अक्सर लोग यह कहते हुए रोते रहते हैं कि फलाना बाबा दूसरों को त्याग सिखाते हैं, खुद महंगी कार से घूमते हैं। हमारी जिंदगी कितनी सच्ची है, इसलिए दुखी रहना पड़ता है। ऐसे लोग आंतरिक रूप से ईमानदार नहीं होते। अच्छा कर्म हर हाल में, हर परिस्थिति में सुख देता है, बुरा कर्म हर हाल और हर परिस्थिति में दुख देता है, बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस….
ध्यान, योग, पराभौतिक शक्तियों की तरफ आकर्षित होने वाले दो तरह के प्रमुख होते है। एक हैव्स वाले, एक हैव्स नॉट वाले।
जिनके पास हर धन संपदा, हर चिकित्सक तक पहुंच होती है, वह परेशान होकर आध्यात्मिक हो जाता है, पराभौतिक चीजों के बारे में सोचता है। हैव्स वालों में मुकेश अम्बानी या एकता कपूर जैसे लोग हैं, आनन्द महिंद्रा जैसे लोग हैं। मुकेश अम्बानी सब कुछ होते हुए बेटे की एक छोटी सी बीमारी से लाचार हो गए कि दुनिया का कोई डॉक्टर उसे सामान्य नहीं कर सकता। एकता कपूर के हर सीरियल के बाद उनकी उंगली में अँगूठिया बढ़ती जाती है। आनन्द महिंद्रा को अपनी हर गाड़ी के नाम के आखिरी शब्द ओ रखने में ही सफलता मिलती है। जो गाड़ियां ओ विहीन आई, वह फ्लॉप हो गईं।
इसी तरह से जो हैव्स नॉट वाले हैं, उनके पास ईश्वर, धर्म, पराभौतिक शक्तियों के अलावा कोई रास्ता ही नहीं होता। उनके पास इलाज के पैसे नहीं हैं खाने के पैसे नहीं है। उनको लगता है कि कोई पराभौतिक शक्ति है जो हमें कुछ न कुछ राहत दे देगी।
इन दोनों के बीच मध्य वर्ग है। वह सपने देखता है कि थोड़ा और कमा लेते तो दलिद्दर दूर हो जाता। थोड़ा और पैसा होता तो एम्स की जगह मेदांता गए होते और वहां के डॉक्टर हमको बचा लेते। वह बेचारा पेंडुलम बना हुआ है। ऐसे वर्ग के लोग अक्सर धार्मिक भी होते हैं तो पता चलेगा कि बहुत पूजा पाठ किया, नही काम बना तो वो नास्तिक हो जाते हैं। वाइस वर्सा भी ऐसा होता है कि कोई नास्तिक हो और आस्तिक हो जाए! कुल मिलाकर सारी क्रांति इसी कन्फ्यूज वर्ग के भरोसे है। यह बेहया टाइप वर्ग लगता है जो गरीबों को भक्त बनाकर क्रांति मचाकर कमाना चाहता है और अमीरों के सामने रीढ़विहीन पिस्सू बनकर अपनी कीमत लगवाने की कोशिश करता है। बड़ी अजीब स्थिति है मध्य वर्ग की! बिड़ले ही होते हैं जो मध्यवर्ग के होते हुए पेंडुलम की स्थिति से बाहर हो जाएं। धन के मामले ऊपर पहुँचने की कवायद में ज्यादातर मर खप जाते हैं। अक्सर उस लेवल पर नहीं पहुँच पाते कि समस्त भौतिक सुखों, समस्त सांसारिक भौकालों के बावजूद मजबूर हो जाएं कि अब क्या किया जाए? इस लाचारी के बारे में तो सोचा ही नही था कि मेदांता वाला भी हाथ खड़े कर देता है और अमेरिका ब्रिटेन वाला भी और कई बार लगता है कि यह सब भी धन बनाने की मशीन बनकर फंसे हैं जैसे मैं खुद फंसा हुआ था!
आजकल कोई बहुत विज्ञान विज्ञान चिल्ल्लाता है तो उससे अक्सर कह देता हूँ कि आप उतने ही विज्ञान हैं कि आठवीं तक विज्ञान पढ़कर वैज्ञानिक बने हुए हैं। जो बेचारे एमएससी टॉप कर सच मे साइंटिस्ट बने हैं, कमांडो सर्जरी कर रहे हैं, वह तो रोजाना विज्ञान की लाचारी देखते हैं।
सबसे बड़ी समस्या बिचबिचवा की होती है। खासकर वह लोग किसी बाबा से आकर्षित हो जाते हैं कि उधर ईजी मनी है। उसके बाद फिर अपनी धर्मपरायणता और साधुता को लेकर रोना पिटना मचा देते हैं कि हम बड़े अच्छे हैं लोग धोखा ही धोखा दे रहे हैं। फिर लोगों का भ्रष्ट आचरण गिनाने लगते हैं कि वह पापी है, देखिए… कितना शानदार जीवन जी रहा है!
बिचबिचवा बेचारा इसी में फंसा रहता है कि कोई भ्रष्ट पापी होकर पैसे बना रहा है! कोई बाबा लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे बना रहा है! मन में कहीं न कहीं चोर बैठा है कि हम भी पापी, चोर बन जाते, बाबा बन जाते तो खुश होते!
इनकी हालत ऐसे लोगों जैसी है जो बिरियानी खाना पाप मानकर वेज बिरियानी खाते हैं… कबाब खाना पाप मॉनकर दही और सोया कबाब खाते हैं!
