनाना चाहिए और मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को इस वक्त बंद के आह्वान के बारे में नहीं सोचना चाहिए और सरकार को सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का संचालन जारी रखना चाहिए.
इससे पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक बयान जारी हुआ था जिसमें कहा गया कि सुबह शिंदे के साथ ‘संतोषजनक’ चर्चा के बाद जरांगे ने पानी पीना शुरू कर दिया है. जरांगे ने 25 अक्टूबर को दूसरी बार अनशन की शुरुआत की थी. इससे पूर्व उन्होंने पिछले महीने अनशन किया था लेकिन सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया था. सरकार ने कहा था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को उस दौरान के जरूरी दस्तावेज दिखाने पर कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जब यह क्षेत्र निजाम के राज्य का हिस्सा था. मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने 50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के उल्लंघन के लिए मराठा समुदाय को आरक्षण की मंजूरी देने वाले महाराष्ट्र के सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 को रद्द कर दिया था.

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