केंद्र सरकार की दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों पर क्यों छापे मारे? पूरी कहानी यह है

दिल्ली पुलिस ने ‘न्यूजक्लिक’, उसके पत्रकारों से जुड़े परिसरों पर छापे मारे हैं. दिल्ली पुलिस ने देश के जाने माने पत्रकारों भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, परंजॉय गुहा ठाकुरता, संजय राजौरा, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, महेश कुमार, सुबोध वर्मा, अदिति निगम, मुकुंद झा सहित करीब 30 पत्रकारों के घर पर छापेमारी की.

इनमें से कई पत्रकारों के मोबाइल फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर अपने कब्जे में ले लिए. इन पत्रकारों को केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में लेखन और बोलने के लिए जाना जाता रहा है. वहीं सरकार का आरोप है कि इन पत्रकारों ने उस संस्थान के लिए काम किया है, जिसे चीन से धन मिलता है.

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ और उसके पत्रकारों से जुड़े 30 परिसरों पर छापे मारे हैं। ‘न्यूजक्लिक’ पर चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिए धन लेने का आरोप लगाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई. यह आरोप भारतीय जनता पार्टी के सांसद व नेताओं ने लगाए थे.

अधिकारियों ने बताया कि उर्मिलेश और अभिसार शर्मा समेत कुछ पत्रकारों को पूछताछ के लिए लोधी रोड स्थित विशेष प्रकोष्ठ के कार्यालय ले जाया गया है. विशेष प्रकोष्ठ के दल ने उनसे 25 प्रश्न पूछे. इन पत्रकारों से उनकी विदेश यात्राओं, शाहीन बाग प्रदर्शन, किसान प्रदर्शन और अन्य के संबंध में प्रश्न पूछे गए. हालांकि पुलिस ने कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में छापेमारी के तहत अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को समाचार पोर्टल के दक्षिण दिल्ली स्थित कार्यालय ले जाया गया. ‘न्यूजक्लिक’ के दक्षिण दिल्ली स्थित कार्यालय में फोरेंसिक का भी एक दल है.

इस छापेमारी के पक्ष में सरकार ने मोर्चा संभाल लिया. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भुवनेश्वर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश की जांच एजेंसी स्वतंत्र हैं और वे कानून के अनुसार काम करती हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि किसी ने कुछ गलत किया है, तो जांच एजेंसी इस संबंध में काम करती हैं… यह कहीं नहीं लिखा कि यदि आपने अवैध तरीके से धन कमाया है या कुछ आपत्तिजनक किया है, तो जांच एजेंसी इसकी जांच नहीं कर सकतीं.’

कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी के अलावा ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ ने इस छापेमारी को लेकर सरकार की निंदा की है.

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी ‘न्यूजक्लिक’ के वित्त पोषण के स्रोतों की जांच के तहत कंपनी के परिसरों पर छापे मारे थे. विशेष प्रकोष्ठ केंद्रीय एजेंसी से मिली जानकारी के आधार पर छापे मार रहा है. अधिकारियों ने बताया कि विशेष प्रकोष्ठ ने आतंकरोधी अधिनियम, यूएपीए के तहत एक नया मामला दर्ज कर जांच शुरू की है. घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने ‘न्यूजक्लिक’ के कुछ पत्रकारों के लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं. विशेष प्रकोष्ठ के एक दल ने अभिसार शर्मा से नोएडा एक्सटेंशन स्थित उनके घर में पूछताछ की, जिसके बाद वह उन्हें अपने साथ ले गया। दल सुबह पत्रकार के घर पहुंचा और उसने उनका मोबाइल फोन एवं लैपटॉप जैसे गैजेट जब्त कर लिए.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार सुबह शुरू हुई छापेमारी की कार्रवाई यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153ए (दो समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत अगस्त में दर्ज किए गए एक मामले के आधार पर की गई. अभिसार शर्मा ने उन्हें हिरासत में लिए जाने से पहले सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुंची. मेरा लैपटॉप और फोन ले लिया.’

एक अन्य पत्रकार भाषा सिंह ने भी ‘एक्स’ (https://twitter.com/Bhashak?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1709043500371828754%7Ctwgr%5E2f788569931a7798c716557edb82c00741e8f569%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.thelallantop.com%2Fnews%2Fpost%2Fdelhi-police-raid-on-the-houses-of-newsclick-journalists-in-delhi-noida-and-ghaziabad-abhisar-sharma-bhasha-singh) पर लिखा, ‘अंतत: मेरे फोन से आखिरी ट्वीट. दिल्ली पुलिस मेरा फोन जब्त कर रही है.’

