डॉ दिव्या पांडेय
“कुछ खिलाकर लाए हैं आप बच्चे को?”– कुश के पेट की सोनोग्राफी जाँच के दौरान उसके पिचके हुए गॉल-ब्लैडर को देखकर साथ आये उसके पापा से मुझे पूछना ही पड़ाI
“नहीं मैडम , सुबह तीन बजे के निकले हैं , कुछ नहीं खिलाया तब से I माँग तो रहा था ये बार-बार खाने को लेकिन अपनी भी कइयों बार सोनोग्राफी करवा चुका हूँ तो जानता हूँ कि जाँच से पहले खाना नहीं होता कुछ, वरना रिपोर्ट बिगड़ जाती है I” – समझदार पिता से अधिक एक भुक्तभोगी रोगी का स्वर था वह I
“शाम ही को खिला-पिलाकर सुला दिए थे तकरीबन आठ बजे कि सुबह जल्दी उठने में परेशान न करे , एक ही बस आती है जो सवेरे टाइम से पहुँचाती है यहाँ” – मेरे एक सवाल ने उनकी बहुत सारी शिकायतों को प्रषय दिया I
“मैडम, जरा ढंग से देखिएगा. पेट-दर्द की शिकायत आये दिन लगी रहती है इसे. अपेंडिक्स की जगह दर्द बतलाता है. लोकल में दिखाया तो बोले कि ऑपरेशन होगा. यही सोचकर यहाँ लाया हूँ कि सही-सही बीमारी तो पकड़ में आये पहले. मैडम, कहीं पेट में कीड़े तो नहीं इसे? बाहर की चीज़ें बहुत खाता हैI”
उनकी बातों की पृष्ठभूमि में मैंने अपना काम जारी रखाI कुश को पेट के दाहिने निचले हिस्से में लिम्फ की कुछ गठानों में सूजन थी जिनमें दबाने से दर्द यानी टेनडेरनेस भी थी. इसे मीज़ेन्टेरिक लिम्फएडीनाइटिस कहा जाता हैI इसका सम्बन्ध आँतों के इन्फेक्शन से हैI बच्चों, खासकर बाहर खाने वाले बच्चों में अक्सर यह शिकायत होती हैI अमूमन इन्फेक्शन की रोकथाम के साथ ही ये भी सामान्य हो जाती हैंI
मेरी जाँच भी हो गयी थी और मुझे कुश के दर्द का सबब भी मिल गया थाI फिर मन में एक शरारत सूझीI
“अब बाकी तो ठीक है, अंकल ! लेकिन कुश की पित्त की थैली पता नहीं क्यों पिचकी हुई है। मुझे डर है कहीं उसमें कोई बड़ी पथरी न फंसी हो! हाँ, अगर आप कहते कि उसने चार-पाँच घंटे के भीतर कुछ खाया है, फिर कोई बात नहींI वरना हो सकता है कि ऑपरेशन भी करवाना पड़े!” – ये कहते हुए मैं कभी मोनिटर, कभी कुश के चेहरे को देखती, पूरी संजीदगी सेI
“नहीं मैडम, कुछ नहीं खाया इसने रात से। तरस भी आता रहा मुझे इसका भूखा मुँह देख।” – लगा मानो खुद को कुश के भूखे रखने की पीड़ा का गुनहगार मानकर कटघरे में खड़ा कर दिया हो उन्होंने।
अस्पताल आने का मंतव्य ध्यान करते हुए अचानक से बोले “फिर मैडम, अब क्या करें ? कोई दूसरी जाँच करवानी होगी? अपेंडिक्स तो नहीं है इसे? आपने देखा न अच्छे से? ” – उनके भीतर का पिता, बालपन के दर्द के सबसे कुख्यात सौदागर के नामपर न चाहता थाI
“पापा! एक बात। ” – कुश सकपकाते हुए बोलाI
“ बस थोड़ी देर और रुको, चलकर खिलाते हैं कुछI”- कुश के पापा को बस उसकी भूख की रट याद थी।
इससे पहले कि मैं कुछ बोलती ….
“मैम, बस दो पूड़ी और थोड़ी-सी आलू की सब्जी खाई थी मैंने तोI”
“क्या !” – कुश के पापा के लिए वह उस समय का सबसे बड़ा झूठ था।
“ बहुत भूख लगी थी पापा, जब आप चाय पीने गए थे तब जल्दी से खालीं मैंनेI”
सात साल के कुश की उस मजबूरी पर हम सब खिलखिलाकर हँस पड़ेI उसके पापा ने जाँच के लिए की गयी सारी मेहनत पानी होता देखकर माथा पकड़ लियाI
मैंने उन्हें समझाया कि कुश को अपेंडिसाईटिस नहीं है और हालाँकि गॉल-ब्लैडर पिचका ज़रूर है लेकिन पथरी की वजह से नहीं. कुश की खाने की चोरी की वजह से ऐसा हैI लिम्फ़ की गठानों की सूजन के लिए उन्हें किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना होगा और आसान इलाज़ से उसे आराम मिल जाना चाहिएI हाँ, उसके बाहर खाने पर ज़रूर नियंत्रण रखना होगा ताकि बार-बार होने वाले इन्फेक्शन से उसे बचाया जा सके!
“पर मैडम यह पित्त की थैली और खाने का क्या संबंध है?” – पूरे वाक़ये के बाद उनके दिमाग़ में यह सवाल आना ही था।
“गॉल-ब्लैडर यानी पित्ताशय का काम यकृत द्वारा बनाये गए बाइल जूस/पित्त को संग्रहीत रखना होता हैI यह भ्रान्ति बहु-प्रचलित है कि पित्त का निर्माण भी पित्ताशय ही करता है जबकि ऐसा नहीं हैI यह थैलीनुमा संरचना पित्त के भाण्डारण और उसके सही समय पर निकास के लिए उत्तरदायी है। पित्त में उपस्थित कारक पाचन, खासकर वसायुक्त भोजन के पाचन से जुड़े हैंI
सोनोग्राफी से पहले मरीज़ को कुछ ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं, तक़रीबन आठ घण्टे पहले तक कुछ न खाने की सलाह मुख्यतः पित्ताशय को अच्छी तरह से ( बिना खाली हुए ) देखने की ज़रूरत को ध्यान में रख कर ही दी जाती है।”- कागज़ पर एक मामूली चित्र की सहायता से उन्हें बतलाया मैंने।
“ठीक मैडम, समझ आ गयी सारी बात। सबसे बड़ा सुकून इस बात का है कि किसी ऑपरेशन की ज़रूरत के बहकावे में नहीं आऊँगा अब।”
सिस्टर ने कुश को टॉफी थमाई , शरमाते हुए पापा की ओट में उँगली पकड़े लौट गया वह।
जाँच की इमेजेज़ प्रिंट करते समय मन हुआ कि गॉल-ब्लैडर को टैग कर दूँ – ‘चुगलखोर कहीं का !’