डॉग व्हिस्लिंग क्या है, जिस शब्द का इस्तेमाल उच्चतम न्यायालन ने अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को जमानत देने के वक्त किया

डॉग व्हिस्लिंग क्या है, जिस शब्द का इस्तेमाल उच्चतम न्यायालन ने अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को जमानत देने के वक्त किया … बता रही हैं शैलबाला मार्टिन

अशोक यूनिवर्सिटी, हरियाणा के सहायक प्राध्यापक डॉ अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी, हरियाणा में इतिहास और राजनीति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक है। विदेशों में शिक्षित बेहद ज़हीन इंसान हैं।

उनके द्वारा सोशल मीडिया पर हाल ही के पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा पाकिस्तान से संचालित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के संदर्भ में छद्म नागरिक सुरक्षा अभ्यास, मॉब लांचिंग, बुलडोजर पीड़ित समाज को लेकर एक पोस्ट लिखी।

इस पोस्ट में वे महिला सैन्य अधिकारियों के द्वारा प्रेस वार्ता को संबोधित करने की बात भी करते हैं, एक सकारात्मक पोस्ट उनके द्वारा लिखी गई लेकिन उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1) और 197(1) के तहत FIR दर्ज की गई और यही उनकी गिरफ्तारी का कारण भी बनी।

मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा और माननीय न्यायालय द्वारा डॉ अली खान महमूदाबाद को अंतरिम ज़मानत देते समय उन पर ‘डॉग व्हिस्लिंग’ का आरोप लगाते हुए सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। इतना ही नहीं न्यायालय ने डॉ महमूदाबाद को अपनी ज़ुबान भी बंद रखने की हिदायत दी है। अशोक यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी उनकी गिरफ्तारी का विरोध करने पर कार्यवाही की धमकी, जी हां धमकी देना भी इसमें शामिल है।

एक सकारात्मक पोस्ट लिखने वाले व्यक्ति के खिलाफ की गई ये टिप्पणियां तब और भी गंभीर हो जाती हैं जब ऐसी टिप्पणियां करने वाला व्यक्ति भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहा हो।

•पहले समझते हैं कि ‘डॉग व्हिस्ल” क्या है..!

डॉग व्हिसिल एक प्रकार की सीटी है जो उन ध्वनि तरंगों से बनती है जिन्हें इंसान नहीं सुन सकते किंतु कुत्ते और बिल्लियां सुन सकते हैं। इसका इस्तेमाल कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है।

•”डॉग व्हिस्लिंग” के मायने

कॉलिंस के अनुसार “डॉग व्हिस्लिंग” राजनीति में विवादास्पद संदेशों को विशिष्ट मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए, और विपरीत पक्ष के मतदाताओं को नाराज़ करने से बचने के लिए इस्तेमाल करने से संबंधित है। इसे एक विशेष समूह के लिए छिपे हुए संदेश देने प्रयोग किया जाता है।

जिस प्रकार कुत्तों को एक विशेष स्वर अथवा सीटी के माध्यम से किसी आज्ञा अथवा व्यक्ति का अनुसरण करने का आदेश दिया जाता है उन्हीं अर्थों में इसे एक समुदाय विशेष के लिए संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

मूल रूप से ये राजनीति, सांप्रदायिकता, नस्लवाद, लैंगिक भेदभाव आदि में एक विशेष रणनीति के लिए इस्तेमाल किया जाता है। “डॉग व्हिस्लिंग ” एक नकारात्मक शब्दावली है।

•सबसे पहले इस शब्दावली का उपयोग कहां किया गया?

यह शब्दावली सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में 1990 में प्रयुक्त की गई थी।

लोकप्रिय फिलिस्तीनी नारे “नदी से समुद्र तक” को इज़राइल में लाखों यहूदियों के नरसंहार के लिए ‘डॉग व्हिसिल’ माना गया।

•डॉ महमूदाबाद का प्रकरण

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दी है। एक SIT का भी गठन करने के आदेश हरियाणा के डीजीपी को दिए हैं जो डॉ महमूदाबाद के आलेख को पढ़कर उसकी समीक्षा करेगी।

अर्थात SIT ये बताएगी कि आलेख किस मंशा के साथ लिखा गया था? उसमें प्रयुक्त शब्दों का अर्थ क्या है?

संभवतः उनके आलेख के वे हिस्से जिनमें वे छद्म नागरिक सुरक्षा अभ्यास, मॉब लांचिंग, बुलडोजर पीड़ित समाज की सुरक्षा की बात करते हैं तथा जहां वे महिला सैन्य अधिकारियों के द्वारा प्रेस वार्ता को संबोधित करने की बात करते हैं, उनके खिलाफ FIR और गिरफ्तारी का कारण बने हैं।

लेकिन इसे ‘डॉग व्हिस्लिंग’ कैसे मान लिया जाए?
जबकि डॉ महमूदाबाद कोई राजनैतिक व्यक्तित्व नहीं हैं। उनका व्यक्तिगत इतिहास भी विवादास्पद नहीं रहा है तब ये कैसे मान लिया जाए कि उनके द्वारा किसी समुदाय विशेष को कोई संकेत/संदेश देने अथवा मात्र सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से ये आलेख लिखा गया है?

डॉ महमूदाबाद द्वारा उठाए गए मुद्दों पर देश का बुद्धिजीवी वर्ग पहले से ही लिखता बोलता रहा है, लेकिन एक प्रबुद्ध प्रोफेसर को टारगेट बनाकर उस पर इस तरह के आरोप लगाकर जेल भेज देना कई प्रश्न खड़े करता है।

यहां ये भी याद रखने की बात है कि एक राजनेता द्वारा दिए गए बहुत स्पष्ट वक्तव्य के कारण पहले से ही समान प्रकृति का एक अन्य प्रकरण न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। इस वक्तव्य में सेना और एक वर्ग विशेष को लक्षित करते हुए देश की अखंडता को खतरे में डाला गया और सांप्रदायिक उन्माद का स्पष्ट संदेश दिया गया। इस प्रकरण में वक्तव्य देने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है। जबकि दोनों ही मामलों में धाराएं समान हैं।

•”डॉग व्हिस्लिंग” का प्रयोग किस तरह किया जा रहा है?

किसी राजनेता के द्वारा अपने भाषणों के दौरान एक विशेष प्रकार का नारा लगाना और लगवाना भी डॉग व्हिस्लिंग है। ये नारे क्या नेताओं के द्वारा वोट बटोरने का साधन नहीं हैं, क्या ये एक समुदाय के प्रति नफरत को पैदा नहीं करते? क्या ये नारे और एक विशेष समुदाय के प्रति कही गई बातें डॉग व्हिस्लिंग नहीं हैं?

जब एक समुदाय के अपनी जीविका कमाने के साधनों का नाम लेकर जनता को उस समुदाय विशेष के खिलाफ उकसाया जाता है, नफरत का संदेश दिया जाता है तब क्या वो डॉग व्हिस्लिंग नहीं होती?

•विचारणीय

अब आप खुद सोचिए डॉग व्हिस्लर कौन है भाषण के माध्यम से एक संप्रदाय के खिलाफ माहौल बनाने वाले, विशिष्ट प्रकार के नारे लगाकर समाज में वैमनस्य पैदा करने वाले, इन नारों और ज़हर भरी बातों से वोट की फसल काटने वाले नेता अथवा एक बौद्धिक आलेख लिखने वाला प्रोफेसर?

ज़रा सोचिए कि क्या न्याय की देवी अपनी आंखों से पट्टी हटने के बाद भी सही गलत नहीं देख पा रही हैं या पट्टी हटने के बाद अब अच्छी तरह चीन्ह चीन्ह कर न्याय कर रही हैं?

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