नरेंद्र मोदी दानव की तरह डकारते हैं. मोदी कहां से टपक आए, हम उनका नाम भी नहीं सुने थे. वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो ठीक थे. उन्हें बोलने तक नहीं आता है. वे पढ़-पढ़कर भाषण देते हैं. जबकि मोदी जी अड़ियल की तरह बात करते हैं। लिखकर पढ़ते हैं, तो अच्छा चीज लिखवाकर पढ़ें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ अपना बनाना चाहते हैं, अदानी-अंबानी को बनाना चाहते हैं. गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल ने समाहरणालय परिसर में यह कहा.
बिहार के गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) चुंबक की तरह चिपक गए हैं. दोनों दल अलग नहीं हो सकते हैं. लालू प्रसाद बड़े भाई हैं, तो नीतीश कुमार छोटे भाई. तेजस्वी यादव भतीजा है. मंडल ने शुक्रवार को समाहरणालय परिसर में यह कहा. हालांकि उनका यह भी कहना है कि अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाते हैं तो उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो जाएगा. जनता की नजर में गिर जाएंगे. वे मर मिट सकते हैं, लेकिन भाजपा के साथ जा नहीं सकते हैं. भाजपा झूठी पार्टी है
उधर नीतीश कुमार ने अपनी टीम बदली है, जिसमें पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह के नियुक्त लोगों को ही नहीं, ललन सिंह को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. अपनी जिंदगी के आखिरी दौर में चल रहे वशिष्ठ नारायण सिंह को पार्टी उपाध्यक्ष बनाया गया है, जिन्हें वशिष्ट बाबू के नाम से जाना जाता है. केसी त्यागी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है. दोनों नेताओं की बिहार की राजनीति में असर बहुत मामूली है.
पाला बदलेंगे नीतीश?
उधर मीडिया में खबरें एक बार फिर तेज हो गई हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ जा सकते हैं. नीतीश कुमार के बारे में मीडिया में जब भी अटकल लगती है तो उनके समर्थक जो भी कहें, वह गलत साबित नहीं होती, वह पाला बदल ही लेते हैं. दिल्ली के एक अखबार की खबर के मुताबिक नीतीश कुमार एनडीए में जाने का पक्का मन बना चुके हैं. शर्तें तय हो चुकी हैं.
क्या हैं भाजपा की शर्तें?
अभी साफ नहीं है कि नीतीश कुमार आखिर किस सुख में भाजपा के साथ जाना चाहते हैं. लेकिन अखबार की खबर के मुताबिक भाजपा ने 2 कड़ी शर्त रखी है. पहला- विधानसभा भंग करके लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा का भी चुनाव कराया जाए. दूसरा- भाजपा और जदयू को लोकसभा और विधानसभा में बराबर बराबर सीटें मिलें, लेकिन विधानसभा चुनाव में अगर जदयू को ज्यादा सीटें भी मिलती हैं तो भाजपा का ही मुख्यमंत्री बने. अखबार के मुताबिक नीतीश इन शर्तों पर सहमत हो गए हैं. हालांकि इन शर्तों को मानने में नीतीश को क्या लाभ होगा, यह समझ से परे है.