भारत में सरकारी बैंकों पर लोगों को भरोसा रहता है. वहीं अब लक्ष्य के चक्कर में सरकारी कर्मचारी भी परेशान हैं. BoB world mobile app कांड ने सार्वजनिक बैंकों पर भरोसा करने वालों को हतप्रभ कर दिया है, बता रहे हैं प्रभात त्रिपाठी…
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में सरकारी बैंक भी कहा जाता है, पर जमाकर्ताओं को पूरा भरोसा रहता है कि यहाँ उनका पैसा सुरक्षित रहेगा। लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा ने जो बड़ा वाला कमाल दिखाया है, उसने लोगों को डरा दिया है।
BoB world mobile app काँड, इस भरोसे की लंका लगाने वाला है।
वो तो भला हो अलजजीरा और द रिपोर्टर्स कलेक्टिव का कि दुनिया इसे जान पायी। इस साल जुलाई में अलजजीरा ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों ने BoB world app को सफल बनाने के चक्कर में जिन खातों में मोबाइल नम्बर नहीं लिंक थे उनमें अपने रिश्तेदारों, सफाईकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों आदि तक के नम्बर लिंक करके मोबाइल एप रजिस्टर व sign in करके सफलता के झंडे गाड़ दिए गये। मतलब फुल गड़बड़ घोटाला।
अलजजीरा के मुताबिक केवल भोपाल जोन में ही लगभग तेरह सौ मोबाइल नंबरों पर लगभग बासठ हजार खाते इस तरह से लिंक व sign in किये गये और ऐसा कमाल केवल वहीं नहीं बल्कि यूपी, राजस्थान, गुजरात, झारखंड में भी किया गया। इसमें केवल फर्जी एप डाउनलोड ही नहीं हुआ बल्कि कुछ आम निवेशकों के पैसे भी इधर-उधर हो गए। टोटल कितने लोगों के कितने पैसों का हेरफर हुआ यह अभी स्पष्ट नहीं है।
ये पूरा मामला बता रहा है कि डिजिटल और मोबाइल की दुनिया में बैंकों के ग्राहक जरा सा चूके तो कितना vulnerable हैं। बैंक द्वारा जो छिपाने की कोशिश की गई या लीपापोती की कोशिश की गई, वह यह साबित करने को काफी है कि मैनेजमेंट में ऊपर बैठे लोगों का रवैया अपने टार्गेट और सीनियर से तारीफ के सामने खाताधारकों के लिए कितना लापरवाही भरा रहा जिसकी उम्मीद सरकारी बैंकों से तो कतई नहीं की जाती है।
एक नजर इधर भीः कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को भारत से वापस बुलाया
गुजरात के एक बैंक अधिकारी ने बड़ी उम्मीद से टॉप मैनेजमेंट को यह सब गड़बड़ बताने के लिए एक के बाद एक पांच ईमेल भेजे थे, मगर यह थमा नहीं। यह तो भला हो व्हिसलब्लोअर्स का और पत्रकारों का कि चीजें थोड़ा सामने आईं। वरना BOB ने तो इन्टर्नल ऑडिट में यह सब दबा ही लिया था। जुलाई की इस खबर के तीन महीने बाद आरबीआई को मामले की गंभीरता देखते हुए इस एप पर नये ग्राहकों को रजिस्टर करने पर रोक लगानी पड़ी। इस रोक के बाद ही यह मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए न्यूज बन पाई, वह भी काफी समय बाद। बैंक बचाओ देश बचाओ मंच का इस सब पर कहना है कि यह तो टिप ऑफ द आइसबर्ग है। इस मंच ने पिछले महीने AEPS यानि कि Aadhar Enabled Payment System में भी गड़बड़ियों की बात कही थी।
अब देखना यह है कि इस गड़बड़ी को करने वालों के अलावा इसे कराने वालों और टॉप मैनेजमेंट के लोगों के खिलाफ इस आपराधिक कृत्य के लिए क्या कार्रवाई की जाती है।