बिहार में जाति जनगणना 2022 के आंकड़े आ गए हैं. बिहार सरकार ने गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर 2023 को जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए. राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है.
इसके मुताबिक ‘अनारक्षित’’ श्रेणी यानी कथित रूप से ‘उच्च जातियों’ से संबंधित लोगों की आबादी कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं. ब्राह्मण 3.6575 प्रतिशत है, जिनकी आबादी 47 लाख 81 हजार 280 है. राजपूत 3.4505 प्रतिशत है, जिनकी संख्या 45 लाख 10 हजार 733 है. भूमिहार 2.8693 प्रतिशत है, जिनकी कुल संख्या 37 लाख 50 हजार 886 है. कायस्थ 0.6011 प्रतिशत हैं, जिनकी संख्या 7 लाख 85 हजार 771 है.
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राज्य की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. इसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत है.
ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. कोइरी 4.2 प्रतिशत, कुर्मी 2.8 प्रतिशत, मोची-चमार-रविदास 5.2 प्रतिशत, मुसहर 3.08 प्रतिशत, बनिया 2.31 प्रतिशत मल्लाह 2.60 प्रतिशत हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में हिंदू समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है. ईसाई, सिख, जैन और अन्य धर्मों का पालन करने वालों के साथ-साथ किसी धर्म को न मानने वालों की भी बहुत कम उपस्थिति है, जो कुल आबादी का एक प्रतिशत से भी कम है.
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विधानसभा में 9 दलों की बैठक होगी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (@NitishKumar) ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई ! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी. इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है. जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है. इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी. बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा.
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने एक बयान जारी कर घोषणा की कि यह कवायद ‘देशव्यापी जाति जनगणना के लिए माहौल तैयार करेगी, जो तब किया जाएगा जब विपक्षी गठबंधन केंद्र में अगली सरकार बनाएगा.’ लालू प्रसाद और नीतीश दोनों ने ‘इंडिया’ गठबंधन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एक बैठक में जाति जनगणना कराने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया था, जब केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं कर पाएगी. देश में आखिरी बार सभी जातियों की गणना 1931 में की गई थी. बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी. बिहार सरकार को जाति आधारित गणना के कार्य को उस समय रोकना पड़ा था, जब पटना उच्च न्यायालय ने इस अभ्यास को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी. हालांकि 1 अगस्त 2023 को अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए बिहार सरकार के जाति आधारित गणना करने के निर्णय को सही ठहराया था. राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर करने वाले लोग ‘भाजपा समर्थक’ थे. वहीं भाजपा ने इस आरोप से इनकार करते हुए जोर देकर कहा था कि जब सर्वेक्षण के लिए कैबिनेट की मंजूरी दी गई थी तब वह भी सरकार में शामिल थी.
राहुल ने फिर उठाई जाति जनगणना की मांग
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े सामने आने के बाद कहा कि देश के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है और जिनकी जितनी आबादी है, उन्हें उनका उतना हक मिलना चाहिए. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!’
राहुल गांधी संसद से लेकर चुनावी जनसभाओं में लगातार यह मसला उठा रहे हैं.राहुल गांधी ने कहा, ‘इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है.’