लोग सबसे ज्यादा अपने फ्रेंड्स से धोखा खाते हैं, सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से ऐसा पता चलता है। मुझे मित्रों से कभी कोई प्रॉब्लम नहीं होती। ऐसा नहीं है कि मेरे चिरकुट, स्वार्थी, भक्त, अपढ़, कुपढ़, बांगड़ू टाइप के मित्र नहीं हैं। मिलते ही हैं।
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मित्रता में सबसे अच्छी बात यह है कि आपके पास चॉइस होती है। और रिश्तों में चॉइस कम है। मां बाप, भाई बहन, चाचा चाची, नाना नानी वगैरा आप चुन नहीं सकते। हां, अगर आप पहुंचे हुए हैं तो भले ही चुन लें कि किस वक्त कहां आपको पैदा होना है। बुद्धिज्म में ऐसा माना जाता है कि जो सिद्ध हो जाते हैं, वह अपनी मर्जी के मुताबिक जन्म के लिए गर्भ चुन सकते हैं। हिंदुइज्म में तो और तगड़ा है, जहां यह माना जाता है कि हरेक आत्मा अपने पूर्व संस्कारों और कर्मों के मुताबिक योनि पाती है और हरेक आत्मा अपने जन्म की तिथि, वर्ष, वक्त, स्थान तक खुद तय करती है! खैर यह सब बातें तमाम लोग नहीं मानते क्योंकि ऐसा कुछ है तो उसे जानना कठिन है और तर्क कुतर्क करना सरल।
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मसला यह है कि फ्रेंडशिप ही ऐसा रिश्ता है, जिसमें हमेशा आपके पास च्वाइस रहती है। पति पत्नी के रिश्ते में भी लव मैरिज या विवाह खोजने के पहले तक ही थोड़ी बहुत च्वाइस होती है। जब आप एक बार फंस गए तो फिर कोई च्वाइस नहीं रह जाती। मित्रता ही एक ऐसा रिश्ता है कि आप जब चाहें तब इस रिश्ते से निकल जाते हैं। चाहें तो आप हच्च से ब्लॉक कर दें या अनफ्रेंड कर दें, या लेस च्वाइस में रिश्ते को डाल दें। असीमित विकल्प है, इसलिए यह बहुत अच्छा लगता है।
पहले यह फील होता था कि शादीशुदा लोग एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स रखते हैं, वह गड़बड़ है। लेकिन अब वह मित्रता भी गड़बड़ नहीं लगती। अगर आप अपने पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक हर तरह के दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं और आपका किसी महिला या पुरुष से प्यार है, उसके साथ चोरी छिपे टीनएजर्स प्रेमी प्रेमिका की भांति घूमकर, हंस बोल बतियाकर खुश हो ले रहे हैं तो उसमें गड़बड़ क्या है?
सो बी हैपी फ्रेंड्स। ऐसी विचारधारा में न फंसें जो आपको किटकिटाना, चभुआना, गरियाना, कुंठित होना सिखाए। फेसबुक पर अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग कुंठित होकर दूसरे को गरियाने, उसका खंडन करने में ही एनर्जी खपा रहे हैं, जबकि उससे उखड़ता कुछ नहीं है। सामने वाला थोड़ा बहुत बर्दाश्त करेगा, फिर पटाक से ब्लॉक करेगा, वह कोई आपकी बीवी बच्चा मां बाप थोड़े न है कि मजबूरी में झेलेगा! और इसी सब के बीच तमाम अच्छे मित्र मिल जाते हैं, जैसे मेरे हजारों मित्र हैं



ईद मुबारक। इस त्योहार में गले मिलने वाला सिस्टम बहुत अच्छा लगता है। यह बहुत कूल कूल और नेचुरल लगता है। जितने भी प्रेमी प्रेमिका हैं, गले मिलने को बेताब रहते हैं इसलिये इसे प्रेम का प्रतीक भी मानें
