अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी ने झुग्गी वालों को भी लूटा!

अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी ने झुग्गी वालों को भी लूटा!

मुंबई में स्थित एशिया के सबसे बड़ी झुग्गी इलाके धारावी के विकास का ठेका अदाणी समूह को मिला.

भारतीय स्टेट बैंक, एलआईसी, पीपीएफ में लगे मध्य वर्ग का धन अदाणी समूह में लगाया ही गया है, सरकार ने समाज के सबसे निचले तबके से मुनाफा कमाने का ठेका भी इस समूह को दे दिया. मुंबई के धारावी इलाके के पुनर्विकास की परियोजना में अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए इसकी निविदा के नियम और शर्तों में बदलाव किया गया और इसकी वजह से अन्य कंपनियां दौड़ से बाहर हो गईं.

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने साक्ष्यों के साथ दावा किया कि नियम एवं शर्तों में बदलाव के कारण पहले सफल बोली लगाने वाली कंपनी बोली की प्रक्रिया से बाहर हो गई. उसके बाद यह ठेका अदाणी समूह को मिल गया.

एक नजर इधर भीः आने लगी है अदाणी समूह  की परियोजनाओं पर आंच  

रमेश ने कहा, ‘‘नवंबर 2018 में निविदा जारी की गई, तब दुबई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने प्रतिस्पर्धी कंपनी अदाणी इंफ्रास्ट्रक्चर को पीछे छोड़ दिया. कंपनी ने 7,200 करोड़ रुपये की सबसे अधिक बोली लगाई थी. रेलवे की जमीन के हस्तांतरण से जुड़े मुद्दों के कारण उस निविदा को नवंबर 2020 में रद्द कर दिया गया।’’

कांग्रेस का कहना है कि गड़बड़ी उसके बाद ही शुरू हुई. अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए इस टेंडर पर नए सिरे से काम शुरू हुआ. रमेश का कहना है, ‘‘नई शर्तों के साथ एक नई निविदा अक्टूबर 2022 में महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी हुई. अदाणी समूह ने इस टेंडर को 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर हासिल कर लिया, जो पहले की बोली से 2,131 करोड़ रुपये कम है।’’

सरकार ने टेंडर के नियमों और शर्तों में ऐसा बदलाव किया कि सेकलिंक को इसमें शामिल होने का मौका ही नहीं मिल पाया. कांग्रेस का कहना है कि अदाणी को 2,131 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया गया है.

एक नजर इधर भीः March of oppsiton in Adani case : अदाणी की रक्षा कंपनी और इलारा के संबंधों को लेकर संसद में हंगामा

रमेश ने कहा, ‘‘नियमों और शर्तों में बदलाव के कारण सेकलिंक को फिर से बोली लगाने का मौका नहीं मिला. बोली लगाने वालों के लिए तय कुल संपत्ति 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए कर दी गई. इससे बोली लगाने वालों की संख्या सीमित हो गई.’’

अगर किसी बोली में यह शर्त रख दी जाए कि इतने पैसे वाले ही बोली लगा सकते हैं, तो स्वाभाविक है कि बड़ी संख्या में लोग उस योजना से बाहर हो जाते हैं. सरकार ऐसा इसलिए करती है कि गंभीर बोलीकर्ता ही निविदा में शामिल हो सकें. लेकिन जब मन में खोट हो और किसी विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाना हो तो ऐसी शर्तें रख दी जाती हैं, जो केवल चहेती कंपनी ही पूरी कर पाए.

कांग्रेस ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा समर्थित महाराष्ट्र सरकार को निविदा के नियम एवं शर्तों को बदलने के लिए मजबूर किया, ताकि मूल विजेता को बाहर किया जा सके और एक बार फिर अपने पसंदीदा कारोबारी समूह की मदद की जा सके? क्या झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा जाएगा?’’

एक नजर इधर भीः Elara is promoter entity in a defence company of Adani : अदाणी के काले कारोबार का एक और खुलासा

24 जनवरी 2023 को आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट के बाद से अदाणी समूह घिरा हुआ है. इसमें समूह पर अनियमितता के आरोप लगाए गए थे. अदाणी समूह चौतरफा विवादों में घिर गया. इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है. वहीं अदाणी समूह लगातार सभी आरोपों को निराधार बताता रहा है.

अदाणी समूह को विश्व की दूसरी और एशिया की सबसे बड़ी स्लम बस्ती के पुनर्विकास का ठेका मिला है. 29 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र सरकार के प्राधिकारियों ने वित्तीय बोली खोली थी. इसके लिए 3 कंपनियों अदाणी, नमन ग्रुप और डीएलएफ ने बोली लगाई. नमन ग्रुप को टेक्निकल बिडिंग का पात्र नहीं पाया गया. मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक इसके लिए अदाणी समूह ने 5,069 करोड़ रुपये और डीएलएफ ने 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगाई. आखिरकार अदाणी रियल्टी को यह बोली मिल गई.

 

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *