आयुर्वेद में तमाम दवाएं गलत काम्बिनेशन के कारण हानिकारक साबित होती हैं। बता रहे हैं डॉ प्रदीप चौधरी
मेरे एक मित्र बता रहे हैं, उनके किसी जानने वाले ने दर्द के लिए महा योगराज गुग्गुल लिया, अब लेड पॉइज़निग हो गयी है।
एक बात समझिये, आयुर्वेद में दो तरह की दवाएं होतीं हैं,
एक काष्ठ औषधि, दूसरी रस औषधि।
काष्ठ औषधि, वह है जिसमें पारे और गंधक, हेवी मेटल का प्रयोग नहीं होता है।
दूसरी, रस औषधि, जिसमें उपरोक्त का प्रयोग होता है।
हर दवा का खाने का तरीका (अनुपान) होता है, सारी दवाइयाँ पानी के साथ नहीं लेनी होतीं हैं, बीमारी या उस औषधि के हिसाब से विशेष अनुपान होता है। साथ मे विशेष परहेज भी होता है।
जो कई बार दवाओं के एफीकेसी को बढ़ाता है, या दवा के दुस्परिणाम को कम करता है।
उदाहरण से समझिये, दाल को जब हींग से छौंकतें हैं,तो वह दाल के वात बढ़ाने वाले दुर्गुण को कम करता है।
पका कटहल खाने में अच्छा होता है, पर अगर उसके बाद चूना ले लिया तो आपकी जान तक जा सकती है। पर अलग अलग दोनों ही की फ़ायदे हैं।
पर मछली के बाद दूध पीने के साइड इफेक्ट्स उतने तेज नहीं हैं।
इसी तरह दवाओं के साथ भी है, हर दवाओं के साथ अपने पथ्य- अपथ्य हैं, जितनी भी रस औषधियाँ हैं, उनके साथ विशेष पथ्य और अपथ्य होतें हैं।
पारे की नमक से दुश्मनी है, इसलिए किसी भी रस औषधि के साथ नमक का प्रयोग नुकसान करेगा, बहुत से लोग भोजन के तुरंत बाद ही दवा फांक लेते हैं, बिना नमक के भोजन तो होता नहीं। इसी तरह ककड़ी, कद्दू, तरबूज, बेर, करौंदा, हींग, बैगन, बेल,करेला ,अधिक गर्म मसाले नहीं खाना चाहिए, ये सब पारे के विरोधी हैं।
इन सब के अलावा, कोई भी रस औषधि लगातार 40-50 दिन से अधिक नहीं खानी चाहिए।
एक ही रोग के लिए अवस्था के अनुसार हज़ारों दवाइयाँ हैं, जिनका बदल- बदल कर प्रयोग किया जाता है।
दवा खाने से अवस्था बदलती है, फिर दवा उसी अवस्था के अनुसार बदल जाती है, जैसे आज कोई मरीज आया,आम की अवस्था लगी तो दवा अलग होगी, 15 दिन बाद स्तिथि बदली तो अलग, फिर उस दवा के कारण,वात, पित्त,कफ मे बदलाव आया, तो दवा या अनुपान बदला जाता है,फिर ठीक होने पर रसायन वाली दवाएं लिखी जातीं हैं। तो एक बार किसी से पर्चा लिखवाकर उसको सालों लेते रहना और फिर जानने वालों को भी खिला देना आयुर्वेद नहीं है।
दूसरी बात, योगराज गुग्गुल, महायोगराज गुग्गुल में ऐसा नहीं है कि, महा योगराज ज्यादा अच्छा है, दोनों का काम अलग है, अलग तरीके से प्रयोग होता है।
कुछ कंपनिया जो सारे दवाओं को एक ही में मिलाकर कोई दवा बना देतीं हैं, उनके प्रयोग से बचें।
दवाएं हमेंशा, अच्छी और पुरानी कंपनियों की लें,
क्युकी, औषधियों का शोधन सबसे जरूरी चीज है, जो बहुत सी कंपनिया, सही से नहीं करतीं हैं।