चीन के एक बौद्ध भिक्षु शी ♦Shi Yongxin ने शाओलिन मंदिर को आधुनिक रूप देकर उसे आत्मनिर्भर और रोजगार देने वाला एक केंद्र बना दिया। बौद्ध मठों को पहले भी शिक्षा और शारीरिक व्यायामों का केंद्र माना जाता था। आइए जानते हैं कि कौन हैं भिक्षु शी योंगशिन… जिन्हें सीईओRead More →

चीन में बौद्ध धर्म को पूर्ण रूप से कभी नष्ट नहीं किया गया, लेकिन इसके विकास और प्रसार पर विभिन्न कालखंडों में कई बार गंभीर प्रतिबंध और दमन के प्रयास हुए। विशेष रूप से निम्नलिखित ऐतिहासिक घटनाओं और शासकों ने बौद्ध धर्म पर प्रभाव डाला। तांग वंश (9वीं सदी) के सम्राट वुज़ोंग (Wuzong,Read More →

हम अपनी मानसिक स्थिति के मुताबिक प्रतिक्रिया देते हैं और उसी को सत्य मान लेते हैं- यह दुख देता है

समाज में आप जो भी प्रतिक्रियाएं देते हैं, वह आपकी मानसिक स्थिति के कारण होता है। कोई चीज आपको सत्य और सही लग सकती है, वही दूसरे किसी को असत्य और गलत लग सकती है। इसका मतलब यह है कि आप जिसे सत्य मानते हैं, वह सार्वभौमिक, सार्वकालिक सत्य नहींRead More →

समस्याओं का समाधान वर्तमान को भरपूर जी लेने में

उन लबों की याद आई गुल के मुस्कुराने से जख्म ए दिल उभर आई फिर बहार आने से… तीन काल होता है। भूत, वर्तमान और भविष्य। भूत तो भूत है, उसमें फंसे तो वह प्रेत बाधा है। वो भी क्या दिन थे, वह कहते हुए जिएं या यह कहकर जियेंRead More →

हमारा शरीर ऐसा है कि अगर आपने सोच लिया कि हमको कांस्टीपेशन है तो कांस्टीपेशन हो जाएगा। आप कमोड पर घण्टे भर बैठे रहेंगे, उतरेगी ही नहीं। मैं जब 10-12 साल पहले तम्बाकू खाता था तो एक आदत पड़ गई थी कि बगैर तम्बाकू खाए खुलासा होता ही नहीं था।Read More →

भारत की तमाम जातियां हिन्दू/सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था से बाहर हैं। इनमें ओबीसी कही जाने वाली 90% जातियां हैं। इन जातियों को पता ही नहीं है कि वह किस वर्ण में हैं? ये जातियां अपने को ब्राह्मण या क्षत्रिय होने का दावा करती हैं तो ब्राह्मण और क्षत्रिय मिलकरRead More →

जलाशय की तरह पवित्र और गहरे बन जाइए यही सुख का मार्ग है

सत्येन्द्र पीएस कई साथियों ने जानने की कोशिश की और कहा कि आप बुद्धिज्म के वज्रयान या तंत्रयान के बारे में बताएं। तंत्रयान के बारे में बताने के लिए मैं बहुत छोटा आदमी हूँ। उस फील्ड में मेरी कोई प्रैक्टिस नहीं है। इधर उधर से पाया ज्ञान ही दे सकताRead More →

नाचना गाना नैचुरल है महिलाओं पर न थोपें अपने कुंठा वाले नियम

नाचना, गाना, हंसना, मुस्कुराना, दूसरे के प्रति सद्भाव रखना प्राकृतिक है. मनुष्यों ने कई पीढ़ियों से नियम कानून बनाना शुरू किया. उन्हें आने वाली और अपने लोगों पर थोपना शुरू किया. लेकिन मनुष्य की मूल प्रवृत्ति हजारों साल से नहीं बदली और वह यथावत बनी हुई है. ऐसे में प्रकृतिRead More →

क्या बुद्धिज्म के अहिंसा के प्रचार के चलते भारत गुलाम बना?

अक्सर यह सवाल उठते हैं कि भारत में बुद्धिज्म के कारण लोग अहिंसक और शांतिप्रिय हो गए, जिसका फायदा विदेशी आक्रांताओं ने उठाया और भारत को लंबे समय तक गुलाम रहना पड़ा. वहीं बुद्धिज्म में वैश्विक कल्याण के फैसले करते समय हमेशा बुद्धि विवेक के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी गईRead More →

सेक्स और भोजन की तलाश में घूमता है मनुष्य

सदियों से मनुष्य भोजन और सेक्स के इर्द गिर्द ही घूम रहा है. तमाम वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद हर मनुष्य के केंद्र में यही दो चीजें हैं. जब इससे थोड़ी सी संतुष्टि मिल जाती है तो वह अन्य चीजों की तरफ सोच पाता है. इन जरूरतों को पूरा करना सहजRead More →