भई पहले तय तो कर लीजिए कि बनना क्या है, करना क्या है? मन में पाप करने की मंशा है और नहीं कर रहे हैं और अंदर ही अंदर पाले बैठे हैं कि हमको भी वही बनना है, जिसको हम बैठकर सराप रहे हैं! यही आपके लिए काल बन जाता है और ठंडे होकर जीने नहीं देता। यह मनसा पाप बहुत अशांति लाता है, कहीं सुख से नहीं रहने देता है!
श्रावस्ती के जेतवन प्रवास के दौरान गौतम बुद्ध देवदत्त से कहते हैं…
इघ तप्पति पेच्च तप्पात पापकारी उभयत्थ तप्पति।
पापं में कतन्ति तप्पति भिथ्यो तप्पति दुग्गतिङ्गतो॥17॥
(इह तप्यति प्रेत्य तप्यति पापकारी उभयत्र तप्यति ।
पापं में कृतमिति तप्यति, भूयस्तप्यति दुर्गति गतः।।17॥)
इस लोक में सन्ताप करता है और परलोक में जाकर भी; पापी दोनों जगह सन्ताप करता है। ‘मैंने पाप किया है’ सोच सन्ताप करता है। दुर्गति को प्राप्त हो और भी अधिक सन्ताप करता है।
अगर आपको कोई बात बुरी लगती है, पाप लगती है तो उसे करने के बारे में कतई न सोचें। जब आप उसे पाप भी मानते हैं कि वह बाबा बनकरलोगों को धोखा देता है, हम भी बन जाएं तो आप भी पापी हैं, केवल अवसर नहीं मिल रहा है आपको। कहा जाए तो संभाव्य बलात्कारी, जो मजबूरी वश ब्रह्मचारी बना हुआ है!
अगर आप किसी चीज को बुरा मानते हैं, समाज के लिए गड़बड़ मानते हैं तो वह हर काल, परिस्थिति में बुरा ही है। उसी को बुद्ध ने सनातन धर्म बताया है जो हमेशा कायम था, कायम है और कायम रहेगा। उसी सनातन सत्य पर चलने पर आपको हर जगह शांति मिल सकती है!
श्रावस्ती के जेतवन में सुमना देवी के सवालों का जवाब देते हुए गौतम बुद्ध कहते हैं…
इघ नन्दति पेच्च नन्दति कतपुज्जो उभयत्थ नन्दति ।
पुत्रं मे कतन्ति नन्दति भिय्यो नन्दति सुगति गतो ॥18॥
(इह नन्दति प्रेत्य नन्दति कृतपुण्य उभयत्र नन्दति।
पुण्यं मे कृतमिति नन्दति, भयो नन्दति सुर्गात गतः।॥18॥)
इस लोक में आनन्द करता है परलोक में जाकर भी; पुण्यात्मा दोनों जगह आनन्द करता है। “मैंने पुण्य किया है” सोच आनन्द करता है। सुगति को प्राप्त हो और भी अधिक आनन्द करता है।
बाबाओं की लीला बहुत निराली होती है। मैक्सिमम ऐसे मिलते हैं जो दूसरों को धन के लोभ से मुक्त करते हैं और खुद कभी मुक्त नही हो पाते। यहीं पर खेल हो जाता है।
रजनीश गपबाजी करके, चुटकुले सुनाकर, शानदार आवाज की उतार चढ़ाव और नशीली आंखों व मुस्कुराहट से लोगों को मोह लेते थे। लोगों की पराभौतिक चीजें जानने की इच्छा होती है, इसलिए उन चीजों से आकर्षित होते हैं। वह बहुत पढ़े लिखे थे और बड़े तार्किक लगते थे। वह हैव्स वालों के गुरु बने, लेकिन गपबाजी के उस्ताद।
आज एक वीडियो सुन रहा था, उनके शिष्य आनन्द अरुण का। वीडियो का एक अंश कमेंट में देख सकते हैं और मूर्खता का पूर्ण आनन्द लेना हो तो यू ट्यूब पर ले सकते हैं! आनन्द अरुण ने नेपाल में 400 ओशो आश्रम खोल रखे हैं। लेकिन असली रजनीशी गपबाजी करते हैं। बताने लगे कि अमेरिका और रूस ने मिलकर कोरोना फैलाया। हद तो तब हो गई जब उन्होंने बताया कि परमाणु संपन्न देश के राष्ट्राध्यक्ष अपने साथ सूटकेस लेकर चलते हैं, जिससे युद्ध होने पर तत्काल कार्रवाई का आदेश दे सकें, क्योंकि आज के युद्ध मे 2 मिनट में दुनिया खत्म हो जाएगी! अब अगर कोई मेरे टाइप अहीर होगा, जिसके आधे परिचित रिश्तेदार सिपाही हों,कमांडो ट्रेनिंग देते हों तो वह आराम से बता देगा कि वह खाली बैग होता है और उसमें बटन दबाने पर एक फुल साइज सुरक्षा कवच टाइप खुल जाता है। उससे कमांडो सब खतरे की स्थिति में वीआईपी पर्सन को ढंक लेते हैं जिससे उसे गोली न लगे! लेकिन गपबाजी, झूठ, फरेब से चेला बनाने का भी एक अलग ही बिजनेस है।
आप खुद अपने विजडम का इस्तेमाल करिए। आपको कोई बेवकूफ बनाकर चेला नहीं बना पाएगा। आपके मस्तिष्क में अपार संभावना है। हम मनुष्य जितना जानते हैं उससे कई हजार गुना नहीं जानते हैं।
#भवतु_सब्ब_मंगलम