अन्य जिन लोगों के परिसर पर छापे मारे गए हैं, उनमें इतिहासकार सोहेल हाशमी भी शामिल हैं। सोहेल हाशमी की बहन शबनम हाशमी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने आज सुबह छह बजे सोहेल हाशमी के घर छापा मारा. छह लोग घर में और शयन कक्ष में घुस आए.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सोहेल से दो घंटे पूछताछ की गई. उन्होंने दावा किया कि पुलिस कर्मियों ने उनका कम्प्यूटर, फोन, हार्ड डिस्क और फ्लैश ड्राइव (पैन ड्राइव) जब्त कर ली हैं.

विशेष प्रकोष्ठ कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे उर्मिलेश के वकील गौरव यादव ने कहा, ‘हम पूर्वाह्न 10 बजे से यहां हैं और अपने मुवक्किलों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमारी अभी तक मुलाकात नहीं हो पाई है. हमें न तो कोई दस्तावेज दिए गए हैं और न ही प्राथमिकी की प्रति दी गई है.’

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि ‘बिहार में जाति आधारित जनगणना के चौंका देने वाले आंकड़े और देशभर में जातीय गणना की बढ़ती मांग के बीच लोगों का ध्यान भटकाने’ के लिए ‘न्यूजक्लिक’ के पत्रकारों के परिसरों पर तड़के छापे मारे गए. खेड़ा ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘कल जब से बिहार की जाति आधारित जनगणना के चौंका देने वाले आंकड़े सामने आये हैं, पूरे देश में जाति जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है. (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी साहिब की नींद उड़ी हुई है. जब पाठ्यक्रम के बाहर का कोई सवाल खड़ा हो जाता है तो मोदी जी के पाठ्यक्रम का एक देखा-भाला अस्त्र बाहर लाया जाता है – मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने का अस्त्र. आज सुबह से ‘न्यूजक्लिक’ के पत्रकारों के खिलाफ हो रही कार्रवाई इसी पाठ्यक्रम का हिस्सा है.’

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा ‘न्यूज़क्लिक’ के पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी को ‘हारती हुई भाजपा’ की निशानी बताया.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि ईमानदार पत्रकारों के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई कोई नयी बात नहीं है. यादव ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘छापे हारती हुई भाजपा की निशानी हैं। ये कोई नयी बात नहीं है। ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे, लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ रुपये हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिए जा रहे हैं, ये भी तो कोई छापे.’

सपा नेता अब्बास हैदर ने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण एवं खतरनाक है। हैदर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी मीडिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रही है. यह हमारे लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक है. हम पत्रकारों के साथ खड़े हैं.’

आम आदमी पार्टी (आप) ने इस कार्रवाई को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह पत्रकारों से ‘डरी हुई’ है. ‘आप’ की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पत्रकारों को गिरफ्तार करके चीन से लड़ने का नाटक कर रही है क्योंकि उसके पास चीन से सीधे तौर पर बात करने की हिम्मत नहीं है.

‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) ने ‘एक्स’ के जरिये कहा कि वह ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े पत्रकारों एवं लेखकों के घरों पर छापेमारी को लेकर बहुत चिंतित है. उसने कहा, ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई छापेमारी से बेहद चिंतित है. हम घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे.’

पीसीआई ने कहा, ‘हम पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और सरकार से मांग करते हैं कि वह इस संबंध में विस्तार से जानकारी दे.’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अगस्त में ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ से शहर पुलिस की उस याचिका पर उनका रुख पूछा था, जिसमें कथित रूप से गैर कानूनी विदेशी धन मिलने के मामले में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के पहले के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी.

यह वेबसाइट भारत में चीन समर्थक प्रचार के लिए अमेरिकी करोड़पति नेविले रॉय सिंघम से कथित तौर पर धन प्राप्त करने को लेकर हाल में सुर्खियों में आई थी. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की जांच का हवाला देते हुए हाल में दावा किया था कि ‘न्यूजक्लिक’ के धन के लेन-देन की जांच से ‘भारत विरोधी एजेंडे’ का पता चला है.

