हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता टेड हुई को ऑस्ट्रेलिया में शरण मिली

हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता टेड हुई को ऑस्ट्रेलिया में शरण मिली, हांगकांग पर चीन अपना कब्जा बनाए रखने की कोशिश में लगा है। लोकतंत्र समर्थकों पर चीन कहर ढाता रहा है। हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता टेड हुई को ऑस्ट्रेलिया में शरण दी गई है। हुई ने अपने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए इस बात की पुष्टि की है। चार साल से भी ज़्यादा समय पहले, वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आरोपों से बचने के लिए हांगकांग छोड़ कर चले गए थे।

पूर्व सांसद हुई ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्हें, उनकी पत्नी, बच्चों और माता पिता को ऑस्ट्रेलिया के गृह मामलों के विभाग से सुरक्षा वीज़ा दिए जाने की लिखित सूचना मिली है। उन्होंने कहा, “यह फैसला स्वतंत्रतान्याय और करुणा के मूल्यों को दर्शाता है, जिसे मेरा परिवार कभी भी हल्के में नहीं लेगा।”

ऑस्ट्रेलिया के गृह मामलों के विभाग ने गोपनीयता का हवाला देते हुए इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, हांगकांग सरकार ने एक बयान जारी कर किसी भी देश द्वारा किसी भी रूप में अपराधियों को शरण देने”  की निंदा की है। बयान में कहा गया है कि हांगकांग सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधियों का पीछा करने और उनसे लड़ने के लिए हर संभव कानूनी उपाय अपनाएगी। हालांकि, इस बयान में हुई या किसी अन्य भगोड़े का नाम नहीं लिया गया।

महत्वपूर्ण बातें

  • टेड हुई का पलायन: टेड हुई दिसंबर 2020 में हांगकांग से भाग गए थे।तब वह डेनमार्क में आधिकारिक बैठकों में हिस्सा लेने गए थे। वहां से उन्होंने स्व-निर्वासन की घोषणा की। बाद में वह ब्रिटेन और फिर ऑस्ट्रेलिया चले गए।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा कानून: हांगकांग के कई लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को चीन द्वारा 2020 में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निशाना बनाया गया है। इस कानून के तहत अलगावतोड़फोड़आतंकवाद और विदेशी ताकतों से मिलीभगत जैसे अपराधों के लिए उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है।
  • पासपोर्ट रद्द करना: पिछले साल हांगकांग सरकार ने नए घरेलू सुरक्षा कानून के तहत हुई सहित सात विदेशी कार्यकर्ताओं के पासपोर्ट रद्द कर दिए थे।
  • ब्रिटेन में भी शरण: ब्रिटेन में रहने वाले हांगकांग के एक अन्य कार्यकर्ता टोनी चुंग को भी हाल ही में ब्रिटेन में शरण दी गई है।

यह घटनाक्रम दिखाता है कि हांगकांग से लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं का पलायन जारी है और कई पश्चिमी देश उन्हें शरण दे रहे हैं, जिससे चीन और इन देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है।

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