मार्किट इंफ्लुएंसर भोंपू बजाते हैं कि शेयर बाजार से पैसे बनाना आसान है तो वह खुद क्यों नहीं बनाते?

कम समय में ज्यादा धन कमाने की इच्छा से लोग शेयर बाजार में उतर रहे हैं। इसके लिए वह सोशल मीडिया के भाषणबाजों का सहारा लेते हैं। वहीं सोशल मीडिया पर कमाई का ज्ञान देने वाले खुद बाजार में न उतरकर भाषण से पैसे कमा रहे हैं। फर्जीवाड़े के बारे में बता रहे हैं वित्तीय सलाहकार प्रभात त्रिपाठी…

लोगों को शेयर बाजार की ट्रेडिंग बहुत लुभाती है, ज्यादातर लोगों को इसमें कार रेस, हॉर्स रेस टाइप आनन्द भी मिलता है। अक्सर लगता है कि शेयर बाजार में तरह-तरह की ट्रेडिंग से आसानी से पैसा बन सकता है और ट्रेडिंग सिखाने-बताने का भी फर्जीपना खूब फल-फूल रहा है।
भारत के बहुत बड़े (शायद सबसे बड़े) ब्रोकिंग कम्पनी के फाउंडर पिछले महीने बता रहे थे कि ट्रेडिंग से easy money पाना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। कई लोग टीवी देख या सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर आदि से प्रभावित होकर यह सोच कर ट्रेडिंग में उतरते हैं कि इसके सहारे वे खूब पैसा बना लेंगे मगर यह समझ कितनी गड़बड़ है इसे समझाने के लिये वह बताते हैं– “मैं कभी-कभी कहता हूँ कि ट्रेडिंग से ढेर सारा पैसा कमा पाने की अपेक्षा शायद लॉटरी खरीद कर मोटा पैसा कमाना ज्यादा आसान होगा” गौरतलब बात यह है कि ब्रोकर की कमाई तो खरीद-बिक्री से बढ़ती है और जिसकी ब्रोकिंग कम्पनी ने पिछले साल लगभग तीन हजार करोड़ कमाए हों, वह ऐसी बात कहे तो ध्यान से सुनना व गुनना चाहिए।
वह यह भी कहते हैं कि यदि कोई इन्फ्लूएंसर कह रहा है कि ट्रेडिंग से पैसा कमाना आसान है तो वह bad influencer है।
इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि जिनकी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी वास्तव में काम करती हैं वे ढिंढोरा नहीं पीटते बल्कि सावधान रहते हैं, चुप रहते हैं, कि कहीं कोई उनकी स्ट्रेटेजी जान न जाए। (क्योंकि जैसे ही कोई स्ट्रेटेजी ज्यादा लोगों को समझ आएगी वह बेकार हो जाएगी) मुझे उनकी सबसे बढ़िया लाइन लगी कि ट्रेडिंग से पैसा बचाने का सबसे अच्छा विकल्प है कि ट्रेडिंग बन्द कर दी जाए, क्योंकि वह अंततः बन्द तो होगी ही, पैसा खत्म होने की वजह से बन्द हो या इस फालतू के काम के लिए फालतू टाइम न होने की वजह से बन्द हो।

फोटो साभार: डिजिटल स्कॉलर

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