केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में लगातार कमी आई है. वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसक घटनाओं की संख्या में 2010 के उच्च स्तर के मुकाबले 2022 में 77 प्रतिशत की कमी आई है.
2010 की तुलना में 2022 में सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौतों की संख्या में भी 90 प्रतिशत की कमी आई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार 2004 से 2014 तक वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 17,679 घटनाएं हुईं और 6,984 मौतें हुईं. इसके विपरीत 2014 से 15 जून 2023 तक वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 7,649 घटनाएं हुई हैं और 2,020 मौतें हुई.
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2022 में पिछले 4 दशकों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा और मौतों की सबसे कम घटनाएं हुईं. उन्होंने कहा कि 2 वर्ष में देश से वामपंथी उग्रवाद का पूरी तरह सफाया हो जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘नक्सलवाद मानवता के लिए अभिशाप है और हम इसे इसके सभी स्वरूपों में उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’ अधिकारियों ने कहा कि नक्सल प्रभावित राज्यों में हिंसक घटनाओं में 2010 के मुकाबले 2022 में 77 प्रतिशत की कमी आई है. समीक्षा बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व राज्य के मंत्रियों ने किया.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में देश में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से संबंधित सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. केंद्र सरकार ने 2015 में ‘एलडब्ल्यूई से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी थी. अधिकारियों ने कहा कि नीति में एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है जिसमें सुरक्षा संबंधी उपाय, विकास संबंधी कामकाज, स्थानीय समुदायों के अधिकार और हकदारी सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं.