आयुर्वेद के मुताबिक खाने में स्टार्टर मिठाई होनी चाहिए। उसके बाद नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और फिर कसैला भोजन करना चाहिए, जबकि इस समय स्टार्टर तीखा या खट्टा होता है। इस समय की पार्टियों में खाने का क्रम आयुर्वेद के अनुकूल नहीं है, बता रहे हैं लखनऊ में शतभिषा आयुर्वेद के संस्थापक डॉ प्रदीप चौधरी…
आजकल रेस्तरां जाने का चलन बढ़ गया है। वहाँ का फिक्स रूल कहता है—पहले स्टार्टर (जो अधिकतर कटु रसात्मक होते हैं, जैसे सूप, चटपटे कबाब), फिर मुख्य भोजन, और अंत में ठंडा मीठा/आइसक्रीम बीच में सलाद और ठंढा रायता और कस्टर्ड । यह सुनने में ठीक लगता है, लेकिन क्या यह सच में सभी के लिए सही है?
इसपर आयुर्वेद की दृष्टि समझना जरूरी है
आयुर्वेद कहता है कि भोजन की शुरुआत मधुर रस से करनी चाहिए।
“मधुरादौ ततो लवणं अम्लं च पश्चात् कटु-तिक्त-कषायाः।”
(चरक )
अर्थात भोजन की शुरुआत मधुर रस से, फिर लवण (नमकीन) और अम्ल (खट्टा), और अंत में कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) व कषाय (कसैला) रस लेना चाहिए।
अब सोचिए, रेस्तरां का क्रम क्या कहता है? पहले तीखा-कटु, फिर नमकीन और अंत में ठंडा-मीठा। यानी उल्टी दिशा में जा रहे हैं!
कब कौन सा रस लेना चाहिए?
अगर आपको अच्छी भूख लगी है, तो पहले मधुर रस (हल्की मिठास वाला भोजन) लेना सही रहेगा। इससे सैटाइटी जल्दी आएगी और आप ज़रूरत से ज़्यादा नहीं खाएँगे।
अगर आपको भूख कम लगती है, तो भोजन से पहले हल्का कटु रस (सूप या अदरक-नींबू-पानी) लेना सही होगा ताकि अग्नि जाग्रत हो। लेकिन पहले से अच्छी भूख हो और फिर भी तीखा-चटपटा खा लिया, तो यह अनावश्यक रूप से अग्नि बढ़ा सकता है।
भोजन के अंत में ठंडी चीज़ें लेना सबसे बड़ी गलती है। गरम खाने के तुरंत बाद ठंडी चीज़ लेने से जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे भोजन का सही पाचन नहीं होता।
“अग्निवृद्धिकरं क्षारं लवणं दीपनी हिता।
विरुद्धं शीतमुष्णं च नाभ्यसेत्तु कदाचन॥”
अर्थात अग्निवर्धक चीज़ों के साथ ठंडी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुछ चीजें जिसपर ध्यान देना जरूरी है, मैं अधिकतर 50+ उम्र वालों से पूछता हूँ,क्या आप लोग बचपन में खाने के साथ सलाद खाते थे? पनीर खाते थे?
अधिकतर का जवाब ना में ही होता था। आप के घर पर क्या होता था?
कच्चा और पका हुआ भोजन साथ में लेना: जैसे सलाद + दाल-चावल, रायता + पुलाव। इनका पाचन तरीका अलग होता है, जिससे आम (टॉक्सिन्स) बन सकते हैं।
गरम खाने के तुरंत बाद ठंडा लेना: गरम रोटी-सब्ज़ी के साथ ठंडी कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम लेने से शरीर को शॉक लगता है, जिससे कई छोटी-मोटी समस्याएँ शुरू हो सकती हैं।
तो रेस्तरां जाएँ, लेकिन सोच-समझकर खाएँ!
हर नियम सबके लिए नहीं होता। इसलिए रेस्तरा के पेट नियम को नहीं आप पेट के नियम से चलिए ।अगर पेट की सुनेंगे तो सेहत और स्वाद दोनों में संतुलन बना रहेगा!