हम अपनी मानसिक स्थिति के मुताबिक प्रतिक्रिया देते हैं और उसी को सत्य मान लेते हैं- यह दुख देता है

हम अपनी मानसिक स्थिति के मुताबिक प्रतिक्रिया देते हैं और उसी को सत्य मान लेते हैं- यह दुख देता है

समाज में आप जो भी प्रतिक्रियाएं देते हैं, वह आपकी मानसिक स्थिति के कारण होता है। कोई चीज आपको सत्य और सही लग सकती है, वही दूसरे किसी को असत्य और गलत लग सकती है। इसका मतलब यह है कि आप जिसे सत्य मानते हैं, वह सार्वभौमिक, सार्वकालिक सत्य नहीं है, वह परम सत्य या अल्टिमेट ट्रुथ नहीं है,  बल्कि आपकी मनोदशा की प्रतिक्रिया मात्र है।  आपका थॉट प्रॉसेस कॉज ऐंड कंडीशंस से संचालित होता है… बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस

बदलावों से आहत होने और खुश होने वालों का ग्रुप बन जाता है। यह खुशी और दुःख दोनों ही अस्थाई होते हैं। जब खुशी पैदा होती है तो वह एक दुःख का बीज बोती है क्योंकि जैसे ही बदलाव होता है तो वह खुशी, दुःख में बदल जाता है।
ऐसे में परम सत्य यानी अल्टीमेट ट्रुथ को समझ लेना जरूरी है। अल्टीमेट ट्रुथ वह होता है, जिसमें कभी कोई बदलाव नहीं होता है। वह परम सत्य है और हमेशा वह सत्य रहता है।
अब सवाल यह उठता है कि परम सत्य क्या है? संसार में 3 परम सत्य होते हैं। चित्त, चेतसिक और रूप।
चित्त एक बहुत व्यापक अवधारणा है। इसे हिंदी में चेतना कह सकते हैं, इंग्लिश में इसे consciousness कह सकते हैं। हमारे मन मे क्षण प्रतिक्षण विचार उत्पन्न होते हैं, हर पल चेतना में बदलाव होता रहता है। इससे अलग अलग प्रकार का चित्त निर्मित होता है।
चेतसिक ऐसे मानसिक तत्व हैं जिनकी उत्पत्ति चित्त के साथ होती है और चित्त के साथ ही यह नष्ट हो जाता है।चेतसिक इसी मेंटल फैक्टर को कहते हैं। चित्त और चेतसिक एकसाथ मिलकर काम करते हैं।
रूप मतलब मैटेरियल फॉर्म, जो कुछ तत्वों से मिलकर बना होता है। जैसे हमारा शरीर एक रूप है।
चित्त, चेतसिक और रूप सशर्त हकीकत यानी कंडीशनल रियलिटी हैं। मतलब आपके भीतर जो विचार बन रहे हैं, लगातार आ और जा रहे हैं, उसी के मुताबिक आपके चित्त का निर्माण होता है और उसी के मुताबिक आपकी मानसिकता बनती है।
यह दोनों मिलकर आपका रूप सामने लाते हैं। यानी पल प्रतिपल आपका जो मेंटल लोचा चलता है उसके मुताबिक आपके चित्त का निर्माण हुआ और उस चित्त ने आपकी एक मानसिक अवस्था बनाई। तो आपका एक रूप उभरकर सामने आया।
जैसे ही आपके भीतर का लोचा चेंज हुआ, एक अलग तरह का चित्त बना, उसने एक अलग तरह की मानसिक अवस्था बनाई और फिर आपका एक अलग तरह का रूप निकलकर आया।
यानी यह cause और conditions पर निर्भर है। यह बदलता रहता है और उसी के मुताबिक आपका रूप सामने आता रहता है।
यह अल्टीमेट ट्रुथ है, यह परम सत्य है। क्योंकि यह होता ही होता है। इससे अगर आप आहत होते रहेंगे और इसे नहीं समझेंगे तो आप अपना कलेजा फाड़ते रहिए।
ये कॉज एंड कंडीशन्स आप खुद फील करें। अपने ऑफिस में फील करें कि बॉस ने आपको गरिया दिया या एक्स्ट्रा काम से दिया तो आपके भीतर क्या चला और किस तरह का चित्त बन गया और बॉस ने आपको पुचकार दिया तो आपका चित्त किस तरह का बना। और आपका चित्त और चेतसिक मिलाकर आपका क्या रूप सामने लेकर आए!
आप इसे अपनी पत्नी पर लागू कर सकते हैं कि पत्नी के साथ झगड़ा कर लिए, ऐसी स्थिति पैदा हुई। उसके मुताबिक एक चित्त बना और आपके दिमाग के न्यूरॉन्स ने पता नहीं कितना उसको बढ़ाया चढ़ाया। हो सकता है कि आप अपनी पत्नी के माँ बाप तक चढ़ जाएं, हो सकता है उसके चरित्र पर उंगली उठाएं या हो सकता है कि आपके भीतर हिंसा या सुसाइडल टेंडेंसी आ जाए। और चार दिन बाद आपने प्यार से बात किया, सेक्स किया उसके बाद अलग तरह की चेतना बनी। अपनी पत्नी को दुनिया की श्रेष्ठ नारी के रूप में देखने लगे। उसके मुताबिक रिएक्शन देने लगे और उसके मुताबिक आपका रूप उभरकर सामने आया।
यह पहले थियरी के रूप में समझें। फिर प्रैक्टिकल में देखें। उसके बाद इसको अपने नियंत्रण में ले लें। अगर इसे अपने नियंत्रण में ले लेंगे तो नित निरन्तर हो रहे बदलावों को पहचान लेंगे। कॉज एंड कंडीशन्स को तत्काल पकड़ लेंगे, उसे अपने मुताबिक मोड़ देंगे।
चलिए अब आप किसी अपने किसी प्रिय के चित्त, चेतसिक और रूप को फील करिए कि कैसे कैसे वह चेंज हुआ और आप पगलाए फिर रहे हैं। वह राहुल गांधी हो सकते हैं, नरेंद्र मोदी हो सकते हैं, दिलीप मंडल हो सकते हैं या कोई और…
लेकिन अल्टीमेट ट्रुथ यानी चरम और परम सत्य तो यही है
आज का नाश्ता यही है। असम में भी बलात्कार हुआ, उसको कहाँ हम जानते हैं? असर तो डालता है बंगाल वाला! यह चित्त और चेतसिक ही है जो आपके रूप बना रहा है! यही परम सत्य है! आप मीन्स हमारे फेसबुक पाठक से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जजों तक।
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