आजकल कर्ज लेकर घी पीने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। तरह तरह के ऋण उपलब्ध हैं। लोग लाभ हानि, ब्याज दर पर विचार किये बगैर फंस जाते हैं और अक्सर नुकसान उठाते हैं। इन्ही खतरों से आगाह कर रहे हैं जाने माने फाइनेंशियल प्लानर प्रभात त्रिपाठी…
भारत में 2018 में कर्ज लेने वालों में एक फीसदी लोग ऐसे थे जिनके पांच या उससे ज्यादा पर्सनल लोन टाइप चल रहे थे। अब 2023 में इस तरह के लोगों की गिनती बढ़ कर साढ़े सात फीसदी से भी ऊपर हो गई है। मतलब यह है कि private consumption की जो ग्रोथ हम लोग इधर कुछ सालों में देख रहे हैं उसमें आसानी से उपलब्ध कर्ज की बड़ी भूमिका है और कर्ज लेकर स्टेटस दिखाने बनाने वालों की गिनती ही नहीं बढ़ी है बल्कि उनमें खराब हालत वालों की गिनती भी तेजी से बढ़ रही है। आखिर कई जगहों से उधार चलाने वालों को जब सारे उधार चुकाने होंगे तो दिक्कत आएगी ही आएगी।
कुछ दिन पहले एक दूसरी जगह पढ़ा था कि ऐसे लोगों में तीस साल उम्र के आस-पास की कमाने वाली युवा पीढ़ी की गिनती ज्यादा है। अर्थात मसला कमाई न होने का नहीं है बल्कि खर्च कमाई से ज्यादा होने का है या कमाई कम हो जाने के बावजूद स्टेट्स नीचे न जाने देने का है।
ब्याज दरें ऊपर जाने के बाद पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड के बकाया, buy now pay later (BNPL) का इस्तेमाल और बढ़ गया है तथा इनके डिफॉल्ट का बढ़ता रेशियो भी कुछ समय में सामने आने की सम्भावना है।
कर्ज लेकर मौज करने वाली प्रवृत्ति और डिफॉल्ट के बढ़ते रिस्क के से आगे की निवेश से जुड़ी कुछ जरूरी बात जानें।
इधर कुछ सालों में P2P मतलब peer to peer lending का बाजार काफी बढ़ गया है। कई कम्पनियाँ व प्लेटफॉर्म आ गये हैं जो इस तरह का उधार लेने वालों और देने वालों के बीच bridge का काम कर रहे हैं। आमतौर पर जहां बैंक लोन देने में पीछे रहते हैं या नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियाँ भी पीछे रहती हैं वहाँ P2P वालों को अपना बिजनेस फैलाने का मौका होता है। जाहिर है कि ऐसी जगह ब्याज ज्यादा चार्ज किया जा रहा होता है और डिपॉजिटर्स को भी बाजार से ज्यादा ब्याज/रिटर्न ऑफर किया जाता है। ज्यादा गारंटीड मुनाफा कमाने के लिए लोग ऐसे प्लेटफॉर्म या app की तरफ आकर्षित होते हैं।
जब बाजार में ब्याज दरें ऊपर होती हैं, जैसे कि आजकल हैं तो दुनिया में सामान्यतः डिफॉल्ट का रिस्क बढ़ जाता है और P2P में तो यह कि रिस्क और भी ज्यादा है। जब तमाम लोन के दबाव में जी रहे कुछ लोग डिफॉल्ट करेंगे तो उनके होम लोन, ऑटो लोन, गोल्ड लोन, अपने बैंक के लोन आदि का नम्बर बाद में आएगा, पहले इसी तरह के unsecured का ही नम्बर आएगा। एक सीमा से आगे बढ़ने पर P2P में ज्यादा ब्याज के लालच में पैसा लगा रहे लोग भी इस आँच से अछूते नहीं रहेंगे। ज्यादा ब्याज या ज्यादा रिटर्न रिस्क के साथ ही आते हैं और जो लोग यह नहीं समझते कि वह कितना रिस्क ले रहे हैं उनके लिए अक्सर स्थितियाँ नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। आरबीआई ने ऐसी जगह दस लाख से ज्यादा रुपये जमा करने वालों के लिए सीए द्वारा प्रमाणित हैसियत का प्रमाण जरूरी भी बनाया है, मगर फिर भी कुछ लोग रिस्क के प्रति लापरवाह ही बने रहते हैं।
इसलिए peer to peer lending में जा रहे हों तो थोड़ा संभलकर रहें और आप का पैसा कहाँ लगेगा, रिटर्न कैसे आएगा, यह सब समझ कर ही आगे बढ़ें।