वैश्विक स्तर पर पुरुष लेखकों का बोलबाला रहा है। महिलाएं इन लेखकों का शिकार बनती रही हैं। इनके लेखन में अक्सर महिलाओं का मजाक उड़ाया जाता रहा है। यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है कि तुलसीदास ने ढोल, गंवार शूद्र पशु नारी, सभी ताड़ना के अधिकारी लिखा है। यूनानी कवि सेमोनाइड्स ने अपनी कविता में डंकी विमेन (donkey-women) को यौन रूप से अनियंत्रित, डॉग विमेन (dog-women) को अवज्ञा करने वाली बताया है। इसके अलावा वह महिलाओं के प्रकार में स्टॉर्मी सी विमेन (stormy sea-women), ग्रीडी अर्थ विमेन ( greedy Earth-women), थाइविंग वेसेल विमेन (thieving weasel-women), लेजी हार्स विमेन (lazy horse-women), अनअट्रैक्टिव ऐपे विमेन (unattractive ape-women) का भी वर्णन करते हैं। इस वेराइटी की महिलाएं उन्हें बुरी लगती हैं और एकमात्र कठिन श्रम करने वाली बी विमेन (bee-women) कवि को पसंद आती है। तुलसीदास एकमात्र नहीं हैं, पूरी दुनिया तुलसीदास जैसे लेखकों से भरी पड़ी है…. जो महिलाओं के प्रति दुराग्रही हैं।
Daisy Dunn की पुस्तक The Missing Thread: A New History of the Ancient World Through the Women Who Shaped It में प्राचीन विश्व की महिलाओं के योगदान को केंद्र में रखा गया है, जो अक्सर पुरुष-प्रधान ऐतिहासिक लेखन में हाशिए पर रहीं। इस पुस्तक में “donkey-women,” “dog-women,” “stormy sea-women,” आदि—यह प्राचीन यूनानी कवि सेमोनाइड्स (Semonides) के काव्य Poem on Women से संबंधित है, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार की महिलाओं को जानवरों और प्राकृतिक तत्वों से जोड़कर उनकी विशेषताओं का वर्णन किया। यह कविता प्राचीन यूनान में महिलाओं के प्रति रूढ़िगत (stereotypical) और अक्सर नकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
Dunn अपनी पुस्तक में इस तरह के साहित्यिक चित्रणों का विश्लेषण करती हैं ताकि यह दिखाया जा सके कि प्राचीन समाजों में महिलाओं को कैसे देखा जाता था और उनके योगदान को कैसे नजरअंदाज किया गया। वह सेमोनाइड्स के इस काव्य का उल्लेख करती हैं, और इसे प्राचीन यूनानी समाज में महिलाओं के प्रति लैंगिक भेदभाव (misogyny) और रूढ़ियों के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती हैं। Dunn इस बात पर जोर देती हैं कि सेमोनाइड्स की कविता में महिलाओं को विभिन्न जानवरों (जैसे गधा, कुत्ता, समुद्र, पृथ्वी, आदि) से जोड़कर उनकी नकारात्मक विशेषताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, जैसे कि यौन स्वच्छंदता, अवज्ञा, आलस्य, या लालच, जबकि केवल “मधुमक्खी-महिलाओं” (bee-women) को मेहनती और सकारात्मक माना गया।
डेज़ी डन ने इस पुस्तक में इन पुरुष-प्रधान विचारों को चुनौती दी है और यह दिखाया है कि प्राचीन काल की महिलाओं ने अपनी यौनिकता के बारे में खुद क्या कहा था। डन का मानना है कि सेमोनाइड्स ऑफ़ एमोर्गोस जैसे कवियों द्वारा बनाए गए ये “दुराग्रही पुरुषवादी रूढ़िवादिता” केवल एक पक्ष को दर्शाते हैं। ये कविताएं और लेखन महिलाओं के वास्तविक अनुभव और विचारों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हैं।
डन का मुख्य उद्देश्य इन पुरुष-प्रधान रूढ़ियों के परे जाकर महिलाओं के अपने स्वयं के बयानों और जीवन को खोजना है। वह यह साबित करना चाहती हैं कि प्राचीन इतिहास केवल उन पुरुषों के बारे में नहीं है जिन्होंने युद्ध लड़े और साम्राज्य स्थापित किए, बल्कि उन महिलाओं के बारे में भी है जिन्होंने चुपचाप या खुले तौर पर इन समाजों को आकार दिया।
“गधी-महिलाओं” (Donkey-women) का रहस्य इस बात को दर्शाता है कि सेमोनाइड्स जैसे कवि महिलाओं को केवल उनकी यौनिकता के आधार पर देखते थे। इन “गधी-महिलाओं” को यौन रूप से अनियंत्रित (sexually promiscuous) के रूप में चित्रित किया गया है, जबकि इसके पीछे की वास्तविक कहानियाँ अक्सर अनसुनी रह जाती हैं।
डन अपनी पुस्तक में ऐसी महिलाओं के जीवन को खंगालती हैं, जिन्होंने अपनी यौनिकता का उपयोग अपनी शक्ति और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए किया। वह दिखाती हैं कि कैसे कुछ महिलाएं सामाजिक बंधनों के बावजूद अपनी इच्छाओं और जीवन का नियंत्रण अपने हाथों में रखती थीं। यह पुस्तक उन महिलाओं के विचारों, भावनाओं और अनुभवों को सामने लाती है, जिन्हें सदियों से “पुरुषों के लिए एक पहेली” या “दुष्ट” के रूप में चित्रित किया जाता रहा है।
हालांकि, Dunn इस काव्य का उपयोग केवल रूढ़ियों को उजागर करने के लिए नहीं करतीं, बल्कि यह दिखाने के लिए भी करती हैं कि प्राचीन साहित्य में महिलाओं को अक्सर पुरुषों के दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया। वह इस तरह के चित्रणों के विपरीत, वास्तविक ऐतिहासिक महिलाओं—जैसे कि कवयित्री सप्फो, योद्धा आर्टेमिसिया, और फुल्विया—के योगदान को सामने लाती हैं, जो साहित्य, युद्ध, और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। Dunn का तर्क है कि इस तरह की रूढ़ियाँ प्राचीन महिलाओं के वास्तविक प्रभाव और शक्ति को छिपाने का काम करती थीं, और उनकी पुस्तक का उद्देश्य इन महिलाओं को इतिहास के केंद्र में लाना है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि सेमोनाइड्स जैसे लेखकों के कार्यों ने महिलाओं को सीमित और नकारात्मक ढांचे में प्रस्तुत किया, लेकिन पुरातात्विक और साहित्यिक स्रोतों की नई जांच से यह स्पष्ट होता है कि महिलाएँ समाज में कहीं अधिक महत्वपूर्ण और विविध भूमिकाएँ निभाती थीं। Dunn इन रूढ़ियों को चुनौती देती हैं और महिलाओं के अनुभवों को पुनर्जनन करने के लिए प्राचीन स्रोतों की गहन व्याख्या करती हैं, जिससे उनके योगदान को पुनःस्थापित किया जा सके।
Daisy Dunn की पुस्तक में प्राचीन विश्व में वेश्यावृत्ति (prostitution) और यौनकर्मियों (sex workers) की स्थिति को व्यापक दृष्टिकोण से विश्लेषित किया गया है, जिसमें पुरुष-प्रधान साहित्यिक और ऐतिहासिक स्रोतों के साथ-साथ महिलाओं की आवाज़ और उनके योगदान को भी उजागर किया गया है।
Dunn पोम्पेई जैसे प्राचीन वेश्यालयों (brothels) का उल्लेख करती हैं, जहाँ यौनकर्मियों के लिए छोटे, अंधेरे कमरों में काम करने की कठिन परिस्थितियाँ थीं। इन कमरों की दीवारों पर पुरुष ग्राहकों द्वारा लिखे गए भित्तिलेख (graffiti) मिलते हैं, जो महिलाओं के प्रदर्शन और उनके नामों पर टिप्पणी करते थे। यह दर्शाता है कि यौनकर्मियों को अक्सर वस्तु (object) के रूप में देखा जाता था, और उनकी व्यक्तिगत पहचान को पुरुषों के दृष्टिकोण से परिभाषित किया जाता था। Dunn इस बात पर जोर देती हैं कि ये भित्तिलेख समाज में यौनकर्मियों के प्रति नकारात्मक और वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण को उजागर करते हैं।
वह Against Neaera (4वीं शताब्दी ईसा पूर्व) जैसे ऐतिहासिक दस्तावेज़ों का हवाला देती हैं, जो एक एथेनियन राजनेता अपोलोडोरस द्वारा दिया गया अभियोजन भाषण है। यह भाषण यौनकर्मियों की असुरक्षित और कठिन ज़िंदगी को दर्शाता है, जिसमें सामाजिक बहिष्कार, कानूनी जोखिम, और आर्थिक अनिश्चितता शामिल थी। Dunn इस दस्तावेज़ का उपयोग करके यह दिखाती हैं कि यौनकर्मी अक्सर समाज के हाशिए पर थीं और उनकी स्थिति बेहद नाज़ुक थी।
Dunn उन दुर्लभ उदाहरणों को उजागर करती हैं जहाँ यौनकर्मियों ने अपनी एजेंसी (agency) का उपयोग करके समाज में स्थायी प्रभाव छोड़ा। उदाहरण के लिए, वह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की कवयित्री नोस्सिस (Nossis) का ज़िक्र करती हैं, जो दक्षिणी इटली में रहती थीं। नोस्सिस ने एक यौनकर्मी पोलियार्किस (Polyarchis) द्वारा वित्तपोषित एक कला कृति—एफ्रोडाइट (यौन और प्रेम की देवी) की मूर्ति—की प्रशंसा में कविता लिखी। यह मूर्ति एक मंदिर में स्थापित की गई थी, जो दर्शाता है कि यौनकर्मियों को भी कुछ मामलों में सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान देने का अवसर मिला।
इसी तरह, Dunn डोरिचा (Doricha) का उदाहरण देती हैं, जो एक हेताएरा (hetaera, उच्च-स्तरीय यौनकर्मी या वेश्या) थीं। डोरिचा ने अपनी कमाई से डेल्फी में प्रदर्शन के लिए भव्य भुने हुए गोमांस के लिए कटार (spits) खरीदे, जो एक सार्वजनिक योगदान था। Dunn इस बात पर बल देती हैं कि ये महिलाएँ यौनकर्म को केवल आजीविका के साधन के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक स्मृति (legacy) बनाने के अवसर के रूप में देखती थीं। अधिकांश प्राचीन महिलाओं के लिए, जो गुमनामी में खो जाती थीं, यह एक दुर्लभ उपलब्धि थी।
Dunn पुरुष लेखकों के कार्यों, जैसे कि अरस्तूफनेस (Aristophanes) की नाटक Lysistrata (411 ईसा पूर्व) का विश्लेषण करती हैं। इस नाटक में, एथेनियन महिलाएँ पेलोपोनेसियन युद्ध को समाप्त करने के लिए अपने पतियों के साथ यौन हड़ताल (sex strike) करती हैं। Dunn बताती हैं कि इस नाटक में महिलाओं को हास्य प्रभाव के लिए “donkey-woman” जैसी रूढ़ियों (stereotypes) में प्रस्तुत किया गया, जो उनकी यौन स्वच्छंदता को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। हालांकि, नाटक में एक गंभीर मोड़ भी है, जहाँ महिलाओं की वास्तविक भावनाएँ और दृष्टिकोण सामने आते हैं, जो पुरुष लेखक के माध्यम से एक अधिक प्रामाणिक नारीवादी आवाज़ को दर्शाता है।
Dunn इस बात पर ज़ोर देती हैं कि पुरुष लेखकों के कार्य, भले ही पक्षपाती हों, महिलाओं और यौनकर्म के प्रति प्राचीन समाज के दृष्टिकोण को समझने में महत्वपूर्ण हैं। वह इन कार्यों की पुनर्व्याख्या करती हैं ताकि महिलाओं की एजेंसी और उनके सामाजिक योगदान को उजागर किया जा सके।
Dunn यह तर्क देती हैं कि वेश्यावृत्ति प्राचीन विश्व में सामाजिक और आर्थिक ढांचे का एक हिस्सा थी, जो कुछ महिलाओं को सीमित साधनों में स्वायत्तता और प्रभाव प्रदान करती थी। हेताएरा जैसी उच्च-स्तरीय यौनकर्मी अक्सर शिक्षित होती थीं और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेती थीं, जिससे उन्हें सामान्य महिलाओं से अधिक दृश्यता मिलती थी। हालांकि, सामान्य यौनकर्मियों की स्थिति दयनीय थी, और Dunn इसे पोम्पेई के वेश्यालयों और *Against Neaera* जैसे स्रोतों के माध्यम से दर्शाती हैं।
वह यह भी बताती हैं कि यौनकर्मियों के लिए सामाजिक स्मृति (being remembered) एक महत्वपूर्ण प्रेरणा थी, क्योंकि प्राचीन समाज में अधिकांश महिलाओं को गुमनामी का सामना करना पड़ता था। पोलियार्किस और डोरिचा जैसे उदाहरण इस बात को रेखांकित करते हैं कि कुछ यौनकर्मियों ने अपनी कमाई का उपयोग सार्वजनिक योगदान के लिए किया, जिससे उनकी पहचान को अमर बनाया जा सके।
Dunn की पुस्तक में वेश्यावृत्ति को एक जटिल सामाजिक घटना के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो प्राचीन विश्व में महिलाओं की स्थिति, उनकी चुनौतियों, और उनकी एजेंसी को दर्शाता है। वह पुरुष-लिखित स्रोतों की सीमाओं को स्वीकार करती हैं, लेकिन साथ ही उनमें छिपी महिलाओं की आवाज़ को उजागर करने का प्रयास करती हैं। नोस्सिस, पोलियार्किस, और डोरिचा जैसे उदाहरणों के माध्यम से, Dunn यह दिखाती हैं कि यौनकर्मी न केवल समाज के हाशिए पर थीं, बल्कि कुछ मामलों में उन्होंने अपने कार्यों से सांस्कृतिक और सामाजिक परिदृश्य को आकार देने में योगदान दिया। *Lysistrata* और *Against Neaera* जैसे स्रोतों के विश्लेषण से वह प्राचीन समाज में यौनकर्म और महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण की गहरी समझ प्रदान करती हैं।