FSC-Mauritius अदाणी समूह में पैसे लगाने वाली कंपनियों का ब्योरा साझा करने को तैयार, लेकिन भारत ने अब तक इसके लिए अनुरोध नहीं किया
अदाणी समूह की हेराफेरी की जांच के मामले मे पहली राहत FSC-Mauritius से आई है. मॉरीशस के फाइनैंशियल सर्विस कमीशन (FSC-Mauritius) के चीफ एग्जिक्यूटिव धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर ने कहा है कि अदाणी समूह से जुड़ी कंपनियों ने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है. हालांकि ठाकुर ने यह सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया कि अदाणी समूह में निवेश करने वाली कंपनियों में किसने पैसे लगाए हैं, जो सिर्फ अदाणी समूह में निवेश किया था.
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कौन हैं धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर?
धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर (Dhanesswurnath Vikas Thakoor) 18 मई, 2020 से FSC-Mauritius के चीफ एग्जिक्यूटिव हैं. उन्होंने सूचना तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सिस्टम ऑटोमेशन में मास्टर डिग्री की पढ़ाई की है. साथ ही उहोंने फाइनैंस में स्पेशलाइजेशन के साथ एमबीए किया हुआ है. उन्हें सेंट्रल बैंकिंग का 25 साल का अनुभव है. FSC-Mauritius ज्वाइन करने के पहले वह पेमेंट्स सिस्टम्स ऐंड द म़ॉरीशस क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के असिस्टेंट डायरेक्टर थे.
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Financial Services Commission, Mauritius (FSC- Mauritius) क्या है?
फाइनैंशियल सर्विस कमीशन मॉरीशस (FSC- Mauritius) गैर बैंक वित्तीय सेवा क्षेत्र और वैश्विक व्यापार का एकीकृत नियामक है, जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी. इसका प्रमुख काम मॉरीशस के पूंजी बाजार और वित्तीय संस्थानों का विकास सुनिश्चित करना, उनमें कुशलता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. साथ ही यह गैर बैंकिंग वित्तीय प्रोडक्ट्स में सार्वजनिक निवेश को सुरक्षा प्रदान करने का काम भी देखता है. मॉरीशस की वित्तीय व्यवस्था में स्थिरता और मजबूती सुनिश्चित करने का जिम्मा भी इसी संस्थान को है.
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मॉरीशस क्यों नहीं कर रहा है खुलासा?
आर्थिक समाचारपत्र बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक FSC- Mauritius के Chief Executive ठाकुर से जब पूछा गया कि मॉरीशस इस मामले में खुद ही खुलासा क्यों नहीं कर रहा, तो उन्होंने कहा कि ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मॉरीशस की साख गिरेगी. उन्होंने कहा, ‘स्वाभाविक रूप से अपने खाते का खुद खुलासा करना आसान नहीं है. ऐसे में हम सीधे इस मामले में आगे नहीं बढ़ सकते.’
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अदाणी समूह को अब तक हो चुका 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान
शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी 2023 की रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप की मार्केट वैल्यू 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो चुकी है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का अदाणी समूह ने खंडन किया था, लेकिन निवेशकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और अदाणी के शेयर पिटते रहे.
शुरुआती जांच में मॉरीशस के नियामक को गड़बड़ी नहीं मिली
मॉरीशस के नियामक के मुताबिक अदाणी समूह से संबंधित 38 वैश्विक कंपनियों और 11 फंडों की शुरुआती जांच में कानून का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है. नियामक के मुताबिक मीडिया में इस तरह की खबरें आने पर हम जांच करते हैं, लेकिन अब तक नियमों के अनुपालन न होने का मामला सामने नहीं आया है.
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मॉरीशस के शेयर बाजार नियामक ने अदाणी समूह को दिया क्लीन चिट
धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर ने कहा कि जब भी मीडिया रिपोर्ट आती है तो हम उसकी जांच कराते हैं. उन्होंने कहा कि हमने प्रबंधन कंपनियों से कंप्लायंस रिपोर्ट सबमिट करने को कहा था और अब तक मिली सूचनाओं में किसी कानून का उल्लंघन नहीं दिखा है. उन्होंने कहा कि इनमें से तमाम कंपनियां हमारे नियमित निरीक्षण में भी शामिल थीं और मनी लॉडरिंग कानून अथवा आतंकवाद को आर्थिक मदद देने के खिलाफ कानून का कोई उल्लंघन नहीं दिखा है.
सेबी के साथ जानकारी साझा करने को तैयार है मॉरीशस
भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी ने अदाणी के उस 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ की जांच शुरू की है, जिसे लाने के बाद कंपनी ने वापस ले लिया था. सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की कोई जांच अब तक नहीं की है. मॉरीशस के बाजार नियामक का कहना है कि वह सेबी के साथ सहयोग कर रहा है. भारत और मॉरीशस दोनों देशों के नियामकों में सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए समझौता है, जिसके तहत दोनों देश सूचनाएं साझा करते रहते हैं, लेकिन इस मामले में भारत की ओर से कोई अनुरोध नहीं मिला है.
अब सवाल यह है कि भारतीय बाजार नियामक ने अब तक अदाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं की, जबकि हिंडनबर्ग के साथ आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने खुले आरोप लगाया है कि 6 ऐसी कंपनियां हैं, जिनका मॉरिशस में एक ही पता है, अधिकारियों के एक ही नाम हैं और इन कंपनियों ने बयालीस हजार करोड़ रुपये अदाणी समूह में लगाए. संजय सिंह का आरोप यह है कि इन गुमनाम कंपनियों में भाजपा के नेताओं के पैसे लगे हैं. मॉरीशस को टैक्स हैवन कहा जाता है. वहां कंपनी खोलकर भारत की अदाणी समूह में निवेश किया गया. मॉरीशस में किसने कंपनियां खोलीं, उन कंपनियों में किसका धन लगा है और उन कंपनियों ने अदाणी समूह में ही सारा धन क्यों लगा दिया है, यह जांच का विषय है.