कल्याणपुड़ी राधाकृष्ण राव

104 साल की उम्र में भारतीय सांख्यिकीविद कल्याणपुड़ी राधाकृष्ण राव को मिला विश्व का सबसे बड़ा सांख्यिकी पुरस्कार

कल्याणपुड़ी राधाकृष्ण राव को 1945 में प्रकाशित उनके शोधपत्र के लिए विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार देने के लिए चुना गया है, जिन्हें भारत सरकार 1968 में पद्मभूषण और 2001 में पद्मविभूष से सम्मानित कर चुकी है

अमेरिका में बसे भारत के सांख्यिकीविद कल्याणपुड़ी राधाकृष्ण राव को 2023 का ‘इंटरनेशनल प्राइज इन स्टैटिस्टिक्स’ पुरस्कार दिया जाएगा. सांख्यिकी के क्षेत्र में 75 साल पहले राव ने ऐतिहासिक कार्य किए थे, जिसने सांख्यिकी क्षेत्र में क्रांति ला दी थी.

क्या था राव का काम

सांख्यिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार नहीं मिलता. इस पुरस्कार को ही सांख्यिकी का नोबेल पुरस्कार माना जाता है. यह पुरस्कार देने वाले ‘इंटरनैशनल प्राइज इन स्टैटिस्टिक्स फाउंडेशन’ का कहना है कि राव का 75 साल पहले इस क्षेत्र में दिया गया योगदान आज भी विज्ञान पर गहरा प्रभाव रखता है. राव को भारतीय सांख्यिकी संस्थान में नवंबर 1943 में तकनीकी प्रशिक्षु नियुक्त किया गया. जून 1944 में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंशकालिक व्याख्याता के रूप में काम करना शुरू किया. 1946 के अंत तक उनके 3 शोध पत्र प्रकाशित हुए। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि मैंने प्रयोगों के डिजाइन के संदर्भ में कॉम्बिनेटरिक्स पर अपना शोध जारी रखा और कई पेपर लिखे, जिनमें से कुछ में आरसी बोस और एसडी चावला के साथ संयुक्त रूप से काम किया. उन्होंने कहा कि मैंने सहवर्ती चर पर बिना किसी धारणा के कम से कम वर्गों का एक सामान्य सिद्धांत विकसित किया. इस दौरान प्राप्त सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम को अब क्रैमर -राव असमानता कहा जाता है. उनके शोधपत्र सूचना और सटीकता में सांख्यिकीय मापदंडों  के अनुमान में मिला हुआ लगता है. इस शोधपत्र के महत्त्व को इस तथ्य से देखा जा सकता है कि इसे एस कोट्ज़ और एन जॉनसन, ब्रेकथ्रूज़ इन स्टैटिस्टिक्स  1889 – 1990 ( स्प्रिंगर वर्लग, न्यूयॉर्क, बर्लिन, 1991) में फिर से प्रकाशित किया गया.

राव का बचपन कहां बीता

राव का जन्म मौजूदा कर्नाटक के हडागली में 10 सितंबर 1920 को एक तेलुगु परिवार में हुआ. उनकी पढ़ाई आंध्र प्रदेश के नुजिवीड, नंदीगाम और विशाखापत्तनम में हुई. उसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय से गणित में एमएससी की. वहां से कलकत्ता आ गए और 1943 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में सांख्यिकी से एमए किया. राव ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के किंग्स कॉलेज से पीएचडी की. कैम्ब्रिज से ही 1965 में डीएससी की डिग्री हासिल की.

अभी कहां हैं राव

पढ़ाई पूरी करने के बाद राव ने सबसे पहले भारतीय सांख्यिकी संस्थान के साथ कार्य किया. उसके बाद वह कैंब्रिज चले गए और कैंब्रिज के एंथ्रोपोलॉजिकल संग्रहालय में अपनी सेवाएं दी. वह भारतीय सांख्यिकी संस्थान के निदेशक भी रहे. इस समय राव पेनसेल्विनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमिरेटस हैं और बफेलो यूनिवर्सिटी में रिसर्च प्रोफेसर हैं.

कहां मिलेगा पुरस्कार

इस समय राव की उम्र 102 साल है. उन्हें कनाडा के ओटावा शहर में दो साल में एक बार होने वाले अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान विश्व सांख्यिकी कांग्रेस में जुलाई में यह पुरस्कार दिया जाएगा. इस पुरस्कार में 80,000 डॉलर नकद राशि दी जाती है.

राव को और कौन कौन से पुरस्कार मिले हैं

राव छात्र जीवन से ही मेधावी रहे और उन्हें तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा है. उन्हें भारत सरकार ने 1968 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. 2001 में उन्हें पद्म विभूषण सम्मान भी मिल चुका है.

पुरस्कार देने वाले फाउंडेशन ने क्या कहा

फाउंडेशन के अध्यक्ष गय नेसन का कहना है कि पुरस्कार देकर हम सीआर राव द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य का जश्न मना रहे हैं, जिसने न केवल अपने समय में सांख्यिकीय सोच में क्रांति ला दी, बल्कि विज्ञान को लेकर मानव समझ पर भी बहुत प्रभाव डाला था. फाउंडेशन ने अपने बयान में कहा है कि कलकत्ता मैथमैटिकल सोसाइटी के बुलेटिन में 1945 में प्रकाशित उल्लेखनीय दस्तावेज में राव ने 3 मूलभूत परिणामों के बारे में बताया था, जिन्होंने सांख्यिकी के आधुनिक क्षेत्र के लिए मार्ग प्रशस्त किया और सांख्यिकीय तरीके प्रदान किए जो आज भी विज्ञान में खूब उपयोग किए जाते हैं.

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