अधिकारियों ने बताया कि विशेष प्रकोष्ठ ने एक नया मामला दर्ज कर जांच शुरू की है. इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी ‘न्यूजक्लिक’ के वित्त पोषण के स्रोतों की जांच के तहत कंपनी के परिसरों पर छापे मारे थे. विशेष प्रकोष्ठ केंद्रीय एजेंसी से मिली जानकारी के आधार पर छापे मार रहा है. घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने ‘न्यूजक्लिक’ के कुछ पत्रकारों के लैपटॉप और मोबाइल फोन का ‘डंप डेटा’ (किसी कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल से किसी दूसरे उपकरण में स्थानांतरित किया गया डेटा) बरामद किया.

कहां से शुरू हुआ विवाद

दरअसल यह बवाल एक अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुरू किया था. उसके पहले भाजपा सरकार को कुछ पता भी न था. 5 अगस्त 2023 को न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) में छपी एक रिपोर्ट छपी. NYT ने अमेरिकी बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम के बारे में बताया कि वह किस तरह दुनिया भर की संस्थाओं को फंड करते हैं, जो चीन की सरकार के प्रोपेगैंडा टूल की तरह काम करती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंघम खुद शंघाई में रहते हैं. पिछले महीने उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के वर्कशॉप में भी हिस्सा लिया था, जिसमें पार्टी को दुनिया भर में फैलाने की चर्चा हुई थी.

नेविल रॉय सिंघम एनजीओ, शिक्षण संस्थानों, मीडिया संस्थानों को फंड करने को लेकर चर्चित हैं. 69 साल के नेविल समाजवादी चिंतक और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में प्रोफेसर रहे आर्चिबॉल्ड डब्ल्यू सिंघम के बेटे हैं. 1991 में आर्चिबॉल्ड का निधन हुआ था. उन्हें आर्चि सिंघम भी कहा जाता था. आर्चि मूल रूप से श्रीलंका के रहने वाले थे. साम्राज्यवाद के खिलाफ उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. बेटे नेविल रॉय सिंघम ने शिकागो में आईटी फर्म की शुरुआत की थी. उन पर बहुत पहले से चीनी सरकार को प्रोमोट करने वाले संस्थानों को फंडिंग करने का आरोप लगता रहा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय सिंघम का ग्रुप कई फ्रंट पर चीनी सरकार के कामों का प्रचार करता है. मसलन, अफ्रीका में राजनेताओं को ट्रेनिंग देना, प्रोटेस्ट (जैसा लंदन में हुआ) को फंड करना. NYT ने दावा किया है कि उसने सिंघम से जुड़ी कई चैरिटी और शेल कंपनियों का पता लगाया है और ग्रुप से जुड़े कई पूर्व कर्मचारियों से बात भी की है. ये भी लिखा है कि ये ग्रुप्स साझा काम करते हैं. वे एक-दूसरे के आर्टिकल और क्रॉस शेयर करते हैं. वे बिना संबंध बताए एक-दूसरे के प्रतिनिधियों का इंटरव्यू करते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक कॉरपोरेट फाइलिंग से पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम का नेटवर्क भारत में एक न्यूज वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ को फंड करता है. अखबार ने न्यूजक्लिक का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि वेबसाइट में चीन की सरकार का काफी कवरेज है. जैसे एक वीडियो में वेबसाइट कहती है कि चीन का इतिहास मजदूर वर्ग को अब भी प्रेरित कर रहा है.

पत्रकार संगठनों ने निंदा की

पत्रकारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठनों ने 3 अक्टूबर 2023  को समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ और उससे जुड़े पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी की निंदा की और कुछ ने दावा किया कि यह प्रेस की स्वतंत्रता को अवरुद्ध करने का प्रयास है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि वह ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर छापों को लेकर बहुत चिंतित है.

समाचार पोर्टल के पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई पर चिंता जताते हुए डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने कहा, ‘उन्हें हिरासत में लिया गया है, उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए गए हैं. यह सरकार के मनमाने और धमकाने वाले व्यवहार का एक और उदाहरण है. हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं.’

नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (दिल्ली इकाई) ने एक बयान में पुलिस के छापों की निंदा की. इसमें कहा गया है कि भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, परंजॉय गुहा ठाकुरता, तीस्ता सीतलवाड, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, महेश कुमार, सुबोध वर्मा, अदिति निगम, मुकुंद झा और कई अन्य लोगों के आवासों पर आज सुबह छापेमारी की गई. बयान में दावा किया गया कि कई मीडिया कर्मियों को हिरासत में ले लिया गया है.

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