किसी देश में पूंजीवाद को हराकर कम्युनिस्ट शासन नहीं आया?

किसी भी देश में पूंजीपतियों और मजदूरों के संघर्ष और मजदूरों की जीत से कम्युनिस्ट सत्ता नहीं आई है. कहीं भी पूंजीवाद से कम्युनिज्म नहीं जीत पाया है. कम्युनिज्म ने एक शांतिप्रिय बौद्ध धर्म को बहुत नुकसान पहुंचाया है, बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस…

 

कम्युनिज्म में सर्वहारा वर्ग की तानाशाही की बात की गई है। कम्युनिज्म की थियरी यह है कि एक बुर्जुआ तबका होता है, जो सर्वहारा की मेहनत से सृजित पूंजी पर कब्जा कर लेता है। विश्व के मजदूर एक हों और बुर्जुआ को खत्म करके सर्वहारा की तानाशाही ले आएं।

अब कम्युनिस्ट देशों पर आते हैं, जिसके प्रतिनिधि रूस और चीन हैं।

रूस में जब बोल्शेविक क्रांति हुई तो सोवियत संघ में कोई पूंजीवाद नहीं था। वहां न तो कोई फैक्ट्री थी, न कोई मजदूर था। न तो किसी मजदूर का शोषण होता था। वहां विशुद्ध रूप से सामंतवादी शासन था। रूस का जार सेना के जवानों को पैसे देने की हालत में नहीं था। सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। उसमें ट्राटस्की ने अहम भूमिका निभाई। आखिरकार जार और उसके समर्थकों की वीभत्स तरीके से हत्या कर दी गई। वह सर्वाधिक कुख्यात नरसंहारों में से एक है। वहां कम्युनिज्म आ गया। न तो कोई पूंजीपति था, न किसी मजदूर का विद्रोह। अब रूस की हालत यह है कि एक बर्बाद तानाशाह देश है। न तो वहां कोई वैज्ञानिक शोध है और न कोई मैक्सिम गोर्की या कोई दार्शनिक रूस में पैदा हो रहा है। पूरी तरह असभ्य बर्बर और हमलावर देश बनकर उभरा है। जार के दौर वाली पैदा हुई जो पीढ़ी थी, उसके बाद वहां के ज्ञान विज्ञान खुशहाली का विनाश हो गया।

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अब चीन पर आते हैं। चीन में जब माओ ने क्रांति की तो वह भी एक निहायत सामंती देश था। ज्यादातर आबादी बुद्धिस्ट थी। जगह जगह रजवाड़ों टाइप थे जो सत्ता चलाते थे। न कोई फैक्ट्री न कोई फैक्ट्री मजदूर। उन छोटे छोटे इलाकाई सामंतों को डराया धमकाया गया। उनसे शासन छीन लिया गया। बस हो गई क्रांति।

साम्यवाद ने केवल चीन को बर्बाद नहीं किया। चीन ने एक अत्यंत खुशहाल देश तिब्बत पर कब्जा कर लिया। वहाँ के धार्मिक शासक दलाई लामा को खदेड़ दिया जो लम्बे समय से हिमाचल के धर्मशाला से अपना एक्सआइल सरकार चला रहे हैं। अगर वह बुद्धिस्ट न होते और शांति के समर्थक न होते तो वह भी इजराइल फिलिस्तीन की तरह एक निरंतर युद्ध वाला क्षेत्र बना हुआ रहता।

चीन खुद भी बर्बाद है। सर्वाधिक गरीबी, भुखमरी चीन में है। फ्री में आधे पेट लोग करते है और उसके दम पर यूरोप और पूरी दुनिया सस्ते माल पर अय्याशी करती है। चीन के भूखे नङ्गे लोगों को पूरी दुनिया की सेवा करने वाला मजदूर बना दिया गया है। वहां खुशहाली नाम की कोई चीज नहीं बची है। वह चाहे जितने ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी बन ले लेकिन किसी सभ्य देश का नागरिक चीन में नहीं बसना चाहता, चीन से उसका केवल इतना सम्बन्ध है कि चीनी मजदूरों का सस्ता माल उन देशों के लोगों को सस्ते में मिल सके। सभ्य देशों के नागरिकों को अमानवीय श्रम न करना पड़े।

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चीन ने म्यामार की सेना को समर्थन देकर वर्मा को बर्बाद कर दिया। वहां की लोकतांत्रिक नेता आंग संग सूकी की पूरी जिंदगी जेल में बीत गई। जिस बर्मा को सोने की चिड़िया, सबसे शांत मेहनतकश देश, सबसे प्रोग्रेसिव देश कहा जाता था, भारत के लाखों लोग वहां मजदूरी करने जाते थे, उस देश का नामोनिशान ही मिटा दिया इस कम्युनिज्म ने। यह सब हमारी आपकी आँख के सामने हुआ है और हो रहा है। कोई पुरानी बात नहीं है।

यह भी कोई छिपा खेल नहीं है कि नार्थ ईस्ट इंडिया में चीन ने किस कदर तबाही मचा रखी है।

इसके अलावा कम्युनिज्म ने एक शांत बुद्धिस्ट देश कोरिया को पूरी तरह नष्ट कर दिया। साउथ कोरिया अलग होकर थोड़ा समृद्ध है लेकिन कम्युनिस्ट प्रभाव वाला नार्थ कोरिया किस कदर तबाह है कि किसी भारतीय कम्युनिस्ट को वहां भेजा जाए कि जाओ कम्युनिज्म का आनन्द लो तो कोई जाने वाला नहीं है। चींख निकल जाएगी कि वहां कौन कम्युनिज्म है!

कम्युनिस्टों से पूछा जाए कि माओत्से से लेकर शी और लेनिन से लेकर ब्लादिमीर पुतिन, ज्योति बसु से लेकर प्रकाश करात तक कोई कम्युनिस्ट नहीं है और तुम्ही लोग बहुत बड़े कम्युनिस्ट की पूंछ हो जो अब अठन्नी चवन्नी में राहुल गांधी का जयकारा लगा रहे हो और पिछवाड़े से चवन्नी उठाने में लगे हो! या सरकारी नौकरी और हरामखोरी करके गिरोहबाजी और मुफ्तखोरी करके कम्युनिस्ट बने हुए हो? कौन ब्रांड के हो? उन लोगों ने कम से कम शासन अपने हाथ मे लेकर कोशिश की, तुम जौनपुर के किस खेत की मोटकी मुरई हो भाई?

अब यह फिर कहूँ क्या कि कम्युनिज्म और कैपिटलिज्म दोनों ही धन पर केंद्रित और मनुष्यता विरोधी विचारधारा हैं जिन्होंने मनुष्यों का अहित किया है? ये दोनों भाई भाई हैं जिनमें कम्युनिज्म की अपेक्षा कैपिटलिज्म लोगों को ज्यादा आकृष्ट करता है, लोगों को तुलनात्मक रूप से कम गुलाम बनाता है।

#भवतु_सब्ब_मंगलम

 

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