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Gorakpur News : मनुष्यों के प्रति मनुष्यों की घृणा है हत्याओं व आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार

जब भी कोई मौत या आत्महत्या या सामूहिक आत्महत्या या किसी व्यक्ति द्वारा अपने परिवार को मार डालने की घटना आती है, जो उसे बहुत सस्ते में निपटा दिया जाता है. उसकी वजह शराब की लत, आर्थिक तनाव, जुआ आदि बता दिया जाता है. या कभी कभी निजी या व्यक्तिगत रंजिश बता दी जाती है. मनुष्यों के जीवन का कोई मूल्य न होने की वजह से संभवतः ऐसा किया जाता है. सरकार यह माने बैठी है कि जनसंख्या समस्या है, लोग जैसे मर रहे हैं, मरें. उसे कोई मतलब नहीं कि कौन कैसे मर रहा है. गोरखपुर में अपने परिवार को मारकर एक युवा ने खुद को आग लगा ली. इस पर सत्येन्द्र पीएस ने अपनी फेसबुक वाल पर टिप्पणी की है. यह विचार उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है, कुछ शब्दों के संपादन के साथ…

मनुष्यों के जीवन में तरह तरह के तनाव हैं। और भारत में लोग कुत्ता, बिल्ली, भेड़ बकरी किसी से भी प्रेम करने लग सकते हैं, लेकिन उन्हें उसी मनुष्य प्रजाति पर ध्यान देने का वक्त नहीं होता, जिस प्रजाति के वह खुद हैं।

गोरखपुर के इंद्र बहादुर मौर्य ने पहले अपनी 38 साल की पत्नी सुनीता को चाकुओं से गोदकर मार डाला, उसके बाद 10 साल की बेटी चांदनी को मार डाला, 8 साल के बेटे आर्यन को मार डाला। फिर खुद भी आग लगाकर मर गए। 42 साल के इन्द्रबहादुर सब्जी बेचते थे। गांव में अपने खेत मे ही उनका 3 कमरे का मकान था।

खबर के मुताबिक इन्द्रबहादुर जुआ खेलते थे, जिसके चलते घर मे झगड़ा होता था। पूरे परिवार को मार डालने की वजह यही बताई जा रही है। शुक्र है कि मौत के लिए शराब को दोषी नहीं ठहराया, शायद किसी गांव वाले ने ऐसा कहा नहीं होगा।

अगर मानव जीवन का मूल्य होता तो सरकार को क्या करना था?

कम से कम 5 टीमें लगाई जातीं। उस परिवार की पूरी छानबीन होती। किस व्यक्ति से कितना कर्ज लिया? किस मकसद से कर्ज लिया? कर्ज लेकर जुआ खेलने का आरोप सही है या निजी जरूरतों के लिए उसने कर्ज लिया था? उसके जीवन मे और कौन कौन से तनाव थे? जुआ खेलने वाले और कितने लोग हैं और उनकी क्या स्थिति है और क्या वह भी अपनी पत्नी और बाल बच्चो को मारकर फांसी लगाने वाले हैं?

अलग अलग सामाजिक रिपोर्ट के आते अलग परिणाम

जब 4-5 सामाजिक रिपोर्ट तैयार कराई जाती तो अलग अलग नजरिये से अलग अलग परिणाम आते कि यह घटना किन परिस्थितियों में हुई। पुलिस जांच तो एक सबसे छोटा एंगल होता है कि कैसे सुसाइड किया, किन हथियारों का इस्तेमाल हुआ?

जांचें कराना कठिन नहीं, पढ़ाई कर और करा रहे लोग करें काम

यह सब जांचें करना कोई कठिन नहीं है। यूनिवर्सिटी में तमाम प्रोफेसर हैं जो 80 मिनट पढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये सेलरी टानते हैं। उनका यह काम होना चाहिए कि समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, अपराध विज्ञान, अर्थशास्त्र का प्रोफेसर जाए और इन चीजों का अध्ययन करे। अपने स्टूडेंट्स को केस स्टडी करने के लिए लगाएं। वरना यह समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र में झौवा भर डॉक्टर तैयार करने और यह सब सब्जेक्ट पढ़ाने का मतलब क्या है?

तरह तरह के दुख

खैर… दुख भी अजीब अजीब होते हैं। किसी के पास धन है, पद है, घूमने फिरने मौज करने भर को पैसे हैं तो पता चलता है कि वह ब्याह करने के लिए पगलाया है। इसी के पास धन है पैसे हैं बीवी भी है और मौज मस्ती भी कर रहा है लेकिन बच्चे नहीं हो रहे हैं उसके लिए पगलाया पड़ा है। और किसी के पास पत्नी है खाने पीने को है, दो बेटियां हो गईं तो वह बेटे के लिए पगलाया पड़ा है।

और अंतिम में… आदर्श अवस्था वाले की खबर की क्लिपिंग है। शारीरिक स्वस्थ 42 साल का पुरुष, 38 साल की सुंदर महिला, एक बेटी, एक बेटा, रहने के लिए 3 कमरे का अपने खेत में मकान। यह पूरा परिवार अब इस दुनिया में नहीं रहा.

 

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