वीर विनोद छाबड़ा
टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ़ एक ही डॉन पैदा हुआ है, डॉन ब्रैडमैन. वो बल्ले के बादशाह थे. 52 टेस्ट की 80 इनिंग्स में 29 सेंचुरी सहित 99.94 की एवरेज के साथ 6996 रन. इतने कम टेस्ट और इतनी कम इनिंग्स में इतने रन, आज भी कमाल है. उनके दौर में बल्लेबाज़ी का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं था जो उनके नाम न रहा हो. अनेक रिकॉर्ड टूट चुके हैं लेकिन कुछ आज भी अछूते हैं. उनकी एक झलक देखने भर के लिए क्रिकेट के हज़ारों दीवाने बैचेन रहते थे, स्टेडियम समय से पहले हॉउसफुल हो जाते थे. लेकिन उनके सुनहरे कैरियर में एक लम्हा ऐसा भी आया जिसे दुनिया नहीं भूल पायी और खुद डॉन भी लाख चाहने के बावज़ूद ताउम्र नहीं भूल पाए.
वो दिन 1948 का 14 अगस्त था. स्थान, इंग्लैंड का ओवल. डॉन के कैरियर का आख़िरी टेस्ट. स्टेडियम खचाखच भरा हुआ, इस महान खिलाड़ी को आखिरी मरतबे बल्लेबाज़ी करते देखने के लिए. लेकिन उस दिन दो चमत्कार होंगे, ये कोई नहीं जानता था. क्रिकेट है ही ऐसा खेल, महान अनिश्चितताओं से भरा हुआ. इंग्लैंड के कप्तान नार्मन यार्डले ने टॉस जीता और बल्लेबाज़ी को चुना. एक्सपर्ट्स हैरान हुए, पिछली रात हुई बरसात के कारण पिच में बहुत नमी थी. क्या यार्डले ने आत्महत्या का फैसला कर लिया है. और सचमुच ही बहुत ख़राब नतीजा जल्दी ही सामने आ गया. सिर्फ ढाई घंटे में सब कुछ ख़त्म. भयंकर सन्नाटा. इंग्लैंड वासी सन्न. इंग्लैंड 52 रन पर आल आउट. शुक्र है कि इंग्लैंड ने खुद को सिडनी मैदान पर 1887 में बने अपने सबसे कम स्कोर (45) से बचाया.
लेकिन थोड़ी देर में ही तमाशबीनों के चेहरे पर ख़ुशी वापस लौट आयी. ऑस्ट्रेलिया के सिड बर्न्स और आर्थर मोरिस बल्ला लेकर मैदान में उतरे. सब मना रहे थे कि इनमें से कोई जल्दी आउट हो ताकि डॉन को क्रीज़ पर देखें और पैसा वसूल हो. लेकिन सब चाहत के मुताबिक नहीं होता. इस जोड़ी ने दो घंटे से ज्यादा वक़्त पिच पर बिता दिया. आखिरकार 117 पर बर्न्स आउट हुए और डॉन ने ग्राउंड पर कदम रखा. हज़ारों तमाशबीनों ने खड़े होकर जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया. इंग्लैंड की टीम ने भी उन्हें घेर कर ‘थ्री चियर्स’ किया. ऐसा लग रहा था जैसे ये डॉन की आखिरी पारी हो. ऐसा सोचने की वज़ह भी थी. इंग्लैंड इस सीरीज़ में 1-3 से पीछे थी और पहली इनिंग में बहुत ख़राब खेली थी. शायद ऑस्ट्रेलिया इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर दे कि उसे दूसरी इनिंग खेलनी ही न पड़े. इंग्लैंड इनिंग से हार जाए. कुछ भी हो सकता था.
बहरहाल, डॉन धीरे-धीरे क्रीज़ की तरफ बढ़े. उस वक़्त उनकी नज़रों के सामने से पिछले बीस साल के क्रिकेट पल एक-एक करके गुज़रे. उस दिन उनकी टेस्ट एवरेज 101.39 थी. उन्हें बस 4 रनों की दरकार थी ताकि निश्चित हो जाए कि उनका एवरेज 100 से कम नहीं रहेगा. डॉन ने गार्ड लिया. और एरिक होलीज़ की स्पिन खेलने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने बैकफुट पर जा कर गेंद को मिड ऑफ की तरफ पुश कर दिया. कोई रन नहीं. अगली गेंद. दो स्लिप, एक मिड ऑफ और एक फॉरवर्ड शार्ट लेग. होलीज़ की स्लो गेंद. डॉन ने नज़रें टिकाईं. लेकिन ये क्या? गेंद पैड और बैट के बीच से निकल कर सीधे विकेट में चली गयी. डॉन क्लीन बोल्ड – ज़ीरो. स्टेडियम में हाहाकार मच गया. डॉन सौ रन की मैजिक एवरेज से वंचित हो गए. रेडियो पर कमेंटरी सुन रहे लाखों डॉन प्रेमी सन्न रह गए. डॉन ने एक क्षण भी देर नहीं की और पवेलियन की ओर वापस चल दिए. अब डॉन क्रीज़ पर कभी वापस नहीं लौटेंगे. और सचमुच ये आखिरी इनिंग ही सबित हुई डॉन की. ऑस्ट्रेलिया की इंनिग 389 पर ख़त्म हुई. इंग्लैंड ने दूसरी इनिंग में 188 रन बनाये और इनिंग और 149 रन से हार गयी.
डॉन जैसा परफेक्ट बल्लेबाज़ इतनी जल्दी कैसे आउट हुआ? इस पर सालों चर्चा होती रही. आज भी होती है. कईयों का कहना था कि डॉन उस क्षण बहुत भावुक थे, उनकी आँखों में आंसू थे, इसलिए उन्हें गेंद ठीक से दिखी नही. लेकिन डॉन ताउम्र इसका खंडन करते रहे.