चीन में बौद्ध धर्म को कम्युनिस्ट शासन ने नष्ट किया फिर भी वहां बुद्धिस्टों की स्थिति सबसे मजबूत

चीन में बौद्ध धर्म को पूर्ण रूप से कभी नष्ट नहीं किया गया, लेकिन इसके विकास और प्रसार पर विभिन्न कालखंडों में कई बार गंभीर प्रतिबंध और दमन के प्रयास हुए। विशेष रूप से निम्नलिखित ऐतिहासिक घटनाओं और शासकों ने बौद्ध धर्म पर प्रभाव डाला। तांग वंश (9वीं सदी) के सम्राट वुज़ोंग (Wuzong, 840_846 ई.) ने बौद्ध मठों पर व्यापक दमनकारी नीति अपनाई। उन्होंने बौद्ध मठों की संपत्ति जब्त की, कई मंदिरों को ध्वस्त किया और भिक्षुओं को जबरन लौकिक जीवन में लौटने के लिए मजबूर किया।

अगर चीन में बौद्ध धर्म को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाए जाने की बात की जाए तो माओत्से तुंग के नेतृत्त्व में बुद्धिज्म को सर्वाधिक नष्ट किया। माओत्से तुंग और सांस्कृतिक क्रांति (1966-1976) का व्यापक असर हुआ तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने धर्म को साम्यवादी विचारधारा के लिए खतरा माना। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान, बौद्ध मंदिरों, मठों और धार्मिक ग्रंथों को व्यापक रूप से नष्ट किया गया। बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों पर अत्याचार हुए, और धार्मिक गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण लगाया गया। तिब्बत में भी बौद्ध धर्म को दबाने के लिए विशेष रूप से कठोर नीतियां अपनाई गईं, जिसके परिणामस्वरूप दलाई लामा को 1959 में भारत में शरण लेनी पड़ी।

कम्युनिस्ट शासन ने धर्म को नियंत्रित करने के लिए हमेशा सख्त नीतियां अपनाईं। माओ के बाद, 1980 के दशक में धार्मिक गतिविधियों में कुछ छूट दी गई, लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने बौद्ध धर्म को “सिनिसाइजेशन” (Sinicization) नीति के तहत चीनी संस्कृति और पार्टी की विचारधारा के अनुरूप ढालने की कोशिश की। तिब्बती बौद्ध धर्म पर विशेष रूप से सख्ती की गई, क्योंकि इसे राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा माना जाता है।

वर्तमान में चीन में बौद्धों की स्थिति

वर्तमान में, बौद्ध धर्म चीन का एक प्रमुख धर्म बना हुआ है, लेकिन यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कड़े नियंत्रण और निगरानी के अधीन है। निम्नलिखित बिंदु वर्तमान स्थिति को समझाते हैं:

  1. आबादी और प्रसार:
    • अनुमान के अनुसार, चीन में 185 से 250 मिलियन लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, जो इसे देश का सबसे बड़ा संगठित धर्म बनाता है।
    • चीन में बौद्ध धर्म की तीन मुख्य शाखाएं हैं: हान बौद्ध धर्म, तिब्बती बौद्ध धर्म, और पाली भाषी बौद्ध धर्म (मुख्य रूप से युन्नान प्रांत में)। हान बौद्ध धर्म सबसे व्यापक है, और तिब्बती बौद्ध धर्म तिब्बत और अन्य क्षेत्रों में प्रचलित है।
  2. राज्य नियंत्रण:
    • चीनी सरकार केवल पांच धर्मों (बौद्ध धर्म, ताओवाद, इस्लाम, कैथोलिक ईसाई धर्म, और प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म) को आधिकारिक मान्यता देती है। सभी धार्मिक संगठनों को सरकार के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य है, और गैर-पंजीकृत धार्मिक गतिविधियां अवैध मानी जाती हैं।
    • सरकार “सिनिसाइजेशन” नीति के तहत बौद्ध धर्म को चीनी कम्युनिस्ट विचारधारा के अनुरूप ढालने का दबाव डालती है। इसमें बौद्ध मठों और भिक्षुओं पर निगरानी, धार्मिक शिक्षाओं में हस्तक्षेप, और पार्टी की वफादारी को प्राथमिकता देना शामिल है।
  3. तिब्बती बौद्ध धर्म पर दमन:
    • तिब्बत में बौद्ध धर्म विशेष रूप से कड़े नियंत्रण के अधीन है। मठों पर सरकारी निगरानी, भिक्षुओं की संख्या पर सीमाएं, और धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध आम है। दलाई लामा को चीन में एक अलगाववादी नेता माना जाता है, और उनकी तस्वीरें या शिक्षाएं रखना गैरकानूनी है।
    • तिब्बत में बौद्ध मठों को नष्ट करने और भिक्षुओं को हटाने की घटनाएं समय समय पर सामने आती रहती हैं।
  4. सांस्कृतिक और धार्मिक पुनरुत्थान:
    • पिछले कुछ दशकों में, विशेष रूप से 1980 के बाद, चीन में धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है। बौद्ध मंदिरों और विहारों की संख्या बढ़ी है, और वर्तमान में लगभग 28,000 बौद्ध स्तूप और 16,000 से अधिक बौद्ध विहार हैं।
    • बौद्ध धर्म को कुछ हद तक सरकारी समर्थन भी मिलता है, क्योंकि इसे चीनी संस्कृति का हिस्सा माना जाता है, जबकि इस्लाम और ईसाई धर्म को “विदेश” धर्म के रूप में अधिक दमन का सामना करना पड़ता है।
  5. चुनौतियां:
    • बौद्ध समुदाय को सरकारी हस्तक्षेप, सेंसरशिप, और धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। गैर पंजीकृत बौद्ध समूहों या भूमिगत धार्मिक गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।
    • तिब्बती बौद्धों के लिए स्थिति विशेष रूप से कठिन है, क्योंकि उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दबाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

निष्कर्ष

चीन में बौद्ध धर्म को ऐतिहासिक रूप से तांग वंश और कम्युनिस्ट शासन, विशेष रूप से सांस्कृतिक क्रांति के दौरान, दमन का सामना करना पड़ा। वर्तमान में, बौद्ध धर्म लाखों अनुयायियों के साथ जीवित और प्रचलित है, लेकिन यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सख्त नियंत्रण और “सिनिसाइजेशन” नीति के अधीन है। हान बौद्ध धर्म को तुलनात्मक रूप से अधिक स्वीकार्यता मिलती है, जबकि तिब्बती बौद्ध धर्म को भारी दमन का सामना करना पड़ता है।

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