औरतों को अपनी इज्जत अपनी योनि में मानने से इंकार करना होगा

महाभारत से लेकर मणिपुर तक औरतों के शोषण का एक लंबा इतिहास रहा है. दुर्भाग्य से कुछ पुरुष ऐसी बातों पर शर्मिंदा होने के बजाय किसी न किसी तरीके से उसे जस्टीफाई करते नजर आते हैं. महिलाओं के शोषण पर आक्रोश जतातीं डॉ विजयश्री मल्ल

फूलन केवल भारत की ही नहीं, पूरे विश्व की इकलौती ऐसी महिला हैं, जिसने मर्दों को समझाया कि औरत कोई वस्तु नहीं है, किसी की जागीर या कोई सामान नहीं है।

दुनिया की तमाम औरतें इसलिए हवस का शिकार नहीं हुईं कि आदमी गंदे हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि वो वस्तु है, वो किसी की जागीर है, वो किसी की इज्जत है, बिल्कुल उसी तरह जैसे किसी के घर हाथी हो तो वो इज्जत की वजह होती है, किसी के पास गाड़ी हो, बंगला हो तो वो इज्जत की चीज होती है, उसी तरह घर की औरतें दुनिया की तमाम मर्दों की नजर में उसकी जागीर या इज्जत की वस्तु ही हैं।

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इसलिए दुनिया की कंजड़ मानसिकता वाले पुरुष की निगाह गुनी के बजाय खूबसूरत औरत पर ही होती है। वो खूबसूरत से खूबसूरत औरत ब्याह के लाना चाहता है क्योंकि उसे दुनिया को दिखाना है कि उसके पास खूबसूरत बीवी है, बिल्कुल वैसे ही जैसे लोग अपने घर को दिखाते हैं कि उसके पास एक बहुत खूबसूरत घर है।

औरत कितना भी बोलना चालना पढ़ना लिखना सीख ले, लेकिन आदमी के दिमाग से उसे वस्तु समझ लिया जाने से निकलने में अभी अरसे लगेंगे। मध्यकाल में राजा अपनी बेटी देकर संधि करते थे, ये कोई बड़ी अनहोनी बात नहीं थी कि, बेटी संपत्ति है, जबकि बेटा नहीं, पूरे इतिहास में नहीं मिलेगा कि कोई बेटा देकर संधि किया हो, हां गाय बैल बकरी भैंस या गुलाम(दास) देकर संधि जरूर की गई है, क्योंकि ये सब भी बेटी की ही तरह संपत्ति हुआ करते हैं।

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अपने इर्द गिर्द बहुत से लोग होते हैं, जो डाह के मारे आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, कोई गाड़ी का टायर पंचर किया होगा, कोई मोबाइल तोड़ा होगा, कोई पुआल जलाया होगा, कोई खेत के आग लगाया होगा, कोई गन्ना में आग लगाया होगा, कोई पशुओं को मारा होगा, वैसे ही आपके घर में पल रही या रह रही औरत रूपी बड़ी संपत्ति को भी क्षति बिछती कर दिया गया तो इसमें आश्चर्य क्या है।

महाभारत जैसे काल्पनिक धार्मिक ग्रंथ जहां भी बीवी रूपी द्रोपदी को भी जुआ में संपत्ति के रूप में लगा देना कौन सी बड़ी बात है, से लेकर दुनिया के तमाम महान राजाओं के हरम में पड़ी औरतें भी तो उनकी संपत्ति ही हैं। और दुश्मन संपत्ति पर प्रहार करता आया है। दुश्मन की संपत्ति को क्षति पहुंचा देना भी तो दुश्मनी निकालना है। इसलिए लड़ते पुरुष हैं तो क्षति औरत की करते हैं।

हिंदू विवाह की अवधारणा जिसमे बारात के साथ लड़की के घर धमकना, लड़की के बाप से पांव पकड़वाना, मां और मां समान औरतों से पांव पकड़वा देना, औरतों द्वारा पत्थर का दिखाया जाना, मांग में खून जैसा लाल रंग भरना, और फिर रोटी लड़की को उठा लाना एक तरीके से देखा जाय तो शादी के तौर तरीके लूट पाट वाली रस्म लगती है। जिसमे औरत को लूटा जाता है।

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शादी के बाद चौखट में कैद करना, साज श्रृंगार के साथ रखना, बोलने की अनुमति न देना, उसकी एक न सुनना, बाहर जाने पर ढक कर ले जाना, काला लबादा पहना के रखना, जिसमे बड़ी मुश्किल से आंख से देखकर चल पाने की ही अनुमति होना, बिना आदमी के बाहर नहीं जाने देना। ये सारे लक्षण औरत के महंगे संपत्ति के होने के ही उदाहरण हैं।

इन सबके बावजूद अगर किसी की आंख में कुकी बेटियो के लिए आंसू हैं, तो वो निश्चय ही औरत को थोड़ा बहुत वस्तु से हटकर कोई इंसान की जगह दे रहा है।

बाकी औरत को यदि खुद की जगह बनानी है, तो उसे भी जुर्म के खिलाफ फूलन बनना ही पड़ेगा। उसे भी मर्दों की ही तरह अपनी इज्जत अपनी योनि में मानने से इंकार करना होगा। औरत को भी ये समझना और समझाना होगा कि उसकी योनि उसकी इज्जत नहीं, उसके शरीर का अंग मात्र है, बिल्कुल वैसे ही जैसे फूलन ने समझाया और जुर्म के खिलाफ उठ खड़ी हुई। इसलिए फूलन की मौत एक इंसान के रूप में हुई, वस्तु के रूप में नहीं।

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इसलिए ही फूलन मेरी आदर्श हैं, क्योंकि वो दुनिया की तमाम पीड़िताओं की तरह खुदकुशी नहीं की, खुद को आग में नहीं झोका। उन्होंने अपनी इज्जत अपने योनि में नहीं खोजी, उठ खड़ी हुई और तमाम औरतों के दिल में जगह बना लीं, सांसद भी हुईं।

इसलिए फूलन वो हैं, जो इंसान की मौत मरी,

जिसे वस्तु के रूप में मरने के लिए छोड़ दिया गया था।

 

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