अवलोकितेश्वर बज्र
अनंत आकाश में ग्रह और तारे अपने कक्ष मार्गों में अगाध गति से चलते रहते हैं. उनमें परस्पर आकर्षण है. साथ ही उनका अपना गुरुत्वाकर्षण भी है. इसका स्पष्ट प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है. हम दिन रात, गर्मी सर्दी, छोटे बड़े दिन आदि की अनुभूति ग्रहों की स्थिति के कारण ही कर पाते हैं. इसी तरह अंधेरी रात से लेकर चांदनी रात तक होती है. प्राचीन समय में जब कृत्रिम प्रकाश की सुविधाएं नहीं थीं तो अंधेरी व चांदनी रात का अपना अलग महत्त्व था और यह गणना पहले से हुई रहती थी कि कौन सी रात चांदनी होगी, कौन सी अंधेरी होगी. इसी तरह से मौसम और उसके कालखंड की सटीक जानकारी रहती थी. इसके अनुसार व्यक्ति अपने कार्य की योजना पहले से बना लेते थे.
इस तरह से ग्रहों के पारस्परिक आकर्षण औऱ उनकी हलचलों का असर पृथ्वी नामक ग्रह पर पड़ता है. साथ ही इसका असर पृथ्वी के समस्त जीवों पेड़ पौधों पर पड़ता है. स्वाभाविक है कि मनुष्यों पर भी इसका असर पड़ता है और जब इसकी पहले से जानकारी रहती है तो मनुष्य अपनी सामर्थ्य के मुताबिक इसकी तैयारी भी कर लेते हैं.
समस्त मानव जीवन एक अदृश्य शक्ति से संचालित है. इसे पाश्चात्य और भारतीय सभी स्वीकार करने को बाध्य हैं. इसे पूरा विश्व स्वीकारता है कि ग्रहों और तारों व उनकी स्थितियों के अध्ययन विवेचन तथा विद्वानों के अनुभवों के आधार पर भारतीय ज्योतिष अपनी गणित से परिपूर्ण है. वह व्यक्ति, समाज और विश्व पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव की गणना कर सकता है. साथ ही भारतीय ज्योतिष व्यक्ति के अदृश्य भविष्य की पूर्व गणना भी करता है. ज्योतिष सूक्ष्मतम गणना करने, उसे बताने, उससे बचने और उसके सहयोगी ग्रहों की उपलब्धियों के बारे में पूरी जानकारी भी देता है.
डॉ नारायण दत्त श्रीमाली मोहनलाल सुखाड़िया से लेकर कई राजनेताओं का भविष्य बताकर चर्चा में आए. आइए कुछ योग के बारे में बात करते हैं, जिसके बारे में डॉ श्रीमाली ने बताया है…
भौम सुनफा योग
विक्रम वित्त प्रायो निष्ठुरवचनश्च भूपतिश्चन्द्रे
भौम के साथ सुनफा योग रखने वाला व्यक्ति प्रबल, धनवान, राज्य करने वाला और पराक्रमी होता है.
बुध अनफा योगः
गंधर्वो लेख्यपटुः कविः प्रवक्ता नृपाप्त सत्कारः
रुचिरः सुभगोअपि बुधे प्रसिद्ध कर्माअ नफायांहि।
बुध के द्वारा अनफा योग से संपन्न व्यक्ति चतुर, ललित कलाओं में रुचि रखने वाला, प्रसिद्ध वक्ता, राजा, सुंदर आकृति युक्त, प्रबल भाग्यवान और अपने कार्य में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला जातक होता है.
वापी योग
दीर्घायुः स्यादात्मवंश प्रधानः
सौख्योपेतोअत्यन्त धीरो नरो हि
चज्चद्वाक्यस्तन्मनाः पुण्य वापी
वापी योगो यः प्रसूतः प्रतापी
वापी योग में उत्पन्न जातक दीर्घायु, अपने वंश में प्रधान, सुखी, अत्यंत विवेकी, प्रसन्नतायुक्त वचन बोलने वाला, प्रसन्नचित वाला, पुण्य करने वाला तथा बड़ा प्रतापी होता है.
अर्ध चंद्र योग
भूमीपाल प्राप्त चज्चत्प्रतिष्ठः
श्रेष्ठः सेना भूषणार्थाम्बराद्यैः
चेदुत्पतौ यस्य योगोअर्द्ध चन्द्र
श्चन्द्रः स स्यादुत्सवार्थ जनानाम्
अर्धचंद्र योग में उत्पन्न जातक राज्य करने में समर्थ, मनुष्यों में श्रेष्ठ, भोग विलासमय जीवन व्यतीत करने वाला एवं अत्यंत प्रसिद्ध होता है.
दामिनी योग
जाता नन्दो नन्दनाद्यैः सुधीरो
विद्वान भूपः कोप सज्जात तोषः
चज्चछीलोदार्य बुद्धिः प्रशस्तः
शस्तः सूतौ दामिनी यस्य योगः
जिस जातक की कुंडली में दामिनी योग होता है वह पुत्र एवं ऐश्वर्य से आनंद प्राप्त करने वाला, गंभीर, विद्वान, राजा, उत्तम स्वभाव तथा बुद्धि से युक्त व ख्यातिवान होता है.
प्रबल राज्य योग
लग्ने लग्नपतिर्बलान्वित वपुः केंद्रे त्रिकोणे शिवे
पृच्छा जन्म विवाह यान तिलके कुर्यान्नृपं तं ध्रुवम्
सच्छीलं विभवान्वितं गजयुतं मक्तात पत्रान्वितं
जातं निम्नकुले विभूतिपुरुषं शंसन्ति गर्गादयः
जिसकी कुंडली में लग्नेश लग्न या केंद्र या त्रिकोण में हो तो जातक निश्चय ही राज्य भोग करता है. ऐसा व्यक्ति उत्तम स्वभाव वाला, ऐश्वर्य सम्पन्न, विभिन्न वाहनों से युक्त होता है. साधारण कुल में जन्म लेने वाला भी ऐसा व्यक्ति प्रबल ऐश्वर्यवान और राजा होता है.
एकः शुक्रो जनन समये लाभसंस्थे च केन्द्रे
जातो वै जन्मराशौ यदि सहजगते प्राप्तये वा त्रिकोणे
विद्या विज्ञान युक्तो भवति नरपतिर्विश्व विख्यात कीर्ति
र्दानी मानी च शूरो हयगुण सहितः सद्गजैः सेव्यमानः
अगर पूरी कुंडली में यदि अकेला शुक्र ही केन्द्रस्थ या त्रिकोणस्थ हो तो जातक स्थिर शासन करने वाला, विख्यात कीर्ति प्राप्त करने वाला, राजा, दानी, मानी, शूरवीर तथा श्रेष्ठ वाहनों से संपन्न होता है.
एक एव सुरराज पुरोधाः केन्द्रगोअथ नव पज्चमगो वा
लाभगो भवति यंत्र विलग्ने तत्र शेषखचरैर बलैः किम
अगर पूरी कुंडली के ग्रह निर्बल हों, परंतु अकेला बृहस्पति ही त्रिकोण में हो तो वह बृहस्पति अवश्य ही राज्ययोग करता है.
भवति मदन मूर्तिर्वल्लभः कामिनीनां
सकल जन समर्थो दीर्घ जन्माविधेयः
गज विषय गुणज्ञो द्रव्यमुख्यः प्रधानः
सघन कनक पूर्णो दैत्यपो यस्य केन्द्रे
शुक्र केंद्र में हो तो प्रबल राज्य योग सिद्ध होता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति कामदेव के समान कांति वाला, स्त्रियों को प्रिय, सभी मनुष्यों में समर्थ, दीर्घायु, वाहन विशेषज्ञ. धनी, समस्त जनों में प्रधान, और धन सुवर्ण से परिपूर्ण होता है.
लाभे त्रिकोणे यदि शीत रश्मिः
करोत्यवश्यं क्षितिपाल तुल्यम्
कुलद्वयानन्दकरं नरेंद्रं
ज्योत्स्नेव दीपस्य तमोअप हन्त्री
नवम भाव में चंद्रमा व्यक्ति को पृथ्वीपति बनाता है. जैसे दीपक की ज्योति से अंधकार नष्ट होता है, उसी तरह जातक के जन्म लेने से मातृ पितृ कुल में उजियारा होता है.
लग्नाधिपो वा जीवो वा शुक्रो वा यत्र केन्द्रगः
तस्व पुंसश्च दीर्घायु) स भवेद्राज वल्लभः
केंद्रगत शुक्र व्यक्ति को दीर्घायु एवं प्रतापी राजा बनाने में समर्थ होता है.
चंद्र मंगल का केंद्र में होना अपने आप में पूर्ण लक्ष्मी योग है, जिसके बारे में ऋषियों ने अतुल धन प्रदाता योग कहा है. उसके साथ ही मंगल की धन स्थान पर पूर्ण दृष्टि धन की पूर्णता स्पष्ट करती है. साथ ही राज्येश के साथ में होने से राज्य द्वारा पूर्ण धन प्राप्ति का योग स्पष्ट करता है.
और आखिरकार…
पुण्येन हन्यन्ते व्याधि, पुण्येन हन्यन्ते ग्रहा
पुण्येन हन्यन्ते शत्रुः, यतो धर्मस्ततो जयः