हर धर्म में खाने पीने और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा सम्बन्ध माना गया है

आहार और मानसिक स्वास्थ्य में सीधा सम्बन्ध है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण के अलावा अब्राहमिक धर्मों—यहूदी, इसाई और इस्लाम में भी इसका वर्णन मिलता है।।  इन धर्मों में भी आहार और मानसिक स्थिति के बीच ऐसा संबंध माना गया है। हर धर्म में आहार और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा सम्बन्ध माना गया है बता रहे हैं डॉ प्रदीप चौधरी

आयुर्वेद में कहा गया है—
“आहारः प्रीणनः सद्यो बलकृद्देहधारकः। आयुस्तेजः समुत्साहस्मृत्योजोऽग्निविवर्द्धनः।।”

यानी भोजन से तुरंत शक्ति, उत्साह, स्मृति और तेज प्राप्त होता है, साथ ही मानसिक ओज भी।

भगवद गीता में कहा गया है कि
सात्त्विक व्यक्ति सात्त्विक आहार चाहते हैं—जो आयु, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति देने वाले होते हैं।
तामसिक भोजन—जो बासी, दुर्गंधयुक्त, सड़ा हुआ हो—अवसाद, क्रोध और आलस्य को बढ़ाता है।

अब आइए बाइबिल की ओर—
Proverbs 17:22 कहता है:
“A joyful heart is good medicine, but a crushed spirit dries up the bones.”
यह स्पष्ट करता है कि मानसिक प्रसन्नता ही औषधि है—अर्थात मन का सुख, शरीर को निरोग बनाता है। इसके विपरीत नकारात्मकता केवल मन को नहीं, हड्डियों तक को सुखा देती है।

क़ुरान (Surah Al-Baqarah 2:168) में कहा गया है:
“O mankind! Eat of what is lawful and wholesome on the earth…”
यहाँ ‘हलाल’ के साथ ‘तय्यब’ शब्द भी है, जो केवल धार्मिक नियमों के अनुरूप नहीं, बल्कि शरीर और मन दोनों के लिए पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक हो, ऐसा आहार बताया गया है।

यहूदी धर्मग्रंथ टोराह में भी मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा भोजन के माध्यम से होती है।
Genesis में लिखा गया है कि परमेश्वर ने मनुष्य के लिये हर फल और बीज युक्त वनस्पति बनायी, जिससे उसका पोषण और मन की शांति सुनिश्चित हो।
Talmud (Berakhot 57b) में भी मानसिक स्वास्थ्य को “शालोम” यानी सम्पूर्णता से जोड़ा गया है—जो तब संभव है जब शरीर और आत्मा संतुलन में हों।

और यह सब एक बिंदु पर जाकर मिलते हैं—”आहार केवल पेट का नहीं, मन और आत्मा का भी होता है।”

आज की दुनिया में जहाँ सूचना-प्रवाह और रील्स की बाढ़ ने मन को विचलित और थका दिया है, वहाँ शुद्ध आहार, संयमित दिनचर्या, और आस्था की गहराई मन के लिए एक सच्चा रसायन है।

आयुर्वेद कहता है—ओजस का क्षय भय, चिंता, क्रोध और रोगों को जन्म देता है। गीता कहती है—मन को संयमित करो। कुरान कहता है—तय्यब खाओ। बाइबिल कहती है—प्रसन्न हृदय औषधि है। टोराह कहती है—भोजन केवल भौतिक नहीं, आध्यात्मिक भी है।

इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए सभी परंपराएं अंततः एक ही बात कहती हैं—सात्विक जीवन, पवित्र आहार, और सच्चे हृदय से जीवन जीना।

(आयतों, प्रवर्ब की गलती हो सकती है,इग्नोर करें)

#शतभिषा #shatbhisha

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *