आप लाल किले से भारत को बुद्ध की धरती कहें या प्रेमिका की बाहों से, शांति तभी मिलेगी जब बुद्धिज्म अपनाएंगे : धम्मपद-9

बुद्धिज्म अपनाने के लिए कुछ शील पर प्रतिज्ञाएं बताई गई हैं, उसका पालन करने पर ही जीवन में शांति आ सकती है। बुद्धिज्म जीने की एक कला है। एक जीवन पद्धति है। कुछ ऐसे आचरण अपनाने पड़ते हैं, जिससे आप बुद्ध होते हैं, आप व्यापक होते हैं। बता रहे हैंRead More →

कोई पाप कर रहा है और सुखी है यह सोचकर अगर आप विलाप करते हैं तो आप आंतरिक रूप से ईमानदार नहीं

अक्सर लोग यह कहते हुए रोते रहते हैं कि फलाना बाबा दूसरों को त्याग सिखाते हैं, खुद महंगी कार से घूमते हैं। हमारी जिंदगी कितनी सच्ची है, इसलिए दुखी रहना पड़ता है। ऐसे लोग आंतरिक रूप से ईमानदार नहीं होते। अच्छा कर्म हर हाल में, हर परिस्थिति में सुख देताRead More →

जो व्यक्ति अच्छे कर्म नहीं करता है वह सबसे पहले अपनी ही नजरों मे गिर जाता है : धम्मपद-7

आप अपने कर्मों के मालिक खुद हैं। आप जो भी करते हैं, उसका परिणाम आता है। ऐसा संभव नहीं है कि आप जो कर्म करते हैं, उसका कोई परिणाम न आए। ऐसे में बेहतर कर्म ही आपको सुख की ओर ले जा सकते हैं। खराब कर्म अपनी आत्मा को मारRead More →

अगर आप अपने ज्ञान, अनुभव और विवेकशीलता से निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं तो राग का असर आपके ऊपर नहीं पड़ेगा। बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस… राजनीति और इसकी हलचलें बहुत गड़बड़ चीजें हैं। यह अगर आपके दिमाग मे घुस जाएं तो बहुत जबरदस्त केमिकल लोचा पैदा करती हैं।Read More →

विश्व में हर कोई दुख से मुक्ति पाना चाहता है, जिसे दुःख है। यह स्वाभाविक सी इच्छा है कि दुःखों से मुक्ति मिलनी चाहिए। अब इसमें सबसे बड़ी समस्या होती है कि दुःख की पहचान कैसे की जाए? जब भी आप किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाते हैं तो वहRead More →

भगवा क्या है? भारत मे भगवा का क्या महत्त्व रहा है? इस ड्रेस कोड को लेकर भारत मे स्वाभाविक रूप से श्रद्धा क्यों उपजती है?  भगवा के पीछे त्याग, परोपकार, दया करुणा, सद्भाव का लंबा इतिहास बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस….. हर साल कांवड़ियों की हुड़दंगई को लेकर चर्चा होतीRead More →

अगर आप बेहतर मनुष्य बनने की कोशिश नहीं करेंगे तो पीढ़ियों का संचित धन गंवा देंगे धम्मपद-3

सत्येन्द्र पीएस फरलो मारने में जो मजा होता है, वह बीमार पड़कर छुट्टी लेने में बिल्कुल नहीं होता है। मेडिकल लीव में मजा तभी है जब आपकी तबीयत खराब न हो और ऐसे ही छुट्टी ले लीजिए! ऐसे ही प्यार मोहब्बत का मामला है। प्यार मोहब्बत में झूठ बोलने, परिजनोंRead More →

Dhammapad yamakbaggo part 2

सत्येन्द्र पीएस  चाय बनाना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। एक तो दूध वाला बर्तन खराब होता है। दूसरे, जिस बर्तन में चाय बनाई जाए, उसमें चाय दूध चायपत्ती ऐसा चकठ जाती है कि कहिए मत। चाय के कप और गिलास तो न सिर्फ साफ करना समस्या है, बल्कि उन्हें सहेजकरRead More →

कामनाएं इच्छाएं सोच सबकुछ बदलती रहती हैं यह सब मन से पैदा हुई चीजें हैं धम्म पद-1

सत्येन्द्र पीएस जिंदगी भी बड़ी अजीब है। 15 साल पहले यह फील होता था कि इस पद पर होते, इतनी सेलरी मिलती तो बस मज़ा ही आ जाता। सपने होते थे। अब लगता है कि क्या है यह सब? घण्टा हो गया? क्या मिल गया? यही पाने के लिए व्याकुलRead More →

अपनी चोरी अच्छी और दूसरे की चोरी अन्याय लगती हो तो आप अपने भीतर के बोध की हत्या कर चुके हैं

सत्येन्द्र पीएस एक मेरे परिचित भाई साहब रोजाना कांग्रेस को गरियाते थे। वह कांग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों के प्रति बहुत ही निष्ठुर थे। संभवतः अभी भी होंगे। वह राष्ट्रीय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से बहुत प्रभावित थे। आरएसएस-भाजपा के अलावा वह हर किसी को चोर मानते थे।Read More →