भगवान राम गरीबों के देवता रहे हैं अमीरों के नहीं

भगवान राम गरीबों के देवता रहे हैं अमीरों के नहीं

भगवान राम आम जनमानस में रहे हैं. राम के कई रूप रहे हैं. कबीर, रैदास, तुलसी से लेकर तमाम कवियों ने राम का वर्णन किया है. लोक में राम की मौजूदगी के बारे में बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस

भगवान राम कभी भी अमीरों, राजा रजवाड़ों, ब्राह्मणों के भगवान नहीं रहे हैं। ये मूल रूप से नीच जातियों के भगवान थे। जो भी लोग कठिन जिंदगी जीते हुए रह रहे हैं वह भगवान राम से जिजीविषा पाते रहे हैं। स्वाभाविक है कि ब्राह्मण कहे जाने वाले गरीब लोग भी राम को आदर्श मानते रहे हैं। जिनमें तुलसीदास भी एक थे।

वरना सरयू में तो नहाना भी पाप माना जाता रहा है। मिथिला के ब्राह्मण/लोग भी राम को गरियाते हैं।

राम को सबसे ज्यादा महात्मा गांधी ने फेमस किया। उन्हें देश के गरीब गुरबों को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ना था और उन्होंने भगवान राम की जन लोकप्रियता का इस्तेमाल किया। उसके बाद आरएसएस ने राम और गाय को सत्ता हासिल करने का साधन बनाया।

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अदरवाइज भगवान राम का देश मे कोई भव्य मंदिर नहीं है। भगवान राम किसी धाम में नहीं स्थापित हैं। शंकराचार्य के मठ में राम नहीं हैं। किसी भी वेद, ब्राह्मण, पुराण, आरण्यक, उपनिषद में राम नहीं हैं। किसी राजा ने राम का भव्य मंदिर नहीं बनवाया है। अगर आपको भव्य मंदिर देखना है तो मदुरै का मीनाक्षी मन्दिर या त्रिवेंद्रम का पद्मनाभ मन्दिर देखें। उस लेवल का भव्य मंदिर अयोध्या में अभी भी नहीं बन रहा है न बन पाएगा।

राम लोगों के हृदय में हैं। मरने के वक्त शवयात्रा निकलती है उसमें भी राम नाम सत्य है बोला जाता है। मैं अटल बिहारी वाजपेयी की शवयात्रा में शामिल था और उसमें नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी चल रहे थे। किसी ने एक बार भी राम नाम सत्य है नहीं बोला था।

राम गरीब गुरबों, निम्न जातियों के भगवान हैं। उन्होंने रावण जी जैसे प्रकांड विद्वान को मार गिराया। बाद में भगवान राम को क्षत्रिय जरूर घोषित किया तुलसी बाबा ने। लेकिन क्षत्रियों ने कभी स्वीकार नहीं किया कि उनके खनदान के किसी व्यक्ति की बीवी को कोई ब्राह्मण दिन दहाड़े उठवा सकता है या कोई धोबी उनके घर की बहू पर खुलेआम प्रतिकूल टिप्पड़ी करके जिंदा रह सकता है।

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भगवान राम गरीब गुरबों के भगवान थे, हैं और रहेंगे। कोई शंकराचार्य आए या न आए। शंकराचार्य लोग अयोध्या के नए राम मंदिर को तेली मन्दिर घोषित करने को स्वतंत्र हैं जैसे शिवजी के मंदिरों को बिड़ला मन्दिर कहा जाता है।

फोटो में मौजूद सज्जन रामनामी है और इन्होंने पूरे शरीर मे राम गुदवा रखा है। राम इन्ही लोगों के बीच बसते हैं।

 

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