केरल के अनुसूचित जाति समुदाय के देवस्वोम मंत्री के राधाकृष्णन के साथ उस समय मंदिर के 2 पुजारियों दुर्वयवहार किया, जब वह कार्यक्रम स्थल पर दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए लाए. मंत्री ने एक सार्वजनिक सभा में खुद इसकी जानकारी दी. हालांकि मंत्री ने यह खुलासा नहीं किया कि यह किस मंदिर की घटना है.
राधाकृष्णन ने कहा कि मंदिर के 2 पुजारियों ने उन्हें वह ‘दीपक’ सौंपने से इनकार कर दिया, जो वे उद्घाटन के अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर मुख्य दीप प्रज्जवलित करने के लिए लाए थे. मंत्री ने आरोप लगाया कि इसके बजाय उन्होंने खुद मुख्य दीप प्रज्जवलित किया और उसके बाद, उन्होंने ‘दीपक’ को जमीन पर रख दिया. मंत्री ने कहा कि यह सोचकर दीप रखा कि वह इसे उठा लेंगे और मुख्य दीप प्रज्जवलित कर देंगे. हालांकि मंत्री ने अभी तक मंदिर के नाम का खुलासा नहीं किया है.
वहीं टीवी चैनलों ने कन्नूर जिले के पायन्नूर मंदिर में हाल ही में हुए ‘नादपंडाल’ के उद्घाटन की तस्वीरें जारी की हैं. उसी कार्यक्रम में मंत्री ने शिरकत की थी. वीडियो में देखा जा सकता है कि पुजारी ‘दीपक’ मंत्री को नहीं सौंप रहे और उसे जमीन पर रख रहे हैं.
केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने उन पुजारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने हाल ही में कन्नूर जिले के एक मंदिर में आयोजित समारोह के दौरान जाति के आधार पर राधाकृष्णन के साथ कथित तौर पर भेदभाव किया था.
कांग्रेस के नेता सतीशन ने कहा कि अगर कोई वाइकोम सत्याग्रह के 100 साल बाद अस्पृश्यता को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, तो इसे बहुत गंभीरता से लेना होगा और सरकार को संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. सतीशन ने घटना को ‘स्तबधकारी और दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए पूछा कि मंत्री ने इस बात को इतने लंबे समय तक क्यों छिपाया.
सतीशन ने कहा, “उन्होंने (मंत्री ने) एक सार्वजनिक सभा में इसका खुलासा किया. मेरा सुझाव है कि सरकार को संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि 100 साल पहले हमने पिछड़े समुदायों, दलित समुदायों के लिए वाइकोम सत्याग्रह किया था. 1936 में केरल के पिछड़े और दलित समुदाय के लोगों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति दी गई थी.”