अदाणी समूह की संसदीय समिति से जांच की जरूरत को बल

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने जो निष्कर्ष निकाले हैं, उससे मिला अदाणी समूह की संसदीय समिति से जांच की जरूरत को बल

उच्चतम न्यायालय की समिति ने कहा है कि वह निष्कर्ष नहीं निकाल सकी है कि कोई नियामकीय विफलता हुई. साथ ही समिति का कहना है कि सेबी अभी उन 13 संस्थाओं के असल मालिकों का पता नहीं लगा पाई है, जिन्होंने इनमें धन लगाया है. इससे अदाणी समूह की संसदीय समिति से जांच की जरूरत को बल मिला है.

उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति के अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित था और वह सेबी के कानून का उल्लंघन किए जाने के संदर्भ में किसी स्पष्ट नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. इससे अदाणी समूह की संसदीय समिति से जांच की जरूरत को बल मिला है और पूरे मामले की संसद की समिति से व्यापक और गहन जांच कराए जाने की जरूरत महसूस की जाने लगी है.

कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दल लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि अदाणी समूह के पूरे मामले की जांच संसदीय समिति करे, तभी निष्पक्ष और व्यापक रूप से स्थिति सामने आ पाएगी. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें की गई हैं जिनसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग को बल मिलता है.

रमेश ने कहा, ‘कांग्रेस लंबे समय से कह रही है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का बहुत ही सीमित अधिकार क्षेत्र है. यह ‘मोदानी घोटाले’ की जटिलता को देखते हुए इसको बेनकाब नहीं कर सकेगी.’

कांग्रेस का कहना है कि समिति की जांच में जब कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला तो समिति ने यह निष्कर्ष निकाला कि सेबी की तरफ से कोई नियामकीय विफलता नहीं हुई है. रमेश का कहना है कि हम इस रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 106 और 144 में दिए गए दो बिंदुओं का उल्लेख करना चाहते हैं जिससे जेपीसी के औचित्य को बल मिलता है. रमेश ने रिपोर्ट के एक अंश का हवाला देते हुए कहा कि सेबी इसको लेकर संतुष्ट नहीं है कि एफपीआई को धन देने वाले लोगों का अडाणी से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में की गई इस बात से कांग्रेस के इस सवाल की पुष्टि होती है कि 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए? रमेश के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अदाणी के 4.8 करोड़ शेयर उस समय खरीदे जब यह 1031 रुपये से बढ़कर 3859 रुपये हो गया था. रमेश के मुताबिक इससे सवाल खड़ा होता है कि एलआईसी के किसके हितों की पूर्ति कर रही थी? रमेश ने कहा कि समिति की रिपोर्ट को अदाणी को क्लिनचिट दिए जाने की बात कहना पूरी तरह फर्जी है.

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