उत्तर प्रदेश में आरोपियों के मकान तोड़े जाने की राजनीतिक कार्रवाई को सामाजिक स्वीकार्यता मिल गई है। जगह जगह आरोपियों के मकान तोड़े जाने की मांग चल रही है। देश की न्याय व्यवस्था भी सरकार की चुनिंदा कार्रवाइयों पर लाचार नजर आ रही है… बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस
उत्तर प्रदेश में बुल्डोजर एक फेनमेना बन गया। इसे बाकायदा भाजपा सरकार ने प्रचारित किया। तमाम केसेज में आरोपियों के मकान तोड़े गए।
ऐसा कुछ नहीं कि आरोपी का मकान तोड़ने का कोई मामला बनता था, लेकिन सरकार ने आरोपियों का मकान तोड़ने के लिए विकास प्राधिकरणों को लगाया और प्राधिकरण के अधिकारियों ने मकान बनाने में खामी निकालकर आरोपी के मकान तोड़े।
सरकार ने यह काम इतने योजनाबद्ध तरीके से कराया तो उसे चुनाव में इस्तेमाल करना ही था। 2022 के इलेक्शन में जिन प्रत्याशियों के प्रचार में योगी आदित्यनाथ जाते थे, उस जनसभा में कम से कम 4 बुल्डोजर खड़े कराए जाते थे। चुनाव में आदित्यनाथ को बुल्डोजर बाबा के रूप में प्रचारित किया गया। ज्यादातर मामलों में मुस्लिम आरोपियों के घर पर बुल्डोजर चलाया गया।
यह कार्रवाई इतनी लोकप्रिय हुई कि भाजपा शासित राज्यों में बुल्डोजर चलने लगे। उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ बुलडोजर एक्शन मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, असम आदि राज्यों में प्रयोग में लाया जा चुका है। बुल्डोजर मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया, लेकिन कोर्ट ने हाथ खड़े कर दिए। कई राज्यो में तो टेंट डालकर सरकारी जमीन पर रहने वाले सैकड़ों लोगों का आशियाना उजाड़ दिया गया, जो अमूमन घुमंतू और अपने स्थायी ठिकाने से वंचित लोग होते हैं, हालांकि वह भी देश के नागरिक ही हैं।
अब जनता की ओर से आरोपियों के घर पर बुल्डोजर चलाने की मांग होने लगी है। अभी हाल में योगी आदित्यनाथ के इलाके में ही कमलेश सिंह की हत्या हो गई। उनके हत्यारे के घर पर बुल्डोजर चलाने की मांग बड़े जोर शोर से उठी। लेकिन उस मामले में आरोपी न तो मुस्लिम था, न विपक्षी दलों से जुड़ा था। इसलिए उसके मकान पर बुल्डोजर नहीं चला।
बिहार में अपने भाई की हत्या की गवाही देने जा रहे एक पत्रकार की हत्या के बाद वहां भी आरोपियों का घर बुल्डोजर से तोड़े जाने की मांग हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार और योगी आदित्यनाथ ने एक कानून बना दिया है कि जो भी आरोपी होगा, उसके घर को बुल्डोजर से तोड़ा जाएगा।
अब सुप्रीम कोर्ट को भी आईपीसी में संशोधन करने की जरूरत है कि जिसके ऊपर भी आरोप लगे, सरकार आरोपी के घर को बुल्डोजर से तोड़े। क्योंकि ऐसा कानून न होने की स्थिति में सरकार सलेक्टिव तरीके से मुस्लिमों या विपक्षी दलों के आरोपियों के घर ही तोड़ रही है।
अगर जनता ने इसे स्वीकार कर लिया है कि घर तोड़ा जाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकता और हर केस में जनता मांग कर रही है कि बुल्डोजर चले तो इसे कानून का रूप दिया जाए। इससे कम से कम सरकार अपनी सुविधा व राजनीतिक जरूरत के मुताबिक कदम नहीं उठा पाएगी।
उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कोई सरकार किसी आरोपी के माँ बाप की जीभ काट लेने की कार्रवाई शुरू कर दे कि अगर आरोपी फरार है तो उसके मां बाप की जीभ काट ली जाएगी। और जनता उसे भी स्वीकार कर ले और उसकी भी देश भर में मांग उठने लगे!
#भवतु_सब्ब_मंगलम
(सत्येन्द्र पीएस के फेसबुक वॉल से)