आरक्षण को लेकर चल रहा है बड़ा घपला-घोटाला!

आरक्षण को लेकर चल रहा है बड़ा घपला-घोटाला!

आरक्षण को जाति पर आधारित करने वालों का यह एक तर्क हुआ करता था कि अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण होगा तो उससे उन जातियों को फायदा नहीं होगा जिनको नौकरियों और शिक्षा से वंचित रखा गया है।
उनका कहना था कि अगर 24 वैकेंसी आएगी तो 12 सीट जनरल रखकर उस सीट पर अमीर ब्राह्मण भर्ती कर लेंगे और आर्थिक आधार पर आरक्षित 12 सीट पर गरीब ब्राह्मण भर्ती कर लेंगे। ऐसे में कुर्मी, अहीर, कोइरी बढ़ई, लोहार, धुनिया, घोसी, कहार, लोनिया को कभी जगह ही नहीं मिलेगी।
Narendra Modi सरकार ने उससे भी खतरनाक चाल चली। आर्थिक आधार पर आरक्षण ही नही किया, बल्कि यह भी प्रावधान जोड़ दिया कि कुर्मी, अहीर, कोइरी बढ़ई, लोहार, धुनिया, घोसी, कहार, लोनिया अगर गरीब हैं तो वो इसमें अप्लाई ही नहीं कर सकते।
उसके बाद अब जो वैकेंसी निकाल रहे हैं उसमें 24 वैकेंसी आती है तो 10 सामान्य रहती है और 12 ईडब्ल्यूएस। अब 12 सीट के लिए गरीब ब्राह्मण ही अप्लाई कर सकता है, गरीब कुर्मी, अहीर, कोइरी बढ़ई, लोहार, धुनिया, घोसी, कहार, लोनिया आदि अप्लाई ही नहीं कर सकता। उसको सिर्फ 10 सीट पर अप्लाई करने का हक है, जो सामान्य सीटें हैं।
और यह सब करके भारतीय जनता पार्टी ओबीसी की समर्थक है। भारतीय जनता पार्टी बाबा साहब को बहुत प्यार करती है, संविधान से छेड़छाड़ नहीं करती। भारतीय जनता पार्टी ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाती है। भारतीय जनता पार्टी समावेशी विकास की पक्षधर है।
ओबीसी इतना बुद्धिमान है कि वह यह सब मानता भी है कि भाजपा ऐसी है। इसीलिए मुझे अक्सर लगता है कि वंचित तबके को कीचड़ में से निकालने का आरक्षण से इतर उपाय करने चाहिए। इनके पोषण पर उचित ध्यान देना चाहिए, जिससे इनका मस्तिष्क विकसित हो सके। ज्यादातर कुपोषण के शिकार हैं जिनका मस्तिष्क अभी पूर्ण विकसित नहीं हुआ है कि वह अपना हित अहित सोच सकें। आरक्षण से कुछ नहीं हुआ अब तक, आगे भी कुछ चांस नहीं दिख रहा है।
साथ ही यह भी लगता है कि ऊंच नीच शायद भगवान ने बनाया है, जो नीच है वह नीच ही रहेगा। उसके कल्याणार्थ बात करने वाला बर्बाद हो जाएगा, क्योंकि उनके कल्याण की बात करना ईश्वर की व्यवस्था को चुनौती देना है।
(यह लेख सत्येन्द्र पीएस के फेसबुक वॉल से लिया गया है. यह उनके निजी विचार हैं)
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