एक अच्छे खासे बुद्धिस्ट देश म्यांमार को सैन्य शासन ने नर्क बना दिया


म्यांमार में इस समय हिंसा चरम पर है. कई हथियारबंद गुट वहां की सेना के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, वहीं कई गुटों को सेना का समर्थक भी माना जा रहा है. वहीं आम नागरिक तबाह हैं और देश के भीतर ही हजारों लोगों का विस्थापन हुआ है.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की एक खबर के मुताबिक 15 नवंबर 2023 को चीन से लगी सीमा के पास तैनात म्यांमार की सेना की एक बटालियन ने नस्ली सशस्त्र समूहों के गठबंधन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. सशस्त्र समूहों में से एक समूह के प्रवक्ता के हवाले से यह खबर समाचार एजेंसी ने दी.
पिछले महीने सेना पर शुरू हुआ हमला
सशस्त्र समूहों के गठबंधन ने अक्टूबर 2023 में सेना के खिलाफ हमला शुरू किया था. पूर्वोत्तर के शान राज्य में पैदल सेना बटालियन से 261 लोगों (127 सैनिकों और उनके परिवार के 134 सदस्यों) का आत्मसमर्पण सामने आया है. म्यांमार में 2021 में व्यापक सशस्त्र संघर्ष छिड़ने के बाद नियमित सैन्य बलों द्वारा किया गया सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जा रहा है.
फरवरी 2021 में सेना ने हटाई सू ची की निर्वाचित सरकार
सेना ने फरवरी 2021 में आन सान सू ची की निर्वाचित सरकार से सत्ता छीन ली थी. हथियारबंद ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि गठबंधन को उम्मीद है कि वह जल्द ही क्षेत्र के प्रमुख शहर लाउक्केइंग पर कब्जा कर लेगा. सैन्य सरकार ने इस आत्मसमर्पण की पुष्टि नहीं की है. ‘एसोसिएटेड प्रेस का भी कहना है कि स्वतंत्र रूप से इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है.
यह आत्मसमर्पण खुद को ‘थ्री ब्रदरहुड एलायंस’ कहने वाली अराकान सेना, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी द्वारा 27 अक्टूबर को सैन्य सरकार के खिलाफ एक समन्वित आक्रमण शुरू करने के दो सप्ताह बाद हुआ. गठबंधन ने व्यापक जीत का दावा किया है और सैन्य सरकार ने 2 नवंबर को एक माना कि उसने 3 शहरों पर नियंत्रण खो दिया है. इनमें से एक चीन के साथ व्यापार के लिए एक प्रमुख क्षेत्र है.
शान राज्य के उत्तरी भाग में हमले को सेना के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में देखा गया है. 2021 में सेना के सत्ता पर कब्जा करने के बाद उसके खिलाफ स्थापित लोकतंत्र समर्थक सशस्त्र समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स के सदस्यों की ओर से उसे लगातार प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.
म्यांमार से भागकर मिजोरम पहुंचे जवान
म्यामार के चिन राज्य में हथियारबंद समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ (पीडीएफ) द्वारा एक सैन्य शिविर पर कब्जा करने के बाद 2 और जवान भागकर मिजोरम पहुंचे. एक पुलिस अधिकारी ने 15 नवंबर 2023 को बताया कि म्यांमार के दो सैनिक मिजोरम में दाखिल हुए और मंगलवार शाम को जोखावथर पुलिस थाने पहुंचे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारी ने कहा कि केंद्र के निर्देश के अनुसार जवानों को असम राइफल्स को सौंप दिया गया और उन सभी को भारतीय रक्षा अधिकारियों ने हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक म्यामांर के कुल 45 जवान भागकर मिजोरम आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि सबसे पहले म्यामांर के 39 जवान मिजोरम में दाखिल हुए और सोमवार शाम को पूर्वी मिजोरम के चम्फाई जिले के सीमावर्ती गांव जोखावथर के निकटतम पुलिस थाने में पहुंचे. अधिकारी ने बताया कि 39 जवानों को असम राइफल्स ने 14 नवंबर 2023 को हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और बाकी अन्य 6 जवानों को 15 नवंबर 2023 को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि म्यांमार के जवानों को चम्फाई जिले से मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह तक हवाई मार्ग से ले जाया गया. वहां से उन्हें मोरेह के निकटतम म्यांमार शहर तमू भेजा गया.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति अब शांत है, क्योंकि म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच अब कोई झड़प नहीं हुई है. उन्होंने कहा, “फिलहाल स्थिति अब शांत है और हमें उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिनों में भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति सामान्य हो जाएगी. आगे क्या होगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है.”
अधिकारियों ने कहा कि म्यांमार की सेना और पीडीएफ के बीच गोलीबारी के बाद म्यांमार के चिन राज्य के खवीमावी, रिहखावदार और पड़ोसी गांवों के लगभग 5,000 लोग भाग गए और मिजोरम के जोखावथर में शरण ले ली है. चम्फाई के उपायुक्त जेम्स लालरिंचन ने कहा कि पीडीएफ द्वारा भारतीय सीमा के करीब चिन राज्य में ख्वामावी और रिहखावदार में दो सैन्य शिविरों पर हमला करने के बाद रविवार शाम को गोलीबारी शुरू हुई और सोमवार शाम तक जारी रही.
510 किलोमीटर है सीमा
मिजोरम, म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. पूर्वोत्तर राज्य ने म्यामांर के 31,000 से अधिक शरणार्थियों को शरण दी है, जो हालिया झड़पों से पहले फरवरी 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद वहां से भाग गए थे. मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिक चिन समुदाय के हैं. चिन और मिजो एक ही जातीय समूह “जो” से संबंधित हैं